मुख्यता भारत के अंदर फिजिकल टेस्ट परीक्षा सरकारी नौकरियों में ली जाती है, और खासकर उन सरकारी नौकरियों में जो सिक्योरिटी सर्विसेज से जुड़ी हुई होती है, हालांकि फिजिकल टेस्ट और भी दूसरी सर्विसेज में लिया जाता है. फिजिकल टेस्ट कितना कठिन होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस सर्विस के लिए अप्लाई कर रहे हैं. अलग-अलग सर्विसेज के लिए अलग-अलग फिजिकल टेस्ट की रिक्वायरमेंट होती है.
भारत के अंदर महिला और पुरुष को समानता का दर्जा प्राप्त है लेकिन फिर भी बहुत कम ऐसी नौकरियां है जहां पर मात्र पुरुषों को ही अप्लाई करने की छूट होती है और बहुत सारी ऐसी भी नौकरियां है जो केवल महिलाओं के लिए ही होती है.
अधिकतर सर्विस इसके लिए पुरुष और महिला दोनों ही अप्लाई कर सकती है हमारे यहां आरक्षण का प्रावधान है आरक्षण जातिगत व्यवस्था के आधार पर दिया जाता है, साथ ही साथ एक्स सर्विसमैन और विकलांगता के आधार पर भी आरक्षण देने का प्रावधान है. भारत के अलग-अलग राज्यों में और भी दूसरे आधार हो सकते हैं जिन पर आरक्षण देने का प्रावधान हो, लेकिन हमारी नॉलेज में आज तक कहीं भी ऐसा कोई केस नजर नहीं आया है, जिसमें गर्भावस्था के आधार पर आरक्षण प्रदान किया गया हो.
भारत के अंदर कहीं भी अभी तक इस प्रकार की कोई भी गाइडलाइन नजर नहीं आई है, जिसमें यह बात कही गई हो कि अगर महिला गर्भवती है तो वह परीक्षा में नहीं सकती है. भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी गर्भवती महिला उस पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकती है, उस परीक्षा में बैठ सकती है, जहां महिला और पुरुष दोनों एक साथ अप्लाई कर सकते हैं.
भारतीय समाज के अघोषित नियम के अनुसार महिला गर्भवती होती है जब वह विवाहित होती है, हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से अस्वीकार्य है लेकिन सामाजिक नियमानुसार यह बात सभी मानते हैं, और सरकारी तंत्र में किसी भी पोस्ट की अप्लाई के लिए या जॉब की अप्लाई के लिए विवाहित होना या अविवाहित होना मायने नहीं रखता है.
इसलिए यह प्रश्न बनता है कि अगर कोई महिला लिखित परीक्षा देती है तो उसके लिए शारीरिक परीक्षण में किसी भी प्रकार की रियायत होगी या नहीं होगी
किसी भी परीक्षा में या फिजिकल शिक्षण में रियायत देना अर्थात छूट देना आरक्षण के अंतर्गत आता है, और जैसा कि हमने ऊपर एक्सप्लेन किया है कि आरक्षण किन-किन आधार पर मिलता है. भारत के अंदर किसी भी गर्भवती महिला के लिए किसी भी प्रकार का आरक्षण अभी तक नहीं दिया जाता है.
महिला गर्भवती हो या नहीं हो अगर वह किसी भी शारीरिक परीक्षण से गुजारना चाहती है तो उसे उस परीक्षण की सभी अहर्ता को पूरा करना पड़ेगा, और साथ ही साथ जो तिथि निर्धारित की गई है उस तिथि को ही वह परीक्षा भी देनी होगी अन्यथा उसका आवेदन निरस्त समझा जाएगा.
कुछ देशों के अंदर इस प्रकार का प्रावधान है कि किसी भी परीक्षा के लिए दो या तीन तारीख निर्धारित होती है और उनमें से किसी एक तारीख को जो की परीक्षार्थी के लिए सूटेबल होती है उस तारीख को आकर उसे अपना एग्जाम देना होता है. धीरे-धीरे भारत में भी कुछ जगह पर इस नियम का पालन होने लगा है, लेकिन यह नियम अभी प्राइवेट सेक्टर में ही लागू है. सरकारी क्षेत्र की परीक्षा में मात्र इंटरव्यू के दौरान ही इस प्रकार की गाइडलाइन कभी-कभी जारी की जाती है.
कुल मिलाकर गर्भावस्था के आधार पर भारत के अंदर किसी भी परीक्षा में या शारीरिक परीक्षा में किसी भी प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है.