आजकल पुरुषों और महिलाओं में बांझपन की समस्या बहुत ही कॉमन है, और यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं होती है. बहुत छोटी छोटी बातों की वजह से यह समस्या आ जाती है. क्योंकि प्रेगनेंसी एक कई सारी प्रोसेस को मिलाकर बनी एक बड़ी प्रोसेस है.
अर्थात एक चेन है, जिसकी बहुत सारी कड़ियां हैं. इनमें से किसी भी कड़ी में अगर थोड़ी सी भी समस्या आ जाती है, तो चैन बेकार हो जाती है. बस आप इसी प्रकार से समझ ले कि बहुत छोटी समस्या के कारण प्रेगनेंसी नहीं होती है. थोड़ा सा ध्यान देने पर 95% यह बड़ी आसानी से हो जाती है.
आज हम महिलाओं को लेकर बात कर रहे हैं कि आयुर्वेद के दृष्टिकोण से महिलाओं में बांझपन किया है. इसके कारण क्या है. और क्या उपाय हो सकते हैं.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बांझपन की समस्या आने की संभावना अधिक रहती है. क्योंकि प्रेगनेंसी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रहती है.
महिलाओं में बांझपन आने के कारण
महिलाओं में और पुरूषों में बांझपन की समस्या आने के कुछ कारण तो कॉमन होते हैं, लेकिन कुछ कारण ऐसे भी होते हैं जो मात्र महिलाओं में ही पाए जाते हैं तो इन सब कारणों पर एक बार नजर डाल लेते हैं.
- अगर महिला किसी भी प्रकार के डिप्रेशन से ग्रसित है. महिला अक्सर तनावग्रस्त रहती है. चाहे इसका कारण कोई भी हो तो इस वजह से महिला के हारमोंस बैलेंस नहीं रह पाते हैं, और प्रेगनेंसी मात्र हारमोंस बैलेंस होने का ही खेल मुख्यथा महिलाओं के लिए होता है.
- अगर महिला किसी बड़े रोग से ग्रसित है, तो भी महिलाओं को प्रेगनेंसी नहीं होती है. क्योंकि हमारा शरीर बहुत ज्यादा उन्नत है और वह इस बात का निर्णय ले सकता है कि शरीर स्वस्थ नहीं है, कमजोर है, और प्रेगनेंसी को आगे नहीं बढ़ा पाएगा. इसलिए स्वयं प्रेगनेंसी नहीं होती है. कई बार प्रेगनेंसी होने के बाद मिसकैरिज भी हो जाता है.
- महिलाओं की पीरियड साइकिल भी प्रेगनेंसी में महत्वपूर्ण रोल निभाती है. अगर यह अनियमित हो जाती है तो महिला के शरीर में अंडे परिपक्व होने का समय बदल जाता है. यह इस बात का भी संकेत होता है, कि महिला के हारमोंस बैलेंस नहीं है. महिला के शरीर में परिपक्व अंडों की कमी है. और अगर शरीर में परिपक्व अंडे नहीं होंगे तो फिर प्रेगनेंसी नहीं होगी.
- महिला के रीप्रोडक्टिव सिस्टम में किसी भी प्रकार की बीमारी प्रेगनेंसी होने से रोकती है चाहे महिला की ओवरी में कोई समस्या हो चाहे महिला के गर्भाशय में कोई समस्या हो चाहे महिला की ट्यूब से बंद हो अगर कुछ भी समस्या महिला को होती है तो प्रेगनेंसी होने में दिक्कत आती है और बांझपन का शिकार महिला हो जाती है.
- कई बार महिलाएं ऐसी दवाइयां लेती हैं जो किसी रोग विशेष के लिए ली जा रही है लेकिन उन दवाइयों का साइड इफेक्ट महिला के हारमोंस के ऊपर नजर आता है हारमोंस बैलेंस नहीं रह पाते हैं और प्रेगनेंसी नहीं होती है.
- कई बार गर्भाशय की कमजोरी की वजह से प्रेगनेंसी नहीं होती है.
- कई बार हारमोंस बैलेंस नहीं होने की वजह से अंडे परिपक्व नहीं हो पाते हैं और मैं प्रेगनेंसी को आगे ले जाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं.
महिलाओं के लिए बांझपन के उपाय
अगर आप यह सोच रहे हैं कि आपने बहुत ज्यादा एलोपैथिक इलाज करा लिया है और आप मा नहीं बन पा रहे हैं तो आप एक बार आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ले करके भी देखें.
इसमें भी बहुत अच्छे-अच्छे ट्रीटमेंट है, जो विभिन्न प्रकार की बांझपन की समस्याओं को सही करने की क्षमता रखते हैं. और इनका कोई साइड इफेक्ट भी शरीर में जल्दी से नजर नहीं आता है.
विशेष परिस्थितियों में ही साइड इफेक्ट हो सकता है, क्योंकि यह सब नेचुरल तरीके हैं.
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
आयुर्वेद के अंदर महिलाओं में बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए बहुत सारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का वर्णन मिलता है, और यह बहुत प्रकार की बांझपन की समस्या में काम आती है.
अलग-अलग प्रकार की जड़ी बूटी के अपने अलग-अलग जबरदस्त फायदे होते हैं. अब आप को बांझपन किस वजह से नजर आ रहा है. इसका चेकअप होने के बाद आपको उसी प्रकार की आयुर्वेदिक मेडिसन दी जाएंगी या जड़ी बूटियां या नुस्खे आपको दिए जाएंगे जो आपकी पार्टिकुलर समस्या को लेकर कार्य करेंगे.
इनमें से कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है जैसे कि शतावरी, चंद्रप्रभा वटी, योगराज गुग्गुलु, अशोकारिष्ट, कनचनर गुग्गुलु, किशोर गुग्गुलु, त्रिफला गुग्गुलु, शतावरी, जीवनवती, दशमूल, गुडुची, पुर्नवा, गोकक्षुरा और भी बहुत सारी मेडिसन से जो आपके अनुसार आपको दी जाएंगी.
आयुर्वेदिक विधियां
आयुर्वेद के अंदर आयुर्वेदिक मेडिसन के अलावा बहुत सारी दूसरी विधियां हैं जैसे कि पंचकर्म, मिट्टी का लेप, तेल की मालिश और भी बहुत दूसरी विधियां like… शिरोधारा, अभ्यंग, नास्य कर्म, बस्ती कर्म, मर्म चिकित्सा हैं. जिनके द्वारा इलाज किया जाता है, और जो बहुत ही सफलता के साथ कार्य करती हैं. इसके लिए आपको किसी आयुर्वेदिक मेडिकल हॉस्पिटल या सेंटर पर जाना होगा.
साथ ही महिला और भी दूसरी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो समस्या बहुत जल्दी ठीक हो जाती है जैसे कि –
हारमोंस बैलेंस नहीं है तो आपको ट्रीटमेंट लेना होगा जिसकी चर्चा भी की है.
- आपको अपने भोजन में तला भुना तीखा मसालेदार नहीं खाना है. यह ऐसेडिक होते हैं.
- हल्का सुपाच्य और ऐसा भोजन लेना है जो अत्यधिक छारीय हो जैसे की लौकी, तोरी, तुलसी जो भी अत्यधिक सुपाच्य भोजन होते हैं वह सब छारीय प्रकृति के होते हैं.
- आपको योगा और मेडिटेशन की तरफ भी ध्यान देना है.
- शारीरिक एक्टिविटी को बढ़ाना है. आपको पसीना आना चाहिए, ताकि डिटॉक्सिफिकेशन होता रहे.
- समय से उठे, समय से सोए, समय से ही भोजन करें और पौष्टिकता का ध्यान रखें.