हम चर्चा करने वाले हैं प्रेगनेंसी के दौरान क्या प्रेगनेंसी में फ्रिज का ठंडा पानी पीना चाहिए.
आज हम आपके सामने कुछ पॉइंट्स रखने जा रहे हैं. जिसमें हम इसके पानी के बारे में और उसके असर के बारे में बात करने वाले हैं. जिसे समझ कर आप इस बात का एरिया बड़ी आसानी से लगा सकते हैं, कि आपको प्रेगनेंसी के दौरान फ्रिज का ठंडा पानी पीना चाहिए या नहीं पीना चाहिए. आइए चर्चा करते हैं.
दोस्तों जैसे कि गर्मियों का मौसम होता है या आपको बरसात के मौसम में किसी कारणवश बहुत ज्यादा गर्मी लग रही है, आपको प्यास भी लग रही है तो ऐसे में मन करता है कि एक गिलास ठंडा पानी मिल जाए, जिससे कि कलेजे को राहत मिले, प्यास बुझ जाए.
दोस्तों हम नॉर्मल परिस्थितियों में फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं तो किसी भी प्रकार की दिक्कत हमें सामने नहीं आती है, लेकिन जब महिला गर्भवती होती है तो उस समय ठंडा पानी पीने से शरीर में किस प्रकार के बदलाव नजर आते हैं या ठंडा पानी पीने का क्या असर होता है. उसे जान लेते हैं.
अगर हम फ्रिज का ठंडा पानी पी रहे हैं तो ऐसा नहीं है किसका फायदा नहीं होता है इसका एक ही फायदा होता है कि हमारे मन को संतुष्टि मिलती है शरीर में उठने वाली गर्मी को शांति प्राप्त होती है लेकिन इस शांति की हमें कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है यह हम नहीं जानते हैं. बात करते हैं ठंडा पानी पीने के नुकसान अर्थात फ्रिज का ठंडा पानी पीने के नुकसान
संक्रमण का खतरा
अगर महिला लगातार ठंडा पानी पीती रहती है तो ऐसे में शरीर का इम्यून सिस्टम खराब होता है और जिसकी वजह से असर यह आता है कि हमारे शरीर में सुप्त अवस्था में पड़े वायरस एक्टिव हो जाते हैं और संक्रमण का खतरा बन जाता है.
खराब पाचन तंत्र
हमारे शरीर का एक तापमान है, और उसी पर शरीर सबसे अच्छी तरह से कार्य करता है.
जब हम काफी ठंडा पानी पी लेते हैं तो इससे हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ हमारी आंते ही सिकुड़टी हैं हर एक पदार्थ ठंड में सिकुड़ता है, और हमारी आंते भी सिकुड़ जाती हैं.
ऐसे में हमारी आंते ठीक ढंग से भोजन को नहीं पचा पाती हैं. जिससे हमारा पाचन तंत्र खराब हो जाता है. पाचन तंत्र खराब होने से हमें कब्ज की समस्या, एसिडिटी की समस्या और गैस की समस्या होने लगती है.
प्रेगनेंसी में तो वैसे भी हारमोनल परिवर्तन के कारण पाचन तंत्र खराब रहता है, और ठंडा पानी पी लेने से तो यह और ज्यादा बिगड़ जाता है. खराब पाचन तंत्र के कारण शरीर हमारे भोज्य पदार्थों से सभी प्रकार के पोषक तत्व अवशोषित नहीं कर पाता है. जिसका खामियाजा हमारे गर्भस्थ शिशु को उठाना पड़ता है. गर्भस्थ शिशु का विकास हर तरह से बाधित होता है.
अत्यधिक ठंडा पानी पीने से हमारी आते ही नहीं शरीर की कोशिकाएं भी सिकुड़ जाती हैं, और वह अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पाती हैं.
इससे हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म और सेहत दोनों पर इसका सीधा असर पड़ता है. और यह हमारी धड़कनों को भी कम कर देता है. धड़कने का कम होना अर्थात शरीर में रक्त का प्रवाह कमजोर होना, रक्त का प्रवाह कमजोर होना अर्थात शरीर में ऑक्सीजन का आवागमन कम होना, कम आवागमन होना अर्थात ऑक्सीजन का कम कोशिका तक पहुंचना या गर्भस्थ शिशु तक पहुंचना अर्थात विकास में बाधा.