किसी भी महिला का मां बनना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है और प्रत्येक महिला मां बनना भी चाहती है क्योंकि मातृत्व से ही महिला की पहचान होती है और उसे संपूर्ण भी माना जाता है.
दोस्तों किसी भी महिला में बांझपन होने के अनगिनत कारण हो सकते हैं कुछ मुख्य कारण जो कि देखने में आते हैं, जैसे कि
शारीरिक कारण जिसे मेडिकल साइंस के द्वारा एक्सप्लेन किया जाता है
मानसिक कारण,
महिला की उम्र के कारण,
महिला के लाइफस्टाइल के कारण,
महिला की शारीरिक एनर्जी डिस्टर्ब होने के कारण
दोस्तों इस वीडियो के माध्यम से हम आपसे शारीरिक कारणों पर चर्चा करेंगे.
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शारीरिक कारण
शारीरिक कारण बांझपन का एक मुख्य कारण होता है शरीर में किसी भी प्रकार की कमी आ जाने के कारण इस तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे कि महिला माता नहीं बन पाती है.
बांझपन के बहुत से कारण हो सकते हैं।, अंडाशय (ovaries), अंडे, फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) और गर्भाशय (uterus) में कुछ कुछ कमी होने के कारण गर्भ ठहरने में दिक्कत होती है। महिलाओं में बांझपन का सबसे सामान्य कारण अनियमित अंडो का उत्सर्जन तथा अंडाशय का अनुपस्थित होना होता है।
अगर किसी महिला की फेलोपियन ट्यूब बंद है तो भी वह मां नहीं बन सकती है. जब तक कि उसे खोल ना जाए, क्योंकि ओवेरी से अंडे फेलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में आते हैं, और वहां फलते फूलते हैं वहीं पर गर्भ का डेवलपमेंट होता है. जब फैलोपियन ट्यूब से अंडे गर्भाशय में आ ही नहीं पाएंगे,
तो ऐसी अवस्था में गर्भ कभी ठहरेगा ही नहीं.
अगर किसी महिला के गर्भाशय की संरचना मैं कुछ दिक्कत होती हैं अर्थात उसका आकार जैसा होना चाहिए वैसा नहीं होता है तो भी गर्भ ठहरने में परेशानी हो सकती है । ये स्थितियां शुक्राणु को अंडे से मिलने या निषेचित अंडे (fertilized egg) को गर्भाशय में स्थापित करने से रोक सकती हैं।
इसके अतिरिक्त महिलाओं में हार्मोनल या जेनेटिक असामान्यताएं (genetic abnormalities) भी हो सकती हैं, जिसे कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही बहुत अच्छे से एक्सप्लेन कर सकता है अपने आप में काफी बड़ा टॉपिक है, यह स्थिति भी बांझपन या बार-बार गर्भपात का कारण बनती हैं.
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दोस्तों कभी कभी क्या होता है कि महिला का एक्सीडेंट हो जाता है जिसकी वजह से उसकी जो प्रजनन अंग हैं उन में कमी आ जाती है इस कारण से भी महिला ठीक होते हुए भी बांझपन का शिकार हो जाती है.
दोस्तों शरीर के सभी अंग मिलकर शरीर को चलाने का कार्य करते हैं. शरीर की गतिविधि को संचालित करने के लिए शरीर के सभी अंगों को कलेक्टिवली मतलब साथ मिलकर कार्य करना होता है, जैसे कि हम गर्भधान की बात कर लेते हैं, तो इसमें केवल फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय गर्भाशय का ही कार्य नहीं होता है.
अपितु शरीर के सभी अंग इस प्रक्रिया के लिए अपना अपना योगदान देते हैं. यह तीनों अंग तो डायरेक्ट अपना योगदान करते हैं, लेकिन बाकी सब अंग इन डायरेक्टली अपना योगदान देते हैं, और उनके योगदान के बिना यह क्रिया संपूर्ण हो ही नहीं सकती.
जैसे कि महिला के शरीर में अंडाणु का निर्माण होता है, अंडाणु का निर्माण तो अंडाशय में होता है, लेकिन इसके निर्माण में प्रयुक्त होने वाली विटामिन मिनरल्स और पोषक तत्व इन सब का अरेंजमेंट शरीर के दूसरे अंग करते हैं.
तो कहीं ना कहीं प्रेगनेंसी में आपके पाचन तंत्र का उसमें आने वाले अंगों का भी अपना योगदान है.
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शरीर में प्रेगनेंसी अपने आप में एक बड़ी ही कंपलेक्स प्रोसेस होती है. इसमें कई प्रकार के हार्मोन, पोषक तत्व अमीनो एसिड, मिनरल्स और भी काफी कांप्लेक्स तत्व की आवश्यकता होती है.
और यह सभी तत्व शरीर के अंगों के द्वारा प्रोवाइड कराए जाते हैं. तो उन सभी अंगों का स्वस्थ होना अपने आप में अत्यधिक आवश्यक होता है.
अगर दूसरे अंगों में इसी प्रकार की परेशानी है बीमारी है यह आपकी कोई सी ग्रंथि प्रॉपर तरीके से हारमोंस का उत्सर्जन नहीं कर पा रही है तो भी आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है.
क्योंकि यह सभी अंग सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन इनडायरेक्टली प्रेगनेंसी को सपोर्ट करते हैं इनके बिना प्रेगनेंसी होना संभव नहीं जैसे कि जैसे कि थायराइड ग्रंथि अगर सही तरीके से काम नहीं करती है तो बार बार गर्भपात होता रहता है.
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अगर महिला की फैलोपियन ट्यूब टूट जाती है तो उस अवस्था में भी महिला प्रेग्नेंट नहीं हो सकती हैं .
अगर गर्भ का निर्माण गर्भाशय के स्थान पर फैलोपियन ट्यूब में होने लगता है तो भी परेशानी आ जाती है.
अगर आपका भोजन ही पौष्टिक नहीं है तो प्रेगनेंसी को तो आप भूल जाइए.
महिला को गर्भवती होने के लिए सबसे जरुरी होता हैं की उनके गर्भाशय में अंडे जरूर बनने चाहिए| परंतु कई बार महिलाओ के गर्भाशय में अंडो का निर्माण ही नहीं होता हैं इसके कई कारण हो सकते हैं,
गर्भाशय में पॉलीप्स और फाइब्रॉयड की समस्या होने पर प्रेगनेंसी में परेशानी आती है. गर्भाशय की सतह के गर्भकला (endometrium) पर जब बहुत अधिक कोशिकाएं विकसित होने लगती हैं तो गर्भाशय पॉलीप्स और फाइब्रॉयड की समस्या पैदा हो जाती है और गर्भ धारण करने में भी परेशानी होती है.
जैसा कि हमने पहले बताया कि अगर गर्भाशय की संरचना की ठीक नहीं है जिसमें की प्रेगनेंसी फल फूल सके तो भी महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं अगर गर्भाशय में किसी प्रकार की रसौली हो गई है, तो भी महिलाएं मां नहीं बन पाती.
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अगर गर्भाशय में किसी भी प्रकार का इनफेक्शन पनप जाता है, तो भी मां बनने में महिलाओं को परेशानी आती है, जो महिलाये योंन रोग यानि संक्रमण के रोग से ग्रसित होती हैं.
उन महिलाओ को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं. क्योंकि योंन रोग होने के कारण उनका शरीर कई बार इस प्रक्रिया के लिए सक्षम नहीं होता हैं, जिसके कारण बाँझपन जैसी परेशानी हो जाती हैं.
जिन महिलाओं को मासिक धर्म नियमित तौर पर नहीं आता है तो ऐसी महिलाओं को भी मां बनने में परेशानी होती है.
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