रियल स्टोरी जब पत्नी ने पति का फायदा उठाया और एक सीख

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 हम आपके सामने राम सिंह जी की एक आपबीती आपके सामने लेकर प्रस्तुत हैं. राम सिंह जी के जीवन में घटित इस घटना से हम काफी बड़ी सीख भी ले सकते हैं. इस पर विवाद में चर्चा करेंगे पहले थोड़ा सा राम सिंह जी के बारे में जान लेते हैं किस वजह से यह घटना घटी.

हमने कई बार इस प्रकार की घटनाएं बहुत से लोगों के जीवन में घटते हुए देखा है, जो किसी और रूप में उनके साथ घट सकती है.

राम सिंह जी एक सरकारी विभाग में इंजीनियर है.

 पहले थोड़ा सा राम सिंह जी के बारे में जान लेते हैं. राम सिंह जी एक लोअर मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते थे,  और ग्रामीण पृष्ठभूमि उनकी है. अपने जीवन के शुरुआती समय में उन्होंने गांव के ही सरकारी स्कूल से कक्षा 5 तक की और उसके बाद कक्षा 8 तक की शिक्षा प्राप्त की.

कक्षा 9 से लेकर 12 तक की शिक्षा उन्होंने अपने पास के शहर में जाकर प्राप्त की, जहां वह कमरा लेकर रहा करते थे, और पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने अपने खाने पीने की व्यवस्था भी स्वयं करनी थी.

राम सिंह जी छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे. अपनी पढ़ाई भी किया करते थे, और खाने की व्यवस्था भी स्वयं ही किया करते थे. इस प्रकार से वह खाना बनाने में काफी निपुण हो गए थे. 

1995 के बाद देश के अंदर प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेस की बहार आ गई. लेकिन उससे पहले कुछ ही सरकारी स्कूल हुआ करते थे, जहां पर एडमिशन बहुत मुश्किल से मिला करता था. उसके लिए कंपटीशन देना पड़ता था.

राम सिंह जी एक मेधावी छात्र थे तो उन्होंने इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण करके इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया. अब वह अपने घर से काफी दूर चले आए थे. यहां भी कुछ ऐसी परिस्थिति बनी कि उन्हें हॉस्टल में ना रह कर कॉलेज के पास ही कमरा लेकर रहने की व्यवस्था करनी पड़ी. जहां वह अपनी पढ़ाई के साथ साथ खाने पीने की व्यवस्था भी स्वयं ही देखा करते थे.

 इंजीनियरिंग पूरी होते ही राम सिंह जी की एक सरकारी विभाग में इंजीनियर पद पर नियुक्ति हो गई. 

यहां भी राम सिंह जी आपने जॉब करने के बाद घर का सारा काम स्वयं ही किया करते थे. क्योंकि अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी.
कुल मिलाकर घर के काम करने में वह काफी निपुण हो चुके थे.

रियल स्टोरी जब पत्नी ने पति का फायदा उठाया और एक सीख

एक मध्यम परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की से राम सिंह जी की शादी हो गई. शादी के 6 महीने बाद तक वह ससुराल में ही रही और राम सिंह जी अपनी नौकरी पर चले आए.

 घर में सभी लोगों की सेवा करके उनकी पत्नी ने सभी का मन मोह लिया था. वह काम में काफी निपुण थी. 1 वर्ष होते होते राम सिंह जी ने अपनी पत्नी को मुंबई बुला लिया. अब वह उनके साथ मुंबई में ही रहा करती थी.
अब राम सिंह जी को घर का कार्य नहीं करना पड़ता था. लेकिन राम सिंह जी को घर का कार्य करने की आदत सी थी.

कुछ दिनों बाद राम सिंह जी की पत्नी का की तबीयत थोड़ी सी खराब हो गई और वह शाम का खाना तैयार नहीं कर पाई. वातावरण बदलने से कभी कभी ऐसा हो जाता है.

 राम सिंह जी जब घर पहुंचे तो डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी के लिए और अपने लिए भोजन तैयार कर लिया. दोनों ने भोजन खाया. 

उसके बाद सोने चले गए. सुबह जल्दी उठकर राम सिंह जी ने घर की सफाई की और दोनों के लिए नाश्ता भी तैयार कर दिया था और वह अपनी नौकरी पर चले गए. दोबारा से रसोई में जाकर राम सिंह जी को काफी अच्छा लगा.

राम सिंह जी की पत्नी काफी पढ़ी लिखी थी और समझदार भी थी. उन्हें धीरे-धीरे समझ में आया कि राम सिंह जी को घर का काम करने में काफी मजा आता है, और उन्हें आदत सी है. 

   
अब धीरे-धीरे जब भी राम सिंह जी की पत्नी का मन नहीं होता तो वह खाना नहीं बनाती थी. थोड़ा सा तबीयत खराब का बहाना कर देती थी, तो राम सिंह जी स्वयं ही शाम का भोजन भी दफ्तर से आने के बाद तैयार कर लिया करते थे.

कभी-कभी तो वह खाना नहीं बनाने का मन है. यह कहकर बाहर खाना खाने के लिए भी बोलती थी और राम सिंह जी को ना चाहते हुए भी जाना पड़ता था. क्योंकि वह बाहर का खाना नहीं खाते थे.
इधर राम सिंह जी की भी तरक्की हो रही थी, और उनके ऊपर भी ऑफिस में काम का प्रेशर काफी ज्यादा आने लगा था. 

धीरे-धीरे राम सिंह जी को समझ में आने लगा कि उनकी पत्नी तबीयत खराब करने का बहाना बनाकर और दूसरे छोटे-मोटे बहाने बनाकर काम करने से बचती है और वह चाहती है कि मैं ही घर का सारा काम करूं.

अब राम सिंह जी को अपनी पत्नी की इस आदत से काफी ज्यादा परेशानी होने लगी थी. कहां शुरू शुरू में उनकी पत्नी उन्हें काम ही नहीं करने देती थी. अब वह चाहती थी कि घर का भी सारा काम राम सिंह ही करें.

हर दूसरे तीसरे दिन घर में शाम के समय खाना नहीं बनने का नया बहाना होता था. राम सिंह जी को खाना स्वयं बनाना पड़ता था, या फिर होटल पर जाकर खाना खाना पड़ता था.
 

बहुत छोटी छोटी शारीरिक समस्या में जिन से कोई खास फर्क ही नहीं पड़ता है, उन समस्याओं को बताकर उनकी पत्नी ने घर का काम करने से जी चुराना शुरू कर दिया. 

कहीं ना कहीं इसके पीछे राम सिंह की ही आदतें थी. 

अब घर का काम करने के लिए घर में पत्नी थी तो राम सिंह की भी घर का काम करने की आदतें धीरे-धीरे छूट रही थी और परेशानी बढ़ रही थी. अब पानी सर से ऊपर हो चुका था. 

उन्होंने उनकी इस आदत को लेकर अपनी पत्नी पर हाथ उठा दिया. उन्होंने यह तो नहीं बताया कि बात क्या हुई थी लेकिन हाथ उठा दिया और कहा कि —

जो महिला घर के दो छोटे काम नहीं कर सकती है. मात्र 2 लोगों के लिए घर की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकती है. आगे चलकर जब बच्चे होंगे तो कैसे काम चलेगा, वह अब उन्हें उनके घर छोड़ आएंगे.

राम सिंह जी की पत्नी भी पढ़ी लिखी थी वह गलती पर थी, उन्हें शायद मालूम था. पर जब लाभ मिल रहा था तो लाभ लेने में क्या बुराई थी. उन्होंने तुरंत रामसिंह से माफी मांग ली आगे एक मौका देने के लिए कहा, 

राम सिंह जी बताते हैं कि वह दिन है और आज का दिन है उन्हें फिर कभी अपनी पत्नी से कोई शिकायत नहीं आई. 

हालांकि उनका यह भी मानना था कि पत्नी पर हाथ उठाना काफी गलत था, और उन्हें ऐसे ही समझाना चाहिए था, लेकिन परिस्थितियां इतनी विपरीत हो चुकी थी कि वह गलती से यह कर बैठे. जिसके लिए उन्होंने बाद में पत्नी से माफी भी मांगी.

दोस्तों यह कहानी एक वास्तविक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें पात्रों के नाम ने बदल दिए हैं.

हमें एक बात स्पष्ट नजर आती है कि एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति की मदद करना गलत नहीं है, लेकिन मदद इतनी भी ज्यादा ना की जाए कि वह नकारा हो जाए.

 


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