गर्भ में बेटी होने के लक्षण

 आजकल गर्भ में लड़का हो या लड़की हो इस बात को अब ज्यादा अहम नहीं समझा जाता है. आजकल गर्भ में बच्चे की जानकारी प्राप्त करना मात्र अपनी मात्र अपनी जिज्ञासा को शांत करने जितना ही अहम रह गया है.

अगर घर में आने वाले बच्चे का एहसास पहले ही हो जाता है, तो उसके लिए परिवार में तैयारी करना काफी आसान हो जाता है. इसलिए आज हम आपसे गर्भ में लड़की होने के लक्षणों के विषय में चर्चा करेंगे. 

TIP: गर्भ में लड़की होने पर काफी सारे लक्षण महिलाओं के शरीर में नजर आते हैं, लेकिन यह बिल्कुल भी सौ परसेंट सही नहीं होते हैं, पर अधिकतर महिलाओं के साथ ऐसे लक्षण देखे जाते हैं. इन लक्षणों के आधार पर बिल्कुल भी गर्भपात या दूसरे प्रकार के निर्णय नहीं लिए जा सकते हैं. मात्र अपनी जिज्ञासा को शांत करने हेतु आप इन्हें देख सकते हैं.{alertInfo}

गर्भ में बेटी होने के लक्षण

किन बातों को ध्यान में रखें

गर्भ में लड़का या लड़की दोनों में से एक जेंडर होता है और उसी के अनुसार शरीर में हारमोंस परिवर्तित होते हैं इन्हीं हारमोंस की वजह से काफी सारे लक्षण पुत्र पैदा होने के समय और पुत्री पैदा होने के समय बदल सकते हैं.
इन्हीं लक्षणों के परिवर्तन को ज्ञात करके गर्भ में लड़की है, या गर्भ में लड़का है. इस संबंध में ज्ञात जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की जाती है.
कभी-कभी लक्षणों की तीव्रता में कमी या तीव्रता में अधिकता देखी जाती है. इसके पीछे

  • महिला के शरीर की केमिस्ट्री
  • महिला के जींस
  • महिला के शरीर में पहले से रोग
  • महिला का स्वास्थ्य
  • जहां महिला रहती है, उस जगह का वातावरण
  • महिला का भोजन और
  • महिला के शरीर में हार्मोन उत्पन्न होने की दर और मात्रा

इत्यादि कारण होते हैं. 2 महिलाओं के गर्भ में एक ही जेंडर होने पर लक्षणों में परिवर्तन देखा जाता है. इन्हीं सब कारणों से लक्षण पर 100% विश्वास नहीं किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह सटीक बैठते हैं.

TIP: समाज में अलग-अलग क्षेत्रों में एक ही लक्षण कभी-कभी पुत्र प्राप्ति का और कभी-कभी पुत्री प्राप्ति का माना जाता है, इसके पीछे उपरोक्त कारण जिम्मेदार होते हैं.{alertInfo}

गर्भ में बेटी होने के लक्षण

अधिकतर महिलाओं के शरीर में गर्भ में लड़की होने पर कुछ विशेष लक्षण नजर आते हैं.

महिला के भोजन का पैटर्न

मेडिकल साइंस के अनुसार घर में गर्भ में बेटी होने पर उसका वजन गर्भ में बेटे के वजन से अपेक्षाकृत कम होता है. इसलिए महिला के भोजन का पैटर्न प्रेगनेंसी के दौरान जेंडर परिवर्तन की वजह से बदल सकता है. महिला गर्भ में बेटी होने पर कम खाना खाती है.

गर्भ में भ्रूण की हलचल

गर्भ में बेटी का आकार, बेटे के आकार से अपेक्षाकृत कम होता है. और उसे अधिक स्पेस मिलता है. इस वजह से अधिकतर मामलों में प्रेगनेंसी के दौरान बेटियां अधिक चंचल होती हैं. उनकी हलचल अधिक होती है.

प्रेगनेंसी के दौरान पैर अधिक ठंडे रहना

प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला के गर्भ में एक लड़की होती है तो उस वक्त महिला के शरीर में प्रेगनेंसी हारमोंस में जो बदलाव होता है उसकी वजह से महिला के पैर अधिक ठंडे रहते हैं. यह प्रेगनेंसी हारमोंस का तंत्रिका तंत्र पर पडेन प्रभाव की वजह से होता है. इसे गर्भ में बेटी होने के लक्षण के में जाना जाना है.

लेकिन अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला के पंजे ठंडे रहते हैं तो यह गर्भ में लड़का है, इस तरफ इशारा करते हैं.
कुछ महिलाओं का इस विषय में यह भी कहना है कि जब उनके गर्भ में लड़की थी तो उनके पैरों में या पंजों में ठंड की कोई समस्या नहीं थी.
हालांकि यह समस्या दूसरी वजह से भी शरीर में नजर आती है, और मौसम का प्रभाव भी इस पर पड़ता है. सर्दियों के मौसम में समानता यह समस्या हो सकती है.

प्रेगनेंसी के दौरान सिर दर्द

महिला को प्रेगनेंसी से पहले सिर दर्द की समस्या नहीं थी और प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अक्सर सिर में दर्द की शिकायत रहती है और उत्तर की तरफ सिर करने से थोड़ा राहत महसूस होती है. उत्तर की तरफ सिर करने का तात्पर्य है, यह महिला के शरीर में ग्रेविटी के असर को दिखाता है.

लेकिन यह लक्षण कभी-कभी गर्भ में लड़का होने पर भी देखा जाता है.

महिला के पेशाब का रंग

प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला का यूरीन प्रेगनेंसी के शुरुआती समय से ही पीला और चमकदार नजर आता है, तो यह गर्भ में लड़का होने की निशानी होती है.

महिला का यूरिन हल्का पीला लेकिन चमकदार नहीं होता है या अधिक पीला होते हुए भी चमकदार नहीं होता तो यह गर्भ में लड़की होने की तरफ इशारा करता है.

हालांकि यूरिन का अधिक पीला होना या कम हो पीला होना महिला के शरीर में पानी की कमी या अधिकता को भी दिखाता है. डिहाइड्रेशन की समस्या की वजह से भी यूरिन का कलर बदल जाता है.

प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए, और कोशिश करें उनके यूरिन का कलर हल्का  पीला ही रहे.

प्रेगनेंसी में चेहरे पर ग्लो

प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला की त्वचा अधिक मुलायम चमकदार और आकर्षक नजर आती है, तो यह महिला के शरीर में प्रेगनेंसी सेक्स हारमोंस की अधिकता की वजह से या फीमेल प्रेगनेंसी हारमोंस की अधिकता की वजह से होता है. इसलिए अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला के चेहरे पर ग्लो अधिक नजर आता है, तो यह गर्भ में लड़की है इसकी संभावना को बढ़ाता है.

बच्चे की हार्टबीट

प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में गर्भस्थ शिशु की हार्टबीट हमेशा 140 से ऊपर ही होती है. प्रेगनेंसी के शुरुआती 3 महीनों में मेल चाइल्ड की हार्टबीट फीमेल चाइल्ड की तुलना में अधिक होती है.

लेकिन धीरे-धीरे बाद के 3 महीनों में यह हार्टबीट 140 से कम या 140 से थोड़ा अधिक हो जाती है.

माना जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान अगर गर्भ में बेटी होती है तो हार्टबीट मेल जेंडर की तुलना में अधिक ही होती है. इसलिए अधिकतर मामलों में अगर गर्भस्थ शिशु की हार्टबीट आठवें या नौवें महीने में 140 से अधिक होती है, तो यह गर्भ में लड़की होने की तरफ इशारा करता है. इसका मुख्य कारण शरीर के अंदर फीमेल चाइल्ड का अधिक एक्टिव होना भी होता है.

लेकिन कुछ मामलों में कभी-कभी अंतिम 2 से 3 महीनों में गर्भ में लड़का होने पर भी हार्टबीट 140 से ऊपर हो सकती है, लेकिन यह कम ही होता है.

स्तन का आकार

समाज में मान्यता है कि बड़ी उम्र की महिलाएं महिला के स्तन को देखकर ही गर्भ में लड़का है या लड़की है इस बात की भविष्यवाणी करने में सक्षम होती थी.

 मान्यता के अनुसार अगर महिला का बाँया स्तन दाएं स्तन से अधिक बड़ा नजर आता है तो कर हमें गर्भ में लड़की होने की संभावना काफी अधिक होती है. लेकिन कहीं-कहीं बिल्कुल इसका ऑपोजिट भी माना जाता है.

मिलन के दौरान डोमिनेटिंग

प्रेगनेंसी के दौरान महिला सुरक्षित रूप से 3 महीने से लेकर 6 महीने के बीच में अपने पार्टनर के साथ मिलन कर सकती हैं. इस दौरान अगर पुरुष यह पता है कि महिला अधिक डोमिनेटिंग नजर आ रही है, तो यह गर्भ में लड़का होने की तरफ इशारा करता है.

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के गर्भ में अगर मेल जेंडर होता है तो महिला के शरीर में पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का प्रभाव अधिक होता है इस वजह से महिला मिलन के दौरान अधिक एग्रेसिव नजर आती है.  अगर महिला अपेक्षाकृत शांत रहती है तो यह गर्भ में लड़की की तरफ इशारा करता है.

मूड स्विंग

साधारण रूप से माना जाता है कि महिलाओं का मूड पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बदलता है. फीमेल हारमोंस की एक कार्य भावना को मजबूती प्रदान करना होता है. यही भावना प्रधान गुण महिला को मानसिक मजबूती प्रदान करें करता है, और बड़े से बड़े कार्य को आसानी से करने की शक्ति प्रदान करता है.

महिला के गर्भ में लड़की होने पर महिला के शरीर में Female प्रेगनेंसी हारमोंस की अधिकता होती है. इन हारमोंस की वजह से महिला का मूड स्विंग काफी अधिक होता है.

कभी कोई महिला अचानक से बहुत ज्यादा खुश नजर आती है और कभी-कभी अचानक से दुखी नजर आती है. उसके मनोभाव काफी अधिक बदलते रहते हैं.

गर्भ में लड़की होने पर महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है इस वजह से मूड स्विंग की समस्या नजर आती है.

महिला का एग्रेसिव नेचर

पुरुष सेक्स हारमोंस टेस्टोस्टरॉन का एक गुण एग्रेसिवनेस प्रोड्यूस करना होता है, लेकिन गर्भ में लड़का होने पर यह गुण महिला के अंदर काफी स्पष्ट रूप से नजर आता है.

वह प्रेगनेंसी के दौरान काफी एग्रेसिव नजर आती है, और बात-बात पर  गुस्सा करना और चिड़चिड़ाहट नजर आती है. लेकिन गर्भ में लड़की होने पर यह लक्षण महिला को नजर नहीं आता है.

महिला शांत और सौम्य व्यवहार रखती है, और मनोदशा में बदलाव अधिक होता है, तो गर्भ में लड़की होने की संभावना सबसे अधिक है.

भूख का एहसास

गर्भवती महिलाओं पर एक रिसर्च के अनुसार यह पाया गया है, कि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़का होता है, उन्हें भूख का एहसास अधिक होता है. और जिन महिलाओं के गर्भ में लड़की होती है, उन्हें अपेक्षाकृत कम भूख महसूस होती है.

प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं पर रिसर्च करके यह देखा गया है कि अगर महिला के गर्भ में लड़की होती है तो उन्हें मॉर्निंग सिकनेस, थकावट, उल्टी, मछली इत्यादि की समस्या  काफी अधिक देखने में आती है.

जबकि गर्भ में बेटा होने पर यह समस्याएं ना के बराबर ही नजर आती है.

काफी कम महिलाओं में यह भी देखा जाता है कि जब उनके गर्भ में लड़की होती है तो ऐसा लगता है कि शायद वह प्रेगनेंसी के 3 महीने भी ढंग से कंप्लीट नहीं कर पाएंगे.

परिवार वालों को ऐसा महसूस होता है कि उन्हें गर्भपात करा लेना चाहिए. लेकिन 3 महीने गुजर जाने के बाद धीरे-धीरे उनकी हालत सुधरने लगती है, और वह धीरे जल्दी ही सामान्य हो जाती है.  यह मुख्य रूप से गर्भ में लड़की होने पर ही बहुत अधिक होता है.

हालांकि ऐसी प्रेगनेंसी में महिलाओं को लगातार 3 महीने के बाद भी डॉक्टर के संपर्क में बने रहना काफी आवश्यक होता है.

यह कुछ इस प्रकार से होता है जैसे कि शरीर प्रेगनेंसी को एक्सेप्ट नहीं करता है, और वह चाहता है कि यह शरीर से बाहर आ जाए.  3 महीने के बाद यह सामान्य हो जाता है. लेकिन कभी-कभी कुछ महिलाओं को यह 3 महीने के बाद भी समस्या रहती है, हालांकि समस्या थोड़ा कम हो जाती है.

महिला के शरीर में वजन बढ़ने का पैटर्न

  • महिला को अगर पीछे से देखा जाए तो महिला काफी मोटी नजर आती है.
  • उसकी कमर के दोनों तरफ वजन बढ़ता है.
  • उसकी हिप्स के दोनों और वजन बढ़ता है.
  • घुटने और हिप्स के बीच में भी वजन बढ़ता है.
  • पेट सामने से आधी फुटबॉल के समान नजर आता है.

महिला देखने में अपेक्षाकृत अधिक मोटी नजर आती है. जबकि गर्भ में मेल चाइल्ड होने पर 6 महीने के बाद महिला का पेट आगे की तरफ अधिक बढ़ता है. नीचे को झुका हुआ नजर आता है. कमर के दोनों तरफ और हिप्स पर वजन ना के बराबर बढ़ता है.

क्रेविंग पेटर्न

गर्भ में लड़की होने पर महिला नमका, खट्टा,  तीखा और चटपटा खाद्य पदार्थ खाना अधिक पसंद करती है और गर्भ में लड़का हो तो मीठा अधिक खाना पसंद करती है.

हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिंग और स्वाद क्रेविंग में कोई भी संबंध सिद्ध नहीं हो पाया है. यह मात्र समाज में नजर आने वाले लक्षणों के आधार पर ही बताया जाता है.

हालांकि ऐसा होता है कि यह क्रेविंग प्रेगनेंसी के दौरान आवश्यक पोषण की जरूरतों में बदलाव की वजह से हो सकती है.

त्वचा पर बदलाव

गर्भ में लड़की होने पर जिस प्रकार के हार्मोन परिवर्तन महिला के शरीर में होते हैं उसकी वजह से महिला की त्वचा प्रेगनेंसी के दौरान चमकदार, चिकनी और मुलायम नजर आती है. बहुत ही कम ऐसा देखने में आता है, कि महिला के गर्भ में लड़की है और महिला की त्वचा खुदरी और सूखी नजर आती है. मुख्यता त्वचा स्वस्थ और शाइनी होती है.
त्वचा में परिवर्तन स्पष्ट रूप से हारमोंस में आए बदलाव की वजह से नजर आता है. हारमोंस की मात्रा बदलने पर  त्वचा में अप अपोजिट परिवर्तन भी नजर आ सकते हैं. इसी प्रकार से गर्भ में लड़का होने पर भी कभी-कभी त्वचा स्वस्थ और चमकदार हो सकती है.

निष्कर्ष

इसी प्रकार से महिला के शरीर में ऐसे ही छोटे-छोटे लक्षणों को देखकर महिला के गर्भ में लड़का है, या लड़की है, इस बात की जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की जाती है.

ध्यान रहे यह मात्र कोशिश है, आप बिल्कुल भी कंफर्म नहीं हो सकते हैं. इसके लिए आपको अल्ट्रासाउंड के माध्यम से ही जानकारी 100% सही प्राप्त होगी. मगर अल्ट्रासाउंड द्वारा जेंडर प्रिडिक्शन कानूनन जुर्म है. 

वास्तविकता तो यही है कि आपको इस समाज में जितनी आवश्यकता एक पुत्र की होती है. उतनी ही आवश्यकता एक पुत्री की भी होती है. इसलिए मात्र अपनी जिज्ञासा को शांत करते हुए आप इन लक्षणों को देख सकते हैं.

अपनी आने वाली संतान के स्वागत की तैयारी में अपना समय दें और गर्भवती महिला का विशेष ध्यान दें रखें.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने