आज हम पुत्री प्राप्ति के उपाय या बेटी पैदा करने के उपाय के विषय में बात कर रहे हैं आज हम आपको पुत्र पुत्री की प्राप्ति के प्राकृतिक उपाय के विषय में बताएंगे जिसे हमारे ग्रंथों से लिया गया है या कह सकते हैं कि प्राचीन वैज्ञानिक विधि है.
पुत्री प्राप्ति के उपाय को लेकर समाज में काफी उदासीनता देखी जाती है. यह उदासीनता मुख्य रूप से महिलाओं में ही देखी जाती है. हमें पुत्री प्राप्ति को भी उतनी ही प्राथमिकता देनी चाहिए, जितनी कि हमें पुत्र प्राप्ति को देते हैं. आइए जानते हैं पुत्र प्राप्ति के इस बेहद आसान उपाय के विषय में…..
प्राचीन वैज्ञानिकों का मानना है. अगर आपको पुत्री प्राप्ति की इच्छा है, तो आप तो सहवास करते समय स्त्री का दाहिना और पुरुष का बायां स्वर चलना चाहिए. गर्भधान होता है, तो होने वाली संतान पुत्री होगी.अब पॉइंट यह है कि उस वक्त मनचाहा स्वर चले यह आवश्यक नहीं
तो आपका मन चाहा स्वर चले अर्थात पुरुष का दाहिना और महिला का बाया स्वर चले उसकी विधि हम बता देते हैं.
पुत्री प्राप्ति में स्वर विज्ञान का योगदान
अगर आप चारपाई पर 15 मिनट दाहिनी करवट लेते हैं, तो आपका बाया स्वर चलने लगेगा और अगर आप 15 मिनट बाई करवट लेते हैं, तो आपका दाहिना स्वर चलने लगेगा.
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पुत्री प्राप्ति के कुछ नियम है. हमेशा स्त्री को बिस्तर पर पुरुष के दाएं तरफ लेटना है. आप अगर संतान प्राप्ति की प्लानिंग कर रहे हो, तो कम से कम 2 या 3 महीने पहले से इस बात का ध्यान रखें.
महिला अपने पति के दाएं तरफ सोये. अपने पति की तरफ करवट लेकर सोए. ऑटोमेटिकली पति बाएं तरफ सोएंगे और वह भी अपनी पत्नी की तरफ करवट लेकर ही सोए.
इससे क्या होगा पत्नी बाएं करवट और पति दाएं करवट सोएंगे. ऐसा करने से पति का चंद्रस्वर अर्थात बाया स्वर पत्नी का सूर्य स्वर अर्थात दाहिना स्वर एक्टिव रहेगा. धीरे-धीरे यह हैबिट में आ जाएगा.
जिस दिन आप पुत्र प्राप्ति के लिए संबंध बनाना चाह रहे हैं. उस दिन पत्नी अपने पति की दाहिनी तरफ लेटे और पति बाईं तरफ और एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेटे. लगभग 15 मिनट में ही पति का बाया और पत्नी का दाहिना स्वर चलने लगेगा. इन 15 मिनट में आप बातें कर सकते हैं. रोमांस कर सकते हैं. बस करवट न बदले.
आप अपना स्वर उंगली से चेक करे, जब मन चाहा स्वर चले पति और पत्नी का, संबंध बना सकते हैं. इस प्रकार जो भी गर्भाधान होगा उस से पुत्री प्राप्ति होगी, ऐसा माना जाता है.
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अन्य पुत्री प्राप्ति के उपाय
अलग-अलग प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार अन्य पुत्री प्राप्ति के उपाय कुछ इस प्रकार से हैं.
महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के अनुसार मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है.
तो आप इस नियम का भी ध्यान रखें आप मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि को संबंध बनाएं।, कन्या प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.
कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है.
कोशिश करें उस दिन सूर्य दक्षिणायन स्थिति में हो, तो कन्या प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.
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सोमवार और शुक्रवार कन्या दिन हैं, जो पुत्री पैदा करने में सहायक होते हैं. अतः उस दिन के गर्भाधान से कन्या होने की संभावना बढ़ जाती है.
इस नियम का पालन करना भी बड़ा आसान है. आप इस नियम का पालन भी करते हैं, तो कन्या प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.
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2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है.
अगर पुरुष का बाया स्वर चले पुरुष में वीर्य की सबलता कम जाती है, और स्त्री का दाहिना स्वर चलने पर रज की सबलता बढ़ होती है कन्या प्राप्ति होती है,
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