सुमित कुमार ने अपनी एक आपबीती कथा हमें भेजी है जिसे हम आपको शेयर कर रहे हैं इस कहानी का शीर्षक बड़ा ही रोचक है अक्ल बड़ी की भैंस जहां आपको भैंस अकल से बड़ी नजर आएगी. कभी कभी ऐसा हो जाता है क्योंकि अपवाद हर जगह होता है.
सुमित कक्षा 9 में हिंदी की क्लास में पढ़ाई कर रहा था तभी मुहावरा अक्ल बड़ी की भैंस पर चर्चा हो रही थी.
और गुरु जी समझा रहे थे बल और बुद्धि में हमेशा बुद्धि ही श्रेष्ठ होती है, हमेशा वही जीतती है.
बुद्धि बड़ी की बल बड़ा है इस पर कक्षा में गुरु जी द्वारा लाइव एग्जांपल बताने के लिए कहा गया की, छात्र बताएं उनके जीवन में ऐसी कौन-कौन सी घटनाएं घटी है जहां पर बल ने बुद्धि और बुद्धि ने बल को पछाड़ दिया हो.
सभी छात्र अपने जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं को बता रहे थे जहां वह कह रहे थे बुद्धि हमेशा बल पर विजय होती है.
![अक़्ल बड़ी कि भैंस | कभी-कभी भैंस भी बड़ी हो जाती है अक़्ल बड़ी कि भैंस | कभी-कभी भैंस भी बड़ी हो जाती है](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFvlSgRFdBFMeRTH_WR4JNG16gatJtcbpLsfT__1Y4AuSk7G5PMY4ycI6Kq0yski0c7avF78w9hB-ILO4_I18KiaIraDGHzko1IeOBYBrY0MlohwF04N1OIM4OaJfvRRzmX1eYot7_Iu12e1UZZ-YhSziXYH6VFBUVwyZzlKa7BjCYJ1gi9jqz5M-c/w640-h360/%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%20%E0%A4%AC%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%B8.png)
छात्र अंकित द्वारा बताया गया कि पिछले दिनों एक दंगल हुआ था जहां पर एक कमजोर से पहलवान ने एक अपने से ज्यादा ताकतवर पहलवान को दो से तीन बार उठाकर पटक दिया था यह उसकी चतुराई और बुद्धि का ही कमाल है.
क्लास में सभी ने उसकी बात पर सहमति जता दी लेकिन उस दंगल को अंकित के साथ-साथ सुमित ने भी देखा था तभी सुमित ने खड़ा होकर बोला कि जब वह कमजोर पहलवान ताकतवर पहलवान को पटक रहा था तो उसी वक्त वह उसके नीचे आ गया और उसका हाथ टूट गया और वह बेहोश भी हो गया था. और वह दंगल पूरा भी नहीं खेल पाया. यहां तो उसकी बुद्धि बल के आगे फेल हो गई और भैंस अकल से बड़ी नजर आ रही है.
इस पर सभी छात्र अपने गुरु जी की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगे और यह देखकर गुरुजी थोड़े से असहज स्थिति में आते हैं.
गुरुजी मुस्कुराते हुए बोले कभी-कभी भैंस भी अकल से बड़ी हो जाती है.
सुमित बताते हैं कि कोई भी कहावत मुहावरा या कोई भी बात हमेशा 100% सच नहीं होती है कहीं ना कहीं उसका अपवाद मिल जाता है. सब कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है. कई बार परिस्थिति किसी कमजोर के साथ तो कई बार मजबूत व्यक्ति के साथ हो सकती हैं.
इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर आप 10 बार बुद्धि और बल का मुकाबला कर आएंगे तो 5 बार से अधिक समय बुद्धि ही विजय होगी लेकिन कभी ना कभी बल को भी मौका अवश्य मिलेगा.