घरेलू तरीकों से गर्भपात के क्या क्या नुकसान हो सकते हैं, और वह कौन-कौन से तरीके हैं, जिन्हें डॉक्टर गर्भपात के लिए सुरक्षित मानते हैं.
घर पर ही गर्भपात घरेलू तरीकों से कराने के बहुत सारे जोखिम होते हैं. डॉक्टर के अनुसार यह वह लक्षण है, जो घरेलू गर्भपात के कारण महिला को नजर आ सकते हैं.
गर्भपात के बाद लक्षण
डॉक्टर घरेलू गर्भपात को अत्यधिक रिस्की मानते हैं. उनके अनुसार घरेलू उपाय उसे गर्भपात कराने पर महिलाओं को एलर्जी हो सकती है. महिला को रिएक्शन हो सकता है. जिससे उसे उल्टी और चक्कर आ सकते हैं. डॉक्टर्स मानते हैं, कि कई मामलों में महिला की मृत्यु तक हो सकती है.
घरेलू तरीके से गर्भपात आधा अधूरा रह सकता है. शरीर के अंदर कुछ टिशू अर्थात कुछ हिस्सा रह सकता है. जिसकी वजह से गर्भाशय में संक्रमण फैल सकता है, और आगे भी मां बनने की संभावनाएं क्षीण हो सकती हैं.
गर्भपात के यह घरेलू असुरक्षित तरीके अपनाने से महिला को भारी रक्तस्राव की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. कभी-कभी महिला को पेट में भयानक दर्द की संभावना भी बन जाती है. कई बार असहनीय पीड़ा या दर्द की वजह से महिला सदमे में जा सकती है.
ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह विश्वसनीय नहीं है और इन्हें अपनाने के बाद भी गर्भावस्था चालू रह सकती है. साथ ही होने वाला शिशु को बर्थ डिफेक्ट की समस्या हो सकती है.
सुरक्षित गर्भपात के घरेलू तरीके
मैं पर्सनली बताना चाहता हूं कि सुरक्षित गर्भपात जैसी कोई चीज नहीं होती है. बस कहीं रिस्क थोड़ा सा अधिक होता है और कहीं रिस्क काफी कम होता है.
इसी आधार पर सुरक्षित और असुरक्षित बताया गया है. अगर शरीर के साथ कोई भी कार्य उसकी इच्छा के विरुद्ध किया जाता है, तो उसमें कुछ ना कुछ नुकसान होता ही है.
सर्जिकल गर्भपात
सर्जिकल गर्भपात
डॉक्टर्स के अनुसार सर्जिकल गर्भपात, गर्भपात का एक काफी सुरक्षित विकल्प होता है, लेकिन इसमें भी वही सब रिस्क होते हैं, जो रिस्क सर्जरी के समय होते हैं, लेकिन डॉक्टर से से सुरक्षित तरीका मानते हैं.
यह वह तरीका है जिसमें गर्भपात पूर्ण रूप से कंप्लीट हो जाता है.
12 सप्ताह सर्जिकल गर्भपात
12 सप्ताह सर्जिकल गर्भपात
12 सप्ताह के बाद की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए भी पहली तिमाही की तरह ही सर्जरी हो सकती है, लेकिन उससे पहले कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है.
गर्भाशय ग्रीवा को नरम करने के लिए कुछ हार्मोनल दवाओं को योनि में रखा जा सकता है. जब गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह खुलने की स्थिति में आता है, तब सर्जरी कर दी जाती है।
मेडिकल गर्भपात
मेडिकल गर्भपात
कुछ मेडिसिंस की उचित मात्रा के साथ डॉक्टर महिला को शुरू के 9 हफ्ते के अंदर अंदर गर्भपात कराने की प्रक्रिया अपनाते हैं, और इसमें 99% तक सफलता मिल जाती है.
क्योंकि यह दवाइयां जो डॉक्टर डिस्क्राइब करते हैं. यह प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस के प्रोडक्शन को रोक देती है और साथ में जो दूसरी मेडिसन दी जाती है, वह गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर देती है. इन दोनों वजह से गर्भपात बड़ी आसानी से हो जाता है.
प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस की अधिक मात्रा यह सिग्नल देती है कि महिला को प्रेगनेंसी है और उसकी मात्रा समाप्त हो जाने पर या कम हो जाने पर शरीर को यह सिग्नल जाता है कि महिला गर्भवती नहीं है.
12 हफ्ते से पहले
12 हफ्ते से पहले
12 हफ्ते या उससे कम समय की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सर्जिकल अबोर्शन की जरूरत पड़ती है.
इस प्रक्रिया में योनिद्वार से गर्भाशय ग्रीवा को उपकरण की मदद से खोला जाता है, और फिर एक पतली ट्यूब गर्भाशय में डाली जाती है.
इस ट्यूब में वैक्यूम होता है, जो भ्रूण और प्लेसेंटा को कोमलता से खींच लेता है. इसके बाद गर्भाशय खाली हुआ या नहीं इसकी जांच के लिए अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है.