जब महिला का गर्भावस्था टाइम पूरा हो जाता है, तो उसके बाद प्रसव का समय आ जाता है.
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हफ्तों के बाद कभी भी शिशु जन्म ले सकता है. इसके लिए महिला चाहे तो कुछ
प्राकृतिक तरीके अपनाकर प्रसव क्रिया को प्राप्त कर सकती है.
आज के टॉपिक है
महिला क्यों चाहती हैं कि प्रसव जल्दी से हो जाए.
क्या वास्तव में जल्दी प्रसव होने के बारे में सोचना सही है.
क्या अप्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा प्रेरित करना सुरक्षित होता है.
इन सब टॉपिक पर हम बात करेंगे जिससे आपकी काफी सारे जिज्ञासा प्रसव के संबंध में शांत हो सकती है.
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महिला क्यों चाहती हैं कि प्रसव जल्दी से हो जाए
- आजकल तो डॉक्टर महिलाओं को टाइम दे देते हैं, और अपने अनुसार वह प्रसव का समय निश्चित करते हैं.
- कभी-कभी
स्थिति ऐसी होती है, कि महिला का परिवार और उसका पति जब उसके पास होता है,
तो वह चाहती है, कि प्रसव इनके रहते ही पूरा हो जाए.
- कभी-कभी महिलाएं प्रसव को लेकर काफी तनाव में रहती हैं, तो इस तनाव से मुक्ति के लिए भी वह चाहती हैं प्रसव क्रिया निपट जाएं.
- कभी-कभी
प्रसव अपने समय से पहले चाहने का एक कारण यह भी होता है, कि जिस डॉक्टर के
अंडर कंसीडरेशन महिला चल रही है. उसके पास समय नहीं होता है. वह डॉक्टर उस
वक्त रहे, इस वजह से भी प्रसव जल्दी कराने की जरूरत पड़ जाती है.
- बाद के समय में महिलाओं को काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इस वजह से भी वह चाहती हैं, कि प्रसव क्रिया निपट जाए.
- कभी-कभी
महिलाओं को बच्चे को लेकर काफी चिंता रहती है, तो वह फिर सोचती है, कि
मामला जो भी है. निपट जाए आर पार हो जाए. प्रसव हो जाए.
क्या वास्तव में जल्दी प्रसव होने के बारे में सोचना सही है
विशेषज्ञों
के मुताबिक 39 हफ्ते से पूर्व प्रसव पीड़ा को प्रेरित करना ठीक नहीं माना
जाता है. अगर इससे पहले बच्चे का जन्म हो जाता है, तो बच्चे में कुछ
समस्याएं आने का डर रहता है. जैसे कि –
ऐसे में बच्चे को खाने में प्रॉब्लम हो सकती है.
सांस लेने में दिक्कत हो सकती है,
बच्चे के शरीर का तापमान सही बनाए रखने में भी कठिनाई हो सकती है.
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हफ्ते के बाद 42 हफ्ते तक कभी भी बच्चे का जन्म हो सकता है. और इस बात का
भी ध्यान रखना चाहिए कि 42 हफ्ते से ऊपर नहीं जाना चाहिए. ऐसी स्थिति में
जब गर्भावस्था 42 हफ्तों से ऊपर की जाती है, तो कुछ क्रिटिकल स्थिति हो
सकती है. ऐसे में समय से पूर्व अर्थात अपने समय से पहले ही प्रसव करा लेना
या उसके बारे में सोचना ठीक रहता है.
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अप्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा ठीक है
प्राकृतिक
रूप से प्रसव पीड़ा को प्रेरित करना हमेशा किसी डॉक्टर के सानिध्य में ही
करना चाहिए. क्योंकि यह प्रसव क्रिया स्वाभाविक रूप से नहीं हो रही है. ऐसे
में कभी-कभी शिशु की धड़कनों पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है.
प्रसव पीड़ा के समय शिशु को किसी प्रकार के संक्रमण की प्रबल संभावना भी रहती है, तो डॉक्टर का होना अत्यधिक आवश्यक है.
कभी-कभी प्रसव पीड़ा प्रेरित करने से के कारण बेबी को सिजेरियन पैदा करना पड़ता है.