आज हम चर्चा करने वाले हैं कि गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड क्यों महत्वपूर्ण होता है.अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या होता है. क्या अल्ट्रासाउंड स्कैन सुरक्षित माना जाता है. अल्ट्रासाउंड स्कैन किस लिए किया जाता है. कौन अल्ट्रासाउंड स्कैन कर सकता है. यह अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है.
क्या अल्ट्रासाउंड में तकलीफ होने का डर रहता है इस पर भी बात करेंगे —–
अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या होता है – Ultrasound Scan Kya Hota Hai
अल्ट्रासाउंड एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन द्वारा किया जाता है. जिसके अंदर एक ऊंची फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगे महिला के पेट के जरिए गर्भाशय तक जाती हैं. और यह तरंगे गर्भस्थ शिशु को छूकर वापस आ जाती है.
यह तरंगे जिस आकार में वापस आती हैं. कंप्यूटर उन तरंगों को पकड़कर उसका आकार उसी के अनुसार कंप्यूटर के स्क्रीन पर देता है. शुरुआती समय में ब्लैक एंड वाइट अल्ट्रासाउंड स्कैन नजर आते थे. लेकिन आज के समय में कलरफुल स्कैन भी अब नई मशीनों में आने लगे हैं.
बच्चे के शरीर का जो भी ठोस भाग है. जिससे तरंगे ज्यादा परिवर्तित होती हैं. वह सफेद दिखाई पड़ता है. जो थोड़े से मुलायम उत्तक होते हैं. वह थोड़े सिलिटी, ग्रे कलर के नजर आते हैं.
जैसे कि बच्चा जिस द्रव में होता है, जिसे एमनियोटिक द्रव्य कहते हैं. वह तरंगों उसके आर पार चली जाती है. तो जो तरंगे वहां से वापस नहीं आती हैं. वह हिस्सा ब्लैक नजर आता है. काला नजर आता है. इस उभरे हुए चित्र के बारे में एक डॉक्टर बहुत अच्छे से बच्चे की स्थिति को एक्सप्लेन कर सकता है.
भारत में अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिये शिशु का लिंग बताना गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है. इसलिए, आपको यह पता नहीं चल सकता कि आपके गर्भ में बेटा है या बेटी. मगर, फिर भी अल्ट्रासाउंड के जरिये अपने शिशु की पहली तस्वीरों को देखकर आपका और शिशु का रिश्ता और मजबूत हो सकता है.
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अल्ट्रासाउंड स्कैन सुरक्षित माना जाता है- Kya Ultrasound Scan Safe Hai
लगभग 35 से 40 वर्षों से अल्ट्रासाउंड का प्रयोग भारत के अंदर हो रहा है, और आज के समय में तो 3D, 4D रंगीन अल्ट्रासाउंड तक अब आने लगे हैं जो कि काफी लोकप्रिय भी हैं.
कुछ लोगों का मानना है अल्ट्रासाउंड गर्भस्थ शिशु को काफी नुकसान पहुंचाता है. जिससे काफी बीमारियां होने का डर रहता है. लेकिन ऐसा कुछ भी अभी तक सामने नहीं आया है. जिससे कि यह सब बातें सिद्ध हो सके.
कुछ चीजें हैं जो कि लोग मानते हैं जैसे कि–
जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, अल्ट्रासाउंड की वजह से हो सकता है.
दृष्टि शक्ति, सुनने की क्षमता या जन्म दोष यह अल्ट्रासाउंड की वजह से हो जाते हैं.
लेकिन इसका कोई आधार अभी तक नजर नहीं आया है. लेकिन इतना जरूर है कि अल्ट्रासाउंड बिना वजह आवश्यकता से ज्यादा नहीं करना चाहिए.
अल्ट्रासाउंड स्कैन किस लिए किया जाता है – Ultrasound Kis Lia Kia Jata Hai
भारत में मुख्यतः तीन अल्ट्रासाउंड किसी भी गर्भवती स्त्री के करना डॉक्टर बताते हैं.
एक शुरुआती समय में, एक प्रेगनेंसी के दूसरी तिमाही में और एक तीसरी तिमाही में अंतिम समय से कुछ पहले. हर अल्ट्रासाउंड का अपना अपना अलग-अलग मकसद होता है. हम बता दें अल्ट्रासाउंड से डॉक्टर क्या क्या जानना चाहते हैं –
- अगर महिला को रक्त स्राव की समस्या हो रही है तो भी अल्ट्रासाउंड होता है.
- आपके शिशु को माप कर आपकी गर्भावस्था का सही-सही पता लगाना इसके लिए भी अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
- शिशु की धड़कन को जानने के लिए.
- आपके गर्भ में एक शिशु है या एक से ज्यादा शिशु पल रहे हैं इस संबंध में भी अल्ट्रासाउंड से ही पता लगता है.
- अस्थानिक गर्भावस्था जिसमें भ्रूण गर्भ से बाहर फल फूल रहा होता है फेलोपियन ट्यूब के अंदर. उसका पता लगाने के लिए भी अल्ट्रासाउंड का प्रयोग होता है.
- 11 से 14 सप्ताह के बीच में शिशु की गर्दन के पीछे स्थित तरल का पता एनटी स्कैन द्वारा लगाया जाता है जो उस डाउन सिंड्रोम के खतरे को बताता है.
- ब्लड स्क्रीनिंग टेस्ट में जो अनियमितताएं सामने आती हैं उसके कारण का पता लगाने के लिए भी किया जाता है.
- अपरा और शिशु के बीच में रक्त प्रवाह जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
- स्कैन द्वारा बच्चे की ग्रोथ को देखा जाता है.
- एमनीओटिक द्रव की मात्रा और अपरा की स्थिति भी अल्ट्रासाउंड के द्वारा क्लियर होती है.
- कुछ जन्मजात दोषों और बीमारियों का पता अल्ट्रासाउंड से लग जाता है.
- बच्चे के अंग सामान्य रूप से विकसित हो रहे हैं कि नहीं हो रहे हैं यह पता चल जाता है.
ऐसे ही काफी सारी बातों का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है
कौन अल्ट्रासाउंड स्कैन कर सकता है – Kun Ultrasound Scan Ker Sakta Hai
अल्ट्रासाउंड कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से नहीं कर सकता है. अल्ट्रासाउंड विशेष प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टर द्वारा ही किया जाता है. जो कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं. उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए सर्टिफाइड किया जाता है.
भारत में मानक निर्धारण करने वाले उपयुक्त प्राधिकरण के साथ पंजीकृत क्लीनिक में ही अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
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