आप हम सभी जानते हैं, कि यह माना जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए और यह गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है.
एक स्टडी के अनुसार यह बात भी सामने आई है, अगर माता अधिक समय तक प्रेगनेंसी के दौरान नींद लेती है तो यह गर्भस्थ शिशु के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. ऐसा क्यों होता है इसको लेकर हम चर्चा कर रहे हैं.
अगर गर्भवती महिला प्रेगनेंसी के दौरान 8 घंटे से अधिक अर्थात 9 घंटे या उससे अधिक समय तक सोती है तो यह गरबा शिशु के लिए खतरे की घंटी माना जाता है. इसके पीछे कुछ कारण बताए गए हैं जो इस प्रकार से है
हारमोंस का उतार-चढ़ाव
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में काफी सारे हार्मोन बनते हैं, ऐसे में बहुत सारे हार्मोन ऐसे होते हैं जो महिला को अनिद्रा की तरफ ले जाते हैं. अर्थात हारमोंस का साइड इफेक्ट यह है की महिला को नींद कम आती है.
अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला अधिक सो रही है, तो आप यह मान सकते हैं कि उन हार्मोन की मात्रा महिला के शरीर में ठीक नहीं है. अब जो हारमोंस प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे की सुरक्षा के लिए और उसके स्वास्थ्य के लिए तथा उसके विकास के लिए कार्य कर रहा है, वह नहीं है या आवश्यकता से कम मात्रा में है, तो फिर नुकसान नजर आता है.
कम रक्तचाप का संकेत
उतार-चढ़ाव वाले हार्मोन गर्भवती माताओं में अनिद्रा की प्रवृत्ति को ट्रिगर कर सकते हैं. प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि और रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर में गिरावट से थकान हो सकती है, जिसकी वजह से उन्हें नींद अधिक आती है.
प्रेगनेंसी के दौरान महिला का रक्तचाप ना तो कम होना चाहिए और ना ही अधिक होना चाहिए. यह नियमित रहना अत्यधिक आवश्यक है.
स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद विकार है. इसके अंदर बार-बार स्वास्तिक जाती है, और फिर चलने लगती है. अगर महिला पूरी रात सोने के बाद भी सुबह उठते समय अपने आपको थका हुआ महसूस करती है, तो उसे यह बीमारी हो सकती है. इसमें महिला को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेने की आवश्यकता होती है.
क्योंकि इसकी वजह से गर्भस्थ शिशु को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. असल में यह रोग गर्भावस्था के दौरान हार्मोन परिवर्तन की वजह से हो सकता है.
तनाव के कारण
कई बार महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन साइड इफेक्ट की वजह से तनाव की समस्या या डिप्रेशन की समस्या काफी ज्यादा हो जाती है.
ऐसे में महिला का दिमाग बहुत ज्यादा काम करता है. महिला का शरीर भले ही काम ना करें, लेकिन मस्तिष्क काम करता है, तो महिला को बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है.
और उसे अधिक आराम करने की इच्छा होने लगती है. अगर तनाव के कारण महिला को अधिक आराम करने की आवश्यकता हो रही है, तो आराम करने में तो कोई दिक्कत नहीं है.
लेकिन तनाव की वजह से महिला की एनर्जी गर्भस्थ शिशु के लिए प्रयोग नहीं होकर मस्तिष्क के अंदर जो विचार का तूफान आया हुआ है उसके लिए खर्च हो रही है. इस वजह से बच्चे के पोषण में कमी आती है, जो शिशु के लिए ठीक नहीं है. प्रेगनेंसी के दौरान दुख पहुंचा सकती है.
प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के BODY की कमी शिशु को जीवन भर दुख पहुंचा सकती है. परेशान कर कर सकती है.
अगर आपको लगता है , गर्भवती महिला को लगता है या उसके परिवार वालों को लगता है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिला 8 घंटे से ज्यादा अधिक नींद ले रही है और नींद लेने के बाद उसे थकावट महसूस होती है तो फिर उसकी गतिविधियों पर नजर रखें. उसके कारण को जानने की कोशिश करें, और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें.