सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण | अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है

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सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण

अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है. सोनोग्राफी से कैसे पता लगाएं कि पेट में लड़का है. डॉक्टर किस तरह से अल्ट्रासाउंड से देख कर पता लगा लेते हैं, कि गर्भवती महिला के पेट में जो  गर्भस्थ शिशु है, वह एक लड़का है या लड़की है.

सोनोग्राफी  में बच्चा लड़का होने के संकेत या अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण कौन कौन से होते हैं.

दोस्तों इस संबंध में बहुत सारे वीडियोस मैंने यूट्यूब पर देखे हैं.  जिनमें अलग-अलग बातें बताई जाती हैं. और आप स्वयं देख कर जान पाए ऐसा भी बताया जाता है.लेकिन हमें नहीं लगता कि कोई साधारण व्यक्ति आसानी से अपना अल्ट्रासाउंड स्कैन देख कर जल्दी से यह बता पाए कि उसके गर्भ में लड़का है या लड़की है. सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में बच्चा लड़का होने के संकेत कोई अनुभवी डॉक्टर ही बता सकता है, जिसे अल्ट्रासाउंड करने का अच्छा लंबा अनुभव होता है.

दोस्तों डॉक्टर किस तरह से पता लगा सकते हैं, इस बात पर चर्चा करते हैं.

सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण

पहली तिमाही में एक लड़का होने के प्रमुख लक्षण जो अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता चल सकते हैं.

दोस्तों अल्ट्रासाउंड के द्वारा व्यक्ति किस तरह से पता लगाएं कि उसके यहां कौन से संतान आने वाली है. इसके लिए हमने यूट्यूब पर देखा कि वह बच्चे की धड़कन को देखकर इस बात का आईडिया लगाते हैं जैसे कि

अगर धड़कन 138 और 155 के बीच में होती है जो गर्भ में लड़का होना माना जाता है. और वही धड़कन 155 से ऊपर या 138 से नीचे होती है तो गर्भ में लड़की है तो हम यह कैसे निश्चित करेंगे कि लड़की की धड़कन 138 से नीचे ही आएगी और या फिर 155 से ऊपर आएगी बीच में क्यों नहीं आ सकती है, तो इसका लॉजिक थोड़ा सा हमें समझ नहीं आया.

फिर हमने और सर्च किया थोड़ा सा जानने की कोशिश की इधर से उधर से तो दो तरीके पता लगे और एक-दो छोटी बातें हमें समझ में आई है, जो हम आपको  शेयर करने जा रहे हैं. लेकिन इतना जरूर समझ में आया है कि आप और हम जैसे साधारण व्यक्ति अल्ट्रासाउंड देखकर इस बात का पता नहीं लगा सकते हैं.

अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण (अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है)

अगर आप जानना चाहते हैं अल्ट्रासाउंड में लड़के की पहचान क्या है तो अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण इस प्रकार से  हैं. इन लक्षणों को पहली तिमाही में एक लड़का होने के लक्षण के रूप में जाना जाता है.

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भ्रूण के सिर के आकार से लिंग का अनुमान लगाना – Gender prediction by fetal head

अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है, बहुत से अनुभवी चिकित्सक जो लगातार गर्भवती स्त्री का स्कैन करते हैं. अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी करते हैं. वह धीरे धीरे इतने जानकार हो जाते हैं, कि वह गर्भस्थ शिशु के छोटे से छोटे आकार में आए परिवर्तन को बड़ी आसानी से पहचान लेते हैं.

बहुत से चिकित्सक बच्चे के सिर के आकार को देखकर ही इस बात का पता बता देते हैं, कि गर्भस्थ शिशु आगे चलकर एक कन्या है, या एक लड़का होगा . भ्रूण की उम्र कम से कम 12 हफ़्ते होनी चाहिए.

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सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण

क्योंकि पुरुष और स्त्री दो अलग-अलग आइडेंटिटी होती हैं. और उनके अंदर काफी कुछ अलग भी होता है. इसे देखकर वह बता देते हैं.  अधिकतर मामले में नर शिशु, मादा शिशु में थोड़ा सा अंतर तो होता ही है.और उनके विकास की अपनी-अपनी एक विधि होती है.

अपने स्कैन के द्वारा एक चिकित्सक वर्षों से ही शिशु को बड़े होते हुए देखता है, तो लड़का और लड़की के विकास के क्रम को प्रारंभिक अवस्था से ही पहचानने लगते हैं.

वह केवल सिर के आकार को देखकर ही नहीं बता सकते बल्कि वह और भी बहुत कुछ  मेजरमेंट करके इस बात को बता सकते हैं कि गर्भ शिशु का लिंग क्या है.

यह सब कुछ उनके अपने अनुभव के आधार पर ही होता है. अपने अनुभव के आधार पर, हर एक चिकित्सक का अपना अलग अलग तरीका होता है .

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नब लिंग परीक्षण – Nub Gender Prediction

अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा लड़का के संकेत में अगला संकेत कुछ टेक्निकल है। इसमें तो सिर्फ आपको मेजरमेंट करना है। प्रेगनेंसी के शुरुआती लगभग 11 से 13 हफ्तों तक उनके पैरों के बीच में एक ट्यूबरकल नाम का जननांग मौजूद होता है। जिसे नब कहा जाता है।

यही जननांग आगे चलकर लिंग का निर्धारण भी करता है. अगर नब का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री अधिक बनता है, तो यह गर्भ में लड़का होने की मौजूदगी का संकेत है।

और इसी तरह अगर नव का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री से कम बनता है, तो यह लड़की की मौजूदगी का संकेत है।

अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा  लड़का होने का संकेत और लड़की होने का संकेत है। नब लिंग परीक्षण के ज़रिए बच्चे का लिंग जानने के लिए गर्भवती महिला के अल्ट्रासाउंड स्कैन की ज़रूरत पड़ती है।

स्कैन से मिली तस्वीर में बच्चे का लिंग जानने के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से नब का कोण मापना चाहिए।

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यह थे बेबी जेंडर अल्ट्रासाउंड टिप्स, दोस्तों यह तरीके लगभग 100% सही सही आपको गर्भ में आपके भ्रूण के संबंध में बता सकते है। लेकिन दोस्तों अगर आप भ्रूण हत्या के उद्देश्य से यह चेक करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए कानून में सख्त कार्यवाही का प्रावधान है। जिसके अंदर जुर्माना और जेल दोनों होती हैं।

कुछ और साधारण से तरीके हैं जिनके द्वारा आप पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन यह 100% सही रिजल्ट नहीं देते हैं.

जैसे कि आप बेकिंग सोडे से भी पता लगा सकते हैं यह घरेलू विधि है इस परीक्षण में 1 दिन पहले गर्भवती महिला को दिनभर अधिक से अधिक पानी पीना है इसके बाद अगले दिन महिला सुबह के पहले पेशाब का नमूना ले उसमें बराबर मात्रा में बेकिंग सोडा मिला दे ।

अगर इस मिश्रण में झाग बनने लगते हैं,  इस तरह से तो गर्भ में लड़का मान लिया जाता है।

अगर बेकिंग सोडा मिलाने पर किसी भी प्रकार की हलचल नहीं दिखाई पड़ती है।  मान लिया जाता है, कि गर्भ में कन्या है।
लेकिन हमने बताया यह कोई 100% सही तरीका नहीं है.

5 टिप्पणी

    • वर्तमान भारतीय कानून के अंतर्गत आप अल्ट्रासाउंड से लिंग का पता नहीं लगा सकते, और ना ही इस बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं और ना ही कोई इस विषय में पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जानकारी दे सकता है.

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