प्रेगनेंसी में कब कितनी मात्रा होनी चाहिए HCG हार्मोन

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प्रेगनेंसी के दौरान HCG हार्मोन अर्थात ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन हारमोंस का लेबल प्रेगनेंसी के विभिन्न इस समय पर कितना होना चाहिए.

इसकी मात्रा में उतार-चढ़ाव से किस प्रकार की समस्या आने का डर होता है, और आप प्रेगनेंसी के विभिन्न हिस्सों में इसकी मात्रा को जान पाएंगे, तो आप काफी हद तक अपनी रिपोर्ट देखकर अंदाजा लगा पाएंगे कि आपकी प्रेगनेंसी किस डायरेक्शन में जा रही है.

हालांकि बहुत कुछ डॉक्टर अपने अनुभव के आधार , इसकी मात्रा और प्रेग्नेंसी के समय तीनों के आधार पर निर्णय लेते हैं, उतना सही आकलन आप तो नहीं कर पाएंगे लेकिन आपको आकलन करने में मदद अवश्य मिलेगी.

अगर आपको इसका थोड़ा सा भी ज्ञान होगा तो आप डॉक्टर से अपनी प्रेगनेंसी की सही स्थिति के बारे में बात भी कर सकते हैं.

इसके साथ-साथ और भी बहुत सारे हारमोंस और स्थिति होती हैं, जो प्रेगनेंसी के विभिन्न हिस्सों में सामने आती हैं. उनका भी प्रेगनेंसी की सेहत में अपना योगदान होता है. उन पर भी हम धीरे-धीरे अगले वीडियोस में बात करेंगे आइए वीडियो शुरू करते हैं.

HCG हार्मोन का महत्व

एचसीजी हारमोंस के महत्व की बात करें तो इसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान प्रेगनेंसी के शुरुआती समय से ही होता है.

अगर हम इसके टेक्निकल टम्स की ओर जाएंगे तो जनसाधारण को यह बात बिल्कुल भी समझ नहीं आएगी. जैसे कि ये हार्मोन मटरनल एंडोक्राइन कोशिका के समूह यानी कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है, तो यह बात मेडिकल फील्ड से जुड़े लोगों को क्लियर हो सकती है, लेकिन सामान्य व्यक्ति के लिए यह बात सिर के ऊपर से गुजर जाएगी.

आप ऐसा समझ सकते हैं कि जब तक इस हारमोंस की उपस्थिति महिला के शरीर में कंसीव करने के बाद नहीं बढ़ेगी तो प्रेगनेंसी आगे नहीं बढ़ पाती है.

कंसीव होने के बाद महिला के शरीर में एचसीजी हारमोंस का कार्य शुरू हो जाता है. यह बढ़ने लगता है. और प्रेगनेंसी को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक दूसरे हारमोंस की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है.

यह प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा को बढ़ाता है, ताकि जो प्रेगनेंसी हुई है. वह महिला के महीने पर समाप्त ना हो जाए अर्थात पीरियड ना आ जाए.

अगर किसी कारणवश महिला के शरीर में एचसीजी हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस भी कम हो जाता है तो महिला को गर्भपात हो जाता है.

प्रेगनेंसी में कब कितनी मात्रा होनी चाहिए HCG हार्मोन

एचसीजी को प्रेगनेंसी हारमोंस कहा जाता है. यह महिला के शरीर में हमेशा से मौजूद होता है.

लेकिन इसकी मात्रा इतनी कम होती है कि इसका पता नहीं लगाया जा सकता जैसे ही प्रेगनेंसी आगे बढ़ती है. अंडा फर्टिलाइज हो जाता है, तो इसकी मात्रा बढ़ने लगती है.

यह 24 घंटे में अपने आप को डबल करने लगता है, और अंडे के विकास में और उसकी सुरक्षा में महत्वपूर्ण रोल निभाता है.

आखिरी मासिक धर्म (LMP- एलएमपी) से एचसीजी हार्मोन का स्तर सप्ताह में (गर्भकालीन आयु):
1.    3 सप्ताह में एलएमपी: 5 – 50 एमआईयू / एमएल
2.    4 सप्ताह में एलएमपी: 5-426 एमआईयू / एमएल
3.    5 सप्ताह में एलएमपी: 18-7,340 एमआईयू / एमएल
4.    6 सप्ताह में एलएमपी: 1,080 – 56,500 एमआईयू / एमएल
5.    7-8 सप्ताह में एलएमपी: 7, 650 – 229, 000 एमआईयू / एमएल
6.    9-12 सप्ताह में एलएमपी: 25,700 – 288,000 एमआईयू / एमएल
7.    13-16 सप्ताह में एलएमपी: 13,300 – 254,000 एमआईयू / एमएल
8.    17-24 सप्ताह में एलएमपी: 4,060 – 165,400 एमआईयू / एमएल
9.    25-40 सप्ताह में एलएमपी: 3,640 – 117,000 एमआईयू / एमएल
10.    जो महिलाएं गर्भवती नहीं होतीं उनमें: 0 – 5 एमआईयू / एमएल
11.    जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति हो चुकी होती है उनमें: 0 – 8 एमआईयू / एमएल। (और पढ़ें – गर्भावस्था के हफ्ते)

क्या संकेत देता है एचसीजी लेवल

डॉक्टर इसकी मात्रा को देखकर अपने अनुभव के आधार पर और प्रेग्नेंसी के समय को देखते हुए काफी हद तक महिला की प्रेगनेंसी किस स्थिति में
इसके द्वारा डॉक्टर इस बात का पता लगा सकते हैं कि–

  • महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं या तीन बच्चे हैं उस वक्त इसका लेवल काफी हाई होता है.
  • महिला को मिसकैरेज या गर्भपात की संभावना तो नहीं है. इसकी मात्रा से इस बात का भी पता लगाया सकता है.
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी,  प्रेगनेंसी गर्भ से बाहर तो डिवेलप नहीं हो रही है इसकी मात्रा से इस बात का भी पता लगाया सकता है.
  • क्या शिशु के विकास में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत तो नहीं है इस बात का भी आईडिया इससे लगता है.
  • एचसीजी हार्मोन से इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि गर्भाशय अंडाशय के अंदर कोई कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि तो नहीं हो रही है. इसे साधारण भाषा में कैंसर भी कहा जाता है. इस बात का पता नहीं चलता है.
  • प्रेगनेंसी के दौरान एचसीजी हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है, हाई लेवल पर पहुंच जाती है, तो इससे किसी नुकसान होने की कोई बात सामने तो नहीं आई है लेकिन अत्यधिक हाई होने पर मोलर गर्भावस्था होने की संभावना हो जाती है.
  • इसके अंदर भ्रूण बनाने वाले उत्तक या कोशिकाएं बहुत तेज गति से अनवांटेड डेवलपमेंट या विकास करने लगते हैं. यह एक प्रकार से कैंसर ही होता है. इसे ट्यूमर कह सकते हैं. वह ट्यूमर का रूप ले लेता है.
  • निश्चित समय पर आवश्यकता से कम एचसीजी हार्मोन गर्भपात होने की स्थिति को दिखाता है या अटोपिक प्रेगनेंसी है. अर्थात प्रेगनेंसी गर्भाशय से बाहर डिवेलप हो रही है. इस बात को दिखाता है. यह भी सही नहीं होता है.

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