एक प्रश्न :
हम हर महीने प्रेगनेंसी के लिए कोशिश कर रहे हैं, और ओवुलेशन पीरियड के बाद से मेरे स्तनों में भारीपन और हल्के से छुने पर या कपड़े से रगड़ खाने पर या सीढ़ियां चढ़ने उतरने से परेशानी अनुभव होती है. यह प्रेगनेंसी का एक लक्षण है. लेकिन मुझे हर बार पीरियड आ जाता है. ऐसा क्यों हो रहा है.
इसके कारणों पर चर्चा करेंगे. क्योंकि यह एक ऐसा लक्षण है जो पीरियड आने से पहले भी बहुत-सी महिलाओं को नजर आता है, और गर्भवती हो जाने के बाद भी अक्सर महिलाओं के साथ यह लक्षण दिखाई पड़ता है चर्चा करते हैं.
यहां हम आपसे बात करेंगे कि —
यह लक्षण प्रेगनेंसी होने पर किस प्रकार से नजर आता है,अगर आपका हार्मोन अल डिसबैलेंस की समस्या है, और उसकी वजह से यह समस्या नजर आ रही है, तो यह किस प्रकार से नजर आती है और किस समय होती है.
यहां आपको एक छोटी सी बात और बता दें कि सामान्य अवस्था में महिला का जो हारमोंस लेबल रहता है और जितने भी हारमोंस होते हैं उनकी जितनी मात्रा शरीर में रहती है, प्रेगनेंसी होने के बाद वह बदल जाती है.
देखा जाए तो यह भी हार्मोन डिसबैलेंस है. हालांकि यह चेंजेज हमारे फायदे के लिए है. बच्चे की सुरक्षा के लिए तो हम इसे डिसबैलेंस नहीं कहते हैं.
अगर प्रेगनेंसी के बिना इनकी मात्रा में बदलाव आता है, तो हम इसे हार्मोनल डिसबैलेंस कहते हैं. टेक्निकली देखा जाए तो दोनों ही अवस्था में हारमोंस डिसबैलेंस हो जाते हैं.
प्रेगनेंसी होने पर और नहीं होने पर इस प्रकार के लक्षण शरीर में नजर आ सकते हैं.
जब महिला के शरीर में हारमोंस डिसबैलेंस की समस्या नजर आती है तो ओवुलेशन होने के तुरंत बाद इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो यह लक्षण महिला को ओवुलेशन अर्थात पीरियड्स के बाद 15 से 20 दिनों के बाद नजर आने लगते हैं तो यह सीधा सीधा प्रेगनेंसी का लक्षण नहीं माना जाता है,
लेकिन जब प्रेगनेंसी हो जाती है और भ्रूण 25 दिन के बाद गर्भाशय में स्थापित हो जाता है और एचसीजी हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है तो यह एचसीजी हार्मोन महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस की मात्रा को बढ़ाने लगता है.
प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस की मात्रा बढ़ना अत्यधिक आवश्यक होती है. उसका कारण है, जब महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा अधिक रहती है, तो यह पीरियड्स को नहीं आने देता है, जैसे ही पीरियड आने वाले होते हैं तो उस वक्त इस हार्मोन की मात्रा एकदम से कम हो जाती है, और पीरियड आ जाते हैं.
लेकिन ओवुलेशन के बाद इसकी मात्रा आवश्यकता से थोड़ी अधिक हो जाती है तो महिला की ब्रेस्ट में चेंजेज नजर आने लगते हैं, जो की प्रेगनेंसी के लक्षण जैसे होते हैं.
असल में यह प्रेगनेंसी के लक्षण नहीं होते हैं बल्कि इस हार्मोन की अधिकता के लक्षण होते हैं, लेकिन जब गर्भ स्थापित हो जाता है तो यह 25 दिन के बाद प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा लगातार बढ़ती जाती है और 26 वें, 27 वें या 28 वें दिन इस प्रकार के लक्षण नजर आते हैं तो आप समझ सकते हैं कि महिला गर्भवती है.
तो यह स्पष्ट है कि हारमोंस डिसबैलेंस के कारण अगर यह लक्षण लास्ट पीरियड के 15 से 20 दिन के बाद नजर आते हैं तो यह हारमोंस डिसबैलेंस की समस्या है. क्योंकि हारमोंस सामान्य से अधिक हो गया है,
और महिला गर्भवती हो गई है.
इस हार्मोन की मात्रा बढ़नी अत्यधिक आवश्यक होती है तो यह 28 दिनों के आसपास लक्षण नजर आते हैं. इस बात से आप जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं है या हारमोंस की मात्रा में परिवर्तन के कारण मात्र आपको इस प्रकार के लक्षण आ रहे हैं.
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इन लक्षणों का मतलब आगे प्रेगनेंसी नहीं चाहिए
अगर प्रेगनेंसी हारमोंस बढ़ते हैं तो यह हार्मोन शरीर को मैसेज देते हैं कि महिला को प्रेगनेंसी हो गई है और आगे महिला को प्रेगनेंसी की आवश्यकता नहीं है यह प्रेगनेंसी की प्रोसेस को रोक देती हैं देते हैं.
अब यहां एक बात समझने वाली है कि अगर प्रेगनेंसी के बिना ही यह हारमोंस महिला के शरीर में बढ़ गए हैं तो फिर यह शरीर को इसी प्रकार का मैसेज देते हैं कि अब प्रेगनेंसी की आवश्यकता नहीं है अगर यह लक्षण आ रहे हैं तो आगे आपको प्रेगनेंसी जल्दी से नहीं होगी क्योंकि इस प्रकार के हार्मोन बढ़ने से यह नई प्रेगनेंसी की प्रोसेस को रोक देते हैं.