18 वीक प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड क्यों जरूरी

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प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले 18 वीक प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड को लेकर चर्चा कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं कि प्रेगनेंसी के 18 हफ्ते के दौरान अल्ट्रासाउंड क्यों आवश्यक होता है.
अल्ट्रासाउंड से किन-किन बातों का पता चल सकता है.
अल्ट्रासाउंड के कारण किस प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं और
अल्ट्रासाउंड के द्वारा कौन-कौन सी असमान्यताएं पता चलती हैं.

हमारा वातावरण इतना दूषित हो चुका है, साथ ही साथ हमारा भोजन भी इतना दूषित हो चुका है, कि शरीर में इतनी ताकत ही नहीं होती है, कि वह कुछ एक्स्ट्रा कार्य कर पाए.

प्रेगनेंसी अपने आप में बहुत बड़ा काम होता है. शरीर को बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता होती है, और इतनी जान शरीर के अंदर होती ही नहीं है. इसलिए आजकल प्रेगनेंसी की देखभाल करने की बहुत ज्यादा आवश्यकता पड़ती है.

ऐसे में लगभग 3 अल्ट्रासाउंड प्रेगनेंसी के दौरान किए जाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं कि 18 हफ्ते में अल्ट्रासाउंड की क्या आवश्यकता होती है.

गर्भावस्था के 18-20वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन आपकी नियमित जांच का एक हिस्सा होता है.

प्रेगनेंसी के 18 से 20 हफ्ते में अल्ट्रासाउंड क्यों जरूरी

18 वीक प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड

इसके कुछ मुख्य कारण है जैसे कि —

  1. भ्रूण के चारों तरफ जो एमनीओटिक द्रव होता है. उसकी जांच की जाती है. उसकी मात्रा सही है, या नहीं है.
  2. इसके द्वारा प्रसव की तारीख का भी अनुमान लगाया जाता है.
  3. गर्भाशय ग्रीवा और जन मार्ग की जांच की जाती है. आगे कोई समस्या तो नहीं होगी.
  4. प्लेसेंटा की स्थिति को देखा जाता है.
  5. भ्रूण की आयु को जानने की कोशिश की जाती है.

अल्ट्रासाउंड की तैयारी

अल्ट्रासाउंड की तैयारी के लिए कुछ खास करने की आवश्यकता नहीं होती है. बस आपको पानी पीना होता है. जब आपको मूत्र का प्रेशर रहता है, तो उस वक्त अल्ट्रासाउंड किया जाता है.

जब भी आप अल्ट्रासाउंड कराने आए तो कम से कम 1 घंटे का समय निकाल कर अवश्य आएं. क्योंकि इसके लिए 30 से 35 मिनट का समय लगता है, और आपको अगर मूत्र का प्रेशर नहीं है, तो फिर उसके लिए भी आपको अलग से इंतजार करना होगा. यह बात यह बात वर्किंग महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है.

अल्ट्रासाउंड से आप क्या जान पाएंगे

यदि आप पहली बार अल्ट्रासाउंड करवा रही है तो डॉक्टर आपको यह बताएंगे कि आपके गर्भ में कितने शिशु हैं. साथ ही साथ आप की डिलीवरी कब तक हो सकती है. इस संबंध में भी जानकारी देंगे.

आप डॉक्टर की मदद से स्क्रीन के ऊपर अपने शिशु को देख पाएंगे. अब तक शिशु मानव आकृति ले लेता है. इस अल्ट्रासाउंड के बाद आपका आपके शिशु के प्रति बाउंडिंग और मजबूत हो जाएगी.

अभी तक ऐसा देखने में नहीं आया है, कि अल्ट्रासाउंड का दुष्प्रभाव दिखाई दिया हो. हालांकि किसी भी प्रक्रिया को अगर काफी ज्यादा बार प्रोसेस में लाया जाता है, तो दिक्कत आ सकती है.

लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान मात्र तीन ही अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं. अगर कोई स्पेसिफिक समस्या सामने आ जाती है, तो उसके लिए ज्यादा अल्ट्रासाउंड भी करने पर सकते हैं. माना जाता है कि शिशु अत्यधिक नाजुक होता है इसलिए अल्ट्रासाउंड की किरणें उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है.

अल्ट्रासाउंड किन समस्याओं को बता सकता है

अगर शिशु में कुछ विशेष प्रकार की समस्या होती है जैसे कि —–

  • अंगों का असामान्य होना छोटे या बड़े होना या अनुपस्थित होना,
  • शिशु के होठों का फटे होना,
  • महिला के पेट की दीवार या गर्भाशय की दीवार में किसी प्रकार की समस्या या उसके अंदर दोष होना,
  • महिला के अन्य अंगों पर क्या प्रभाव प्रेगनेंसी का पड़ता है, वह देखना.
  • गर्भस्थ शिशु में गुर्दे की गंभीर समस्या,
  • रीड की हड्डी की गंभीर समस्या,
  • मस्तिष्क का विकास,
  • गुणसूत्रों की असमानता,
  • हृदय की गंभीर समस्या या बच्चे की पेट और छाती की समस्या यह सब अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता लगाने की कोशिश की जाती है.

इस दौरान एक अल्ट्रासाउंड होना काफी जरूरी होता है. यह बच्चे के विकास से संबंधित आवश्यक जानकारी हमें देता है. अगर किसी भी प्रकार की कोई समस्या डॉक्टर को नजर आती है, तो वह उसके लिए इलाज चला सकते हैं. आपकी डाइट में परिवर्तन कर उस कमी को पूरा करने की कोशिश कर सकते हैं.

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