महिला की प्रेगनेंसी और थायराइड | Thyroid ke Lakshan | Part #2

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 हम थायराइड जैसी गंभीर समस्या को लेकर चर्चा कर रहे हैं और वह भी खासकर प्रेग्नेंसी के समय.
पहला पार्ट हमने आपको दे दिया है, जिसमें हमने बताया है कि
थायराइड क्या होता है
यह गर्भस्थ शिशु के लिए इतना जरूरी क्यों होता है और
किसी भी गर्भस्थ महिला का थायराइड कितना होना चाहिए पूरे 9 महीने तक यह सब हमने बताया है.आज अपनी इस POST के माध्यम से चर्चा करने वाले हैं कि
गर्भावस्था में थायराइड के क्या कारण होते हैं
इसके क्या लक्षण है जिससे इसे पहचाने

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गर्भावस्था में थायराइड के लक्षण, थायराइड ग्रंथि, गर्भावस्था में थायराइड के कारण

दोस्तों किसी भी बीमारी का निदान ढूंढने से पहले हमें यह जानना भी आवश्यक होता है कि उसके होने के क्या कारण है अगर हमें उसके होने के कारण पता होते हैं तो हम वह सब यत्न कर सकते हैं जिससे कि वह समस्या नहीं आए इसी चरण में आपको हम बताने जा रहे हैं की प्रेग्नेंसी के समय थायराइड की समस्या के क्या कारण होते हैं.

थायराइड की समस्या के कारणों को जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि यह दो प्रकार के थायराइड होते हैं.

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हाइपोथायरायडिज्म :  थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम हार्मोंस का निर्माण करती है
हाइपरथायरायडिज्म  : थायराइड ग्रंथि अधिक हार्मोंस का निर्माण करती है.

हाइपोथायरायडिज्म के कारण – Hypo Thyroid Ke Karan

जब थायराइड ग्रंथि ठीक ढंग से कार्य नहीं करती है, तो यह समस्या आती है.

किसी बीमारी के थायराइड ग्रंथि निकाल कर बाहर कर दी जाती है तब यह समस्या आती है.

पिट्यूटरी रोग के कारण भी इस तरह की समस्या आती है ग्रंथि कम हारमोंस का उत्पादन करती है.
अगर आपने किसी बीमारी के लिए रेडियेशन थेरेपी कर आई हो तो इससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित हो सकती है.

आप किसी बीमारी की वजह से कोई दवाई ले रहे हो और उस दवाई के दुष्प्रभाव के कारण ऐसा हो सकता है कि थायराइड ग्रंथि काम करना बंद कर दें.

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भोजन में आयोडीन की कमी को भी अहम कारण माना गया है.

गर्भावस्था के दौरान हाशिमोटो नामक ऑटोइम्यून बीमारी के कारण भी यह समस्या हो सकती है। ऐसा 100 गर्भवती महिलाओं में दो-तीन के साथ होता है। इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करती है, जिससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है.

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हाइपरथायरायडिज्म के कारण – Hyper Thyroid Ke Karan

थायराइड ग्रंथि में नोड्यूल्स बनने लगते हैं, जो थायराइड हार्मोंस को प्रभावित करते हैं। इस कारण शरीर में रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है.

थायराइड ग्रंथि में सूजन आने के कारण ग्रंथि ज्यादा हारमोंस का उत्पादन शुरू कर देती है,.

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ऑटो इम्यून सिस्टम में विकार आने के कारण ऐसा होता है। एक हजार गर्भवती महिलाओं में से एक-चार इसका शिकार होती हैं। इस अवस्था में इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी निर्माण करता है, जिस कारण थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करने लगती है.

पिट्यूयरी ग्रंथि में खराबी आने और कैंसर सेल्स के विकसित होने से हार्मोंस का प्रवाह तेज हो जाता है.

गर्भावस्था में थायराइड के लक्षण – Pregnancy me Thyroid ke Lakshan

जैसा कि हमने बताया कि थायराइड दो प्रकार का होता है दोनों प्रकार के थायराइड में अलग-अलग प्रकार के लक्षण नजर आते हैं जो इस प्रकार से

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हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण – Hypo Thyroid ke Karan

• पेट में खराबी
• अत्यधिक कब्ज
• जरूरत से ज्यादा थकान
• शरीर में ऐंठन महसूस होना
• चेहरे में सूजन
• काम में ध्यान न लगा पाना या फिर याददाश्त का प्रभावित होना
• ठंड बर्दाश्त न होना
• नब्ज का धीरे होना
• त्वचा में कसाव महसूस होना
• शरीर में ऐंठन महसूस होना
• वजन बढ़ना

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हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण- Hyper Thyroid ke Karan

• ह्रदय गति का अधिक होना
• थायराइड हार्मोंस का स्तर अधिक होना
• नजर का कमजोर होना
• थायराइड का आकार बढ़ना
• ब्लड शुगर बढ़ना
• थकावट
• चक्कर आना
• उल्टी आना
• पसीना अधिक आना
• पेट खराब होना
• भूख कम या ज्यादा होना

दोस्तों अपने नेक्स्ट Article में हम चर्चा करेंगे कि डॉक्टर किस प्रकार से फायर का पता लगाते हैं कौन-कौन से टेस्ट करते हैं और उसके लिए किस प्रकार की दवाइयों का प्रयोग करो अवस्था में किया जाता है और कौन से साइड इफेक्ट उन दवाइयों से आपको नजर आ सकते हैं और किन साइड इफैक्ट्स पर आपको डॉक्टर से तुरंत मिलना है.

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कोई भी महिला अपने ओवुलेशन टाइम में गर्भवती होती है. इसलिए महिला को अपना ओवुलेशन टाइम पता होना चाहिए. ओवुलेशन टाइम का पता लगाने के लिए मार्केट में kit उपलब्ध है, जिसे प्रयोग करके महिला अपना ओवुलेशन टाइम पता लगा सकती है. किट के बारे में अधिक जानकारी के लिए लिंक को उपरोक्त क्लिक करें.

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