आज हम पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में दूसरी प्रेगनेंसी में महिलाओं की सोच और व्यवहार में कितना परिवर्तन आ जाता है. महिलाएं किन-किन बातों को लेकर चिंता करती है, किन-किन बातों को लेकर उन्हें चिंता नहीं होती है. इन सब बातों पर चर्चा करेंगे और आपको यह भी बताएंगे कि महिलाओं को किन प्रकार की समस्याओं में राहत मिलती है.
मां बनना हर एक महिला की इच्छा होती है और मां बनने की शुरुआत में ही महिलाओं को डिलीवरी में होने वाली समस्याओं से और बच्चे की जिम्मेदारी और प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली लाइफ परिवर्तन से काफी ज्यादा घबराहट देखने में भी आती है.
हालांकि यह एक वाजिब चिंता है क्योंकि अचानक से परिवर्तन किसी के लिए भी संभव नहीं होता है, लेकिन अक्सर परिवार इसे सिरे से नकार देता है. ऐसे में परिवार को महिलाओं को मोरल सपोर्ट देने की अधिक आवश्यकता होती है. उसे समझने की आवश्यकता होती है जो एक मजबूत परिवार की नींव भी है.
जहां तक दूसरी प्रेगनेंसी की बात होती है तो पहली प्रेग्नेंसी का एक्सपीरियंस हो जाने के बाद महिलाओं को इस प्रकार की चिंता नहीं के बराबर होती है.
अनिश्चितता से मुक्ति
प्रेगनेंसी का अनुभव नहीं होने की वजह से महिलाओं में पहली प्रेग्नेंसी के दौरान अनिश्चितता की स्थिति में रहती हैं. लेकिन दूसरी प्रेगनेंसी में महिलाओं को सब कुछ पता होता है. इस वजह से वह अनिश्चितता की स्थिति में बिल्कुल नहीं होती हैं. उनके शरीर में क्या परिवर्तन होने वाला है कैसे परिवर्तन होने वाला है. उन्हें बहुत कुछ इस बात का आईडिया होता है. इस वजह से भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिरता उन में पाई जाती है. प्रेगनेंसी को लेकर तनाव नहीं होता.
बच्चे की सुरक्षा का डर
पहली प्रेगनेंसी में बच्चे की सुरक्षा को लेकर महिलाओं के मन में जो डर होता है, उसे लेकर काफी सारे प्रश्न हमारे चैनल पर पूछे जाते हैं, लेकिन दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान काफी हद तक महिलाओं को बिना वजह बच्चे की सुरक्षा का डर समाप्त हो जाता है. क्योंकि वह पहले ही मां बन चुकी हैं, और उन्हें बच्चे को डिलीवर करने का अनुभव है. तो यह समस्या नहीं के बराबर होती है. हालांकि यह डर उन महिलाओं में बहुत ज्यादा रहता है. जिनका पहले मिसकैरेज हो जाता है.
ज्यादा थकान महसूस देना
महिलाओं को दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अधिक थकान होने की समस्या नजर आएगी. इसका कारण यह नहीं है, कि दूसरी प्रेगनेंसी में थकान अधिक होती है.
क्योंकि महिलाएं पहले से एक बच्चे की मां है और उन्हें उसकी भी देखभाल करनी होती है. पहले बच्चे की देखभाल की वजह से उन्हें थकावट ज्यादा नजर आती है.
किस वजह से अगर किसी भी महिला की दूसरी प्रेगनेंसी में किसी भी प्रकार की समस्या है, तो उसे दूसरी प्रेगनेंसी में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
अनप्रिडिक्टेबल समस्याओं से सुरक्षा
अपने शरीर के अनुसार प्रेगनेंसी की समस्याओं से परिचित होने की वजह से वह दूसरी प्रेगनेंसी में उनका उन सब समस्याओं से बचने में सक्षम हो जाती है. जैसे कि, अगर उसे घर से बाहर निकलने पर किसी प्रकार की समस्या है तो दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान वह घर से बाहर निकलने से परहेज करेगी. अगर धूप से कोई समस्या है तो धूप में नहीं निकलेंगी. ऐसे ही बहुत सारी स्थिति बन जाती हैं जो समस्या पैदा कर सकती हैं तो दूसरी प्रेगनेंसी में महिलाएं उनसे बचने में सक्षम रहती है.
- इस वजह से महिला बीमार भी कम पड़ती है.
- बच्चे को पोषण भी अच्छे से मिलता है.
- बच्चा सुरक्षित भी रहता है
कुछ समस्या में राहत कुछ समस्या में बढ़त
पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में आने वाली हर प्रेगनेंसी में महिलाओं के शरीर की ताकत तुलनात्मक दृष्टिकोण से कम तो होती ही है ऐसे में कुछ समस्याएं जल्दी नजर आने लगती हैं और कुछ समस्याओं में हैबिट पर जाने की वजह से राहत भी मिलती है .
जैसे कि –
- महिलाओं के शरीर में ब्रेस्ट सेंसटिविटी धीरे-धीरे अधिक होने लगती है. होने पर अधिक दर्द करने लगते हैं.
- महिलाओं के शरीर की मजबूती धीरे-धीरे कमजोर होती है शरीर के लिगामेंट यूज होने लगते हैं उम्र बढ़ रही है तो कमर दर्द और दूसरे प्रकार के दर्द प्रेगनेंसी के दौरान अधिक नजर आते हैं.
- शरीर की कसावट कमजोर पड़ने लगती है इस वजह से तुलनात्मक दृष्टि से महिलाओं का वजन दूसरी प्रेगनेंसी में अधिक बढ़ता है.
- बेबी बंप जल्दी नजर आता है
- प्रेगनेंसी के साइड इफेक्ट्स अर्थात हारमोंस के साइड इफेक्ट अब इतनी परेशानी पैदा नहीं करते हैं जितना दिक्कत पहली प्रेग्नेंसी में होती है.
- मांसपेशियां लूज़ हो जाने की वजह से डिलीवरी में अब इतना समय नहीं लगता है और इतना दर्द भी नहीं होता है.
- प्रेगनेंसी को लेकर तनाव नहीं होता है.
- दूसरी प्रेगनेंसी में महिला भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा मजबूत होती है.