ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं के लिए सुपर फूड – Food for increase Milk - Part1
नमस्कार दोस्तों आज की वीडियो में हम चर्चा करने वाले हैं जो नई नई माताएं बनी है उन्हें अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करानी पड़ती है ऐसी अवस्था में ज्यादा से ज्यादा दूध बच्चे के लिए बने इसके लिए हम आपको कुछ फूड सजेस्ट करने जा रहे हैं जिन्हें आप लेकर अपने दूध को बढ़ा सकती हैं ताकि बच्चे को संपूर्ण पोषण मिल सके। नई माता जिन्होंने बच्चे को जन्म दिया है उन्हें किस प्रकार का भोजन करना चाहिए इस विषय पर चर्चा करते हैं आइए दोस्तों वीडियो शुरू करते हैं।
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[आर्टिकल के अंत में ऐसे प्रोडक्ट की जानकारी है जो दूध को बढ़ाने के काम में आते हैं]
दोस्तों यहां पर हम जितने भी प्रकार के फूड्स आपको सजेस्ट करने वाले हैं जरूरी नहीं है कि सब के सब आपके यहां पर मिल पाए आपके एरिया में अवेलेबल हो। इसके लिए आप उन फूड्स को रेफर कर सकते हैं गर्भ नई माताओं को जो कि आपके आसपास मिल सकते हैं आसानी से।
खूबानी
खूबानी या एप्रिकोट प्रोलैक्टिन को बढ़ाते हैं जो मां के दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। ताज़ी खूबानी बेहतर होती हैं, लेकिन अगर आपको डिब्बाबंद जूस के तौर पर इसे लेना है तो ऐसे उत्पाद खरीदें जो नैचुरल और बिना शक्कर वाले हों।
सोयाबीन
दूध पिलाने वाली स्त्री यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो शिशु को पिलाने के लिए दूध बढ़ जाती है। सोया में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है।
एप्रिकोट
प्रेगनेंसी के बाद बनाने में हार्मोन स्थिर करने के लिए सूखे एप्रिकोट खाने चाहिए इसमें मौजूद रसायन आपके हार्मोन को बैलेंस बनाएं रखते हैं। इसमें मौजूद फाइबर और केल्शियम की उच्च मात्रा दूध बढ़ाने में मदद करता है।
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खसखस
खसखस एक नई प्रसूता और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। खसखस में मौजूद गुण महिलाओं को राहत देने के साथ ही शांत बनाएं रखता है।
खजूर
खजूर के फल आयरन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं जो कि मां के दूध को बनने में मदद करते हैं। रोज़ाना आधा कप या तकरीबन 125ग्राम सूखे खजूर( छुहारे) खाने से आपकी दैनिक आवश्यकताएं पूरी हो सकती है।
गाजर का ज्यूस
गाजर में विटामिन ए की होता है जो महिलाओं में दुग्ध उत्पादन में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें अल्फा और बीटा कैरोटीन होता है, महिलाओं को गाजर का ज्यूस नहीं तो सलाद या सूप में गाजर का सेवन करना चाहिए।
मेवे
माना जाता है कि बादाम और काजू स्तन दूध के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इनमें भरपूर मात्रा में कैलोरी, विटामिन और खनिज होते हैं, जिससे ये नई माँ को ऊर्जा व पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन्हें स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है और ये हर जगह आसानी से उपलब्ध होते हैं।
आप इन्हें दूध में मिलाकर स्वादिष्ट बादाम दूध या काजू दूध बना सकती हैं। स्तनपान कराने वाली माँ के लिए पंजीरी, लड्डू और हलवे जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ बनाने में मेवों का इस्तेमाल किया जाता है।
जीरा
दूध की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ माना जाता है कि जीरा पाचन क्रिया में सुधार और कब्ज, अम्लता (एसिडिटी) और पेट में फुलाव से राहत देता है। जीरा बहुत से भारतीय व्यंजनों का अभिन्न अंग है और यह कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (एक बी विटामिन) का स्त्रोत है।आप जीरे को भूनकर उसे स्नैक्स, रायते और चटनी में डाल सकते हैं। आप इसे जीरे के पानी के रूप में भी पी सकती हैं।
लौकी व तोरी जैसी सब्जियां
पारंपरिक तौर पर माना जाता है कि लौकी, टिंडा और तोरी जैसी एक ही वर्ग की सब्जियां स्तन दूध की आपूर्ति सुधारने में मदद करती हैं। ये सभी सब्जियां न केवल पौष्टिक एवं कम कैलोरी वाली हैं, बल्कि ये आसानी से पच भी जाती हैं।
दालें व दलहनें
दालें, विशेषकर कि मसूर दाल, न केवल स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने में सहायक मानी जाती हैं, बल्कि ये प्रोटीन का भी अच्छा स्त्रोत होती हैं। इनमें आयरन और फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है।
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तुलसी
तुलसी की चाय स्तनपान कराने वाली मांओं का एक पारंपरिक पेय है। किसी शोध में यह नहीं बताया गया कि तुलसी स्तन दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, मगर माना जाता है कि इसका एक शांतिदायक प्रभाव होता है। यह मल प्रक्रिया को सुधारती है और स्वस्थ खाने की इच्छा को बढ़ावा देती है।मगर, अन्य जड़ी-बूटियों की तरह ही तुलसी का सेवन भी सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
लहसुन
लहसुन स्तन दूध आपूर्ति को बढ़ाने में भी सहायक माना गया है।
अगर, आप बहुत ज्यादा लहसुन खाती हैं, तो यह आपके स्तनदूध के स्वाद और गंध को प्रभावित कर सकता है। एक छोटे अध्ययन में पाया गया कि जिन माताओं ने लहसुन खाया था, उनके शिशुओं ने ज्यादा लंबे समय तक स्तनपान किया। यानि कि हो सकता है शिशुओं को स्तन दूध में मौजूद लहसुन का स्वाद पसंद आए। हालांकि, यह अध्ययन काफी छोटे स्तर पर था और इससे कोई सार्थक परिणाम नहीं निकाले जा सकते। वहीं, कुछ माएं यह भी कहती हैं कि अगर वे ज्यादा लहसुन का सेवन करती हैं, तो उनके शिशुओं में पेट दर्द हो जाता है।
लहसुन का दूध प्रसव के बाद स्तनपान कराने वाली मांओं को दिया जाने वाला एक लोकप्रिय पारंपरिक पेय है।
संतरा
संतरें में विटामिन सी की भरपूर मात्रा में होती हैं, इसके अलावा विटामिन ए और बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस के रुप में अन्य पौषक तत्वों के साथ परिपूर्ण हैं। स्तनपान से पहले या बाद में दो गिलास संतरे का रस पीना चाहिए। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ वजन भी बढ़ने से रोकता है।
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पालक
पालक के रुप में अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां जैसे गोभी, स्विस चार्ड, कोल्लार्ड्स और ब्रोकली ब्रेस्टफीडिंग माताओं के लिए बहुत जरुरी है।पालक में विटामिन ए आपके बच्चे के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करता है जबकि इसके एंटी ऑक्सीडेंट आपके बच्चे की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। यह शाकाहारी माताओं के लिए कैल्शियम का बड़ा सोर्स है। पालक में फोलेट भी होता है। यह खून की कमी को पूरा करता है।
ब्राउन राइस
एक रिसर्च के अनुसार ब्राउन राइस ब्रेस्टऊ मिल्कस का उत्पानदन बढ़ाने में सहायक होता है। ये हार्मोन स्थिर करने के साथ ही दुग्धस वृद्धि करने के साथ ही स्त नपान करवाने वाली मांओं को ऊर्जा भी देता है। इसके साथ मांओं का पाचन क्रिया में भी सुधार होता है। अंकुरित भूरे रंग के चावल का नियमित सेवन करने से स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। यह स्तनपान के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
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[आर्टिकल के अंत में ऐसे प्रोडक्ट की जानकारी है जो दूध को बढ़ाने के काम में आते हैं]
दोस्तों यहां पर हम जितने भी प्रकार के फूड्स आपको सजेस्ट करने वाले हैं जरूरी नहीं है कि सब के सब आपके यहां पर मिल पाए आपके एरिया में अवेलेबल हो। इसके लिए आप उन फूड्स को रेफर कर सकते हैं गर्भ नई माताओं को जो कि आपके आसपास मिल सकते हैं आसानी से।
खूबानी
खूबानी या एप्रिकोट प्रोलैक्टिन को बढ़ाते हैं जो मां के दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। ताज़ी खूबानी बेहतर होती हैं, लेकिन अगर आपको डिब्बाबंद जूस के तौर पर इसे लेना है तो ऐसे उत्पाद खरीदें जो नैचुरल और बिना शक्कर वाले हों।
सोयाबीन
दूध पिलाने वाली स्त्री यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो शिशु को पिलाने के लिए दूध बढ़ जाती है। सोया में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है।
एप्रिकोट
प्रेगनेंसी के बाद बनाने में हार्मोन स्थिर करने के लिए सूखे एप्रिकोट खाने चाहिए इसमें मौजूद रसायन आपके हार्मोन को बैलेंस बनाएं रखते हैं। इसमें मौजूद फाइबर और केल्शियम की उच्च मात्रा दूध बढ़ाने में मदद करता है।
इन्हें भी पढ़ें : स्तनपान कराने से माँ को होने वाले लाभ
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खसखस
खसखस एक नई प्रसूता और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। खसखस में मौजूद गुण महिलाओं को राहत देने के साथ ही शांत बनाएं रखता है।
खजूर
खजूर के फल आयरन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं जो कि मां के दूध को बनने में मदद करते हैं। रोज़ाना आधा कप या तकरीबन 125ग्राम सूखे खजूर( छुहारे) खाने से आपकी दैनिक आवश्यकताएं पूरी हो सकती है।
गाजर का ज्यूस
गाजर में विटामिन ए की होता है जो महिलाओं में दुग्ध उत्पादन में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें अल्फा और बीटा कैरोटीन होता है, महिलाओं को गाजर का ज्यूस नहीं तो सलाद या सूप में गाजर का सेवन करना चाहिए।
मेवे
माना जाता है कि बादाम और काजू स्तन दूध के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इनमें भरपूर मात्रा में कैलोरी, विटामिन और खनिज होते हैं, जिससे ये नई माँ को ऊर्जा व पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन्हें स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है और ये हर जगह आसानी से उपलब्ध होते हैं।
आप इन्हें दूध में मिलाकर स्वादिष्ट बादाम दूध या काजू दूध बना सकती हैं। स्तनपान कराने वाली माँ के लिए पंजीरी, लड्डू और हलवे जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ बनाने में मेवों का इस्तेमाल किया जाता है।
जीरा
दूध की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ माना जाता है कि जीरा पाचन क्रिया में सुधार और कब्ज, अम्लता (एसिडिटी) और पेट में फुलाव से राहत देता है। जीरा बहुत से भारतीय व्यंजनों का अभिन्न अंग है और यह कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (एक बी विटामिन) का स्त्रोत है।आप जीरे को भूनकर उसे स्नैक्स, रायते और चटनी में डाल सकते हैं। आप इसे जीरे के पानी के रूप में भी पी सकती हैं।
लौकी व तोरी जैसी सब्जियां
पारंपरिक तौर पर माना जाता है कि लौकी, टिंडा और तोरी जैसी एक ही वर्ग की सब्जियां स्तन दूध की आपूर्ति सुधारने में मदद करती हैं। ये सभी सब्जियां न केवल पौष्टिक एवं कम कैलोरी वाली हैं, बल्कि ये आसानी से पच भी जाती हैं।
दालें व दलहनें
दालें, विशेषकर कि मसूर दाल, न केवल स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने में सहायक मानी जाती हैं, बल्कि ये प्रोटीन का भी अच्छा स्त्रोत होती हैं। इनमें आयरन और फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है।
इन्हें भी पढ़ें : प्रेग्नेंट होने में कितना समय लगता है
इन्हें भी पढ़ें : प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की गोलियां साथ न लें
तुलसी
तुलसी की चाय स्तनपान कराने वाली मांओं का एक पारंपरिक पेय है। किसी शोध में यह नहीं बताया गया कि तुलसी स्तन दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, मगर माना जाता है कि इसका एक शांतिदायक प्रभाव होता है। यह मल प्रक्रिया को सुधारती है और स्वस्थ खाने की इच्छा को बढ़ावा देती है।मगर, अन्य जड़ी-बूटियों की तरह ही तुलसी का सेवन भी सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
लहसुन
लहसुन स्तन दूध आपूर्ति को बढ़ाने में भी सहायक माना गया है।
अगर, आप बहुत ज्यादा लहसुन खाती हैं, तो यह आपके स्तनदूध के स्वाद और गंध को प्रभावित कर सकता है। एक छोटे अध्ययन में पाया गया कि जिन माताओं ने लहसुन खाया था, उनके शिशुओं ने ज्यादा लंबे समय तक स्तनपान किया। यानि कि हो सकता है शिशुओं को स्तन दूध में मौजूद लहसुन का स्वाद पसंद आए। हालांकि, यह अध्ययन काफी छोटे स्तर पर था और इससे कोई सार्थक परिणाम नहीं निकाले जा सकते। वहीं, कुछ माएं यह भी कहती हैं कि अगर वे ज्यादा लहसुन का सेवन करती हैं, तो उनके शिशुओं में पेट दर्द हो जाता है।
लहसुन का दूध प्रसव के बाद स्तनपान कराने वाली मांओं को दिया जाने वाला एक लोकप्रिय पारंपरिक पेय है।
संतरा
संतरें में विटामिन सी की भरपूर मात्रा में होती हैं, इसके अलावा विटामिन ए और बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस के रुप में अन्य पौषक तत्वों के साथ परिपूर्ण हैं। स्तनपान से पहले या बाद में दो गिलास संतरे का रस पीना चाहिए। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ वजन भी बढ़ने से रोकता है।
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पालक
पालक के रुप में अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां जैसे गोभी, स्विस चार्ड, कोल्लार्ड्स और ब्रोकली ब्रेस्टफीडिंग माताओं के लिए बहुत जरुरी है।पालक में विटामिन ए आपके बच्चे के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करता है जबकि इसके एंटी ऑक्सीडेंट आपके बच्चे की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। यह शाकाहारी माताओं के लिए कैल्शियम का बड़ा सोर्स है। पालक में फोलेट भी होता है। यह खून की कमी को पूरा करता है।
ब्राउन राइस
एक रिसर्च के अनुसार ब्राउन राइस ब्रेस्टऊ मिल्कस का उत्पानदन बढ़ाने में सहायक होता है। ये हार्मोन स्थिर करने के साथ ही दुग्धस वृद्धि करने के साथ ही स्त नपान करवाने वाली मांओं को ऊर्जा भी देता है। इसके साथ मांओं का पाचन क्रिया में भी सुधार होता है। अंकुरित भूरे रंग के चावल का नियमित सेवन करने से स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। यह स्तनपान के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
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