पुत्र प्राप्ति में स्वर विज्ञान का योगदान - Putra Prapti kaise hote hai

प्राचीन वैज्ञानिकों का मानना है. अगर आपको पुत्र प्राप्ति की इच्छा है. तो आप तो सहवास करते समय स्त्री का बायां और पुरुष का दाहिना स्वर चलना चाहिए. गर्भधान होता है, तो होने वाली संतान पुत्र होगी.

अब पॉइंट यह है कि उस वक्त मनचाहा स्वर चले यह आवश्यक नहीं
तो आपका मन चाहा स्वर चले, अर्थात पुरुष का दाहिना और महिला का बाया स्वर चले . उसकी विधि हम बता देते हैं.

पुत्र प्राप्ति के लिए क्या करें, beta kaise paida hota hai
 

अगर आप चारपाई पर 15 मिनट दाहिनी करवट लेटते हैं, तो आपका बाया स्वर चलने लगेगा. 
अगर आप 15 मिनट बाई करवट लेटते हैं, तो आपका दाहिना स्वर चलने लगेगा.

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पुत्र प्राप्ति के कुछ नियम है. हमेशा स्त्री को बिस्तर पर पुरुष के बाएं तरफ लेटना है. आप अगर संतान प्राप्ति की प्लानिंग कर रहे हो. कम से कम 2 या 3 महीने पहले से इस बात का ध्यान रखें, महिला अपने पति के बाई तरफ सोये. अपने पति की तरफ करवट लेकर सोए तो ऑटोमेटिकली पति दाई तरफ सोएंगे.  पति भी अपनी पत्नी की तरफ करवट लेकर ही सोए.

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पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए अर्थात लेटना चाहिए. कब कौन सा स्वर चलना चाहिए.

पत्नी दाई करवट और पति बाई करवट सोएंगे.
ऐसा करने से पति का सूर्य स्वर अर्थात दांया स्वर पत्नी का चंद्रस्वर अर्थात बायां स्वर एक्टिव रहेगा. धीरे-धीरे यह हैबिट में आ जाएगा.

जिस दिन आप पुत्र प्राप्ति के लिए संबंध बनाना चाह रहे हैं. उस दिन पत्नी अपने पति की बाईं तरफ लेटे और पति दाहिनी तरफ और एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेटे.

लगभग 15 मिनट में ही पति का दाहिना और पत्नी का बाया स्वर चलने लगेगा.  इन 15 मिनट में आप बातें कर सकते हैं. रोमांस कर सकते हैं. बस करवट न बदले.

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आप अपना स्वर उंगली से चेक करे, जब मन चाहा स्वर चले पति और पत्नी का, संबंध बना सकते हैं. इस प्रकार जो भी गर्भाधान होगा. उस से पुत्र प्राप्ति होगी, ऐसा माना जाता है.

पुत्र प्राप्ति के दूसरे उपाय

महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के अनुसार मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है.

तो आप इस नियम का भी ध्यान रखें. आप मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14,16वा दिन है. उस दिन संबंध बनाए, पुत्र प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.

कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है, कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है.

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कोशिश करें उस दिन सूर्य उत्तरायण स्थिति में हो, तो पुत्र प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.

मंगलवार, गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन हैं. अतः उस दिन के गर्भाधान से पुत्र होने की संभावना बढ़ जाती है.
इस नियम का पालन करना भी बड़ा आसान है. आप इस नियम का पालन भी करते हैं, तो पुत्र प्राप्ति की संभावना और बढ़ जाएगी.

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2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है, कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है.

अगर पुरुष का दाहिना स्वर चले पुरुष में वीर्य की सबलता बढ़ जाती है, और स्त्री का बाया स्वर चलने पर रज की सबलता कम होती है. पुत्र प्राप्ति होती है.

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