पित्त क्या होता है प्रकृति और लक्षण – पित्त का रामबाण इलाज

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आयुर्वेद कफ, वात और पित्त प्रकृति के आधार पर कार्य करता है.  कोई भी व्यक्ति कफ प्रकृति का या पित्त प्रकृति का या वात प्रकृति का हो सकता है, और उसी प्रकृति दोष के आधार पर उसका इलाज किया जाता है. आज हम पित्त का रामबाण इलाज क्या है. इस पर बात करने वाले हैं. इससे पहले पित्त के विषय में विशेष जानकारी

शरीर में आवश्यकता से कम या अधिक कफ, वात और पित्त बढ़ जाने पर कफ दोष, वात दोष और पित्त दोष का निर्माण एक शरीर में होता है.

हम पित्त को लेकर यहां बात कर रहे हैं.

पित्त क्या है

मनुष्य शरीर के अंदर पित्त एक प्रकृति है. मनुष्य का शरीर पंच तत्वों से निर्मित होता है. जिसके अंदर आकाश, वायु, अग्नि, जल और थल आते हैं. पित्त अग्नि और जल तत्वों से प्रेरित होता है.

वात को मुख्य रूप से वायु से जोड़ा जाता है, इसका तात्पर्य गति से होता है.

पित्त का अर्थ गर्मी से होता है यह शरीर में हमारे पाचन क्रिया को नियंत्रित करता है. शरीर के तापमान को भी नियंत्रित कर उसे सही बनाए रखने में मदद करता है. यह हमारी भावनाओं पर प्रभाव डालता है. बुद्धि और त्वचा के रंग पर भी इसका प्रभाव नजर आता है.

पित्त गर्म, तैलीय नेचर का तरल और बहता हुआ होता है.

पित्त एक ऐसा तरल है जिसका रंग नीला  और पीलापन लिए हुए होता है, और इसका स्वाद कसैला होता है. यह हमारे पित्ताशय के अंदर निर्मित होता है.

पित्त क्या होता है प्रकृति और लक्षण – पित्त का रामबाण इलाज

पित्त दोष

शरीर के अंदर अग्नि तत्व और जल तत्व के असंतुलन की वजह से पित्त दोष का निर्माण होता है. पित्त दोष होने पर शरीर सही तरीके से भोजन को पचा पाने में सक्षम नहीं हो पाता है. इस वजह से शरीर में पेट से संबंधित काफी सारी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. पित्त दोष होने पर ठंडे और मीठे प्रकार के भोजन का सेवन करना चाहिए.

पित्त के प्रकार

शरीर में पित्त के अलग-अलग स्थान माने गए हैं और अलग-अलग कार्यो के आधार पर इन्हें 5 भागों में बांटा गया है

  1. आलोचक पित्त
  2. पाचक पित्त
  3. साधक पित्त
  4. रज्जक पित्त
  5. भ्राजक पित्त

पित्त कुपित हो जाने पर होने वाले मुख्य लोगों की संख्या 40 होती है

पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण

पित्त प्रकृति के व्यक्ति के बहुत सारे शारीरिक लक्षण और मानसिक लक्षण होते हैं.
पित्त प्रकृति के व्यक्ति की शारीरिक संरचना की बात करते हैं तो उसके अंदर काफी सारे लक्षण नजर आते हैं जैसे कि –

  • चेहरे पर चमक ज्यादा होती है
  • शरीर में अधिक गर्मी होती है
  • चेहरा चमकता है
  • त्वचा चमकती है
  • त्वचा पर झुर्रियां बहुत जल्दी आ जाती है
  • त्वचा काफी नाजुक होती है
  • शरीर से दुर्गंध अधिक आती है
  • पसीना दुर्गंध युक्त होता है
  • पेशाब में भी दुर्गंध रहती है
  • पेशाब, पसीना बहुत ज्यादा आता है
  • शरीर पर कम बाल पाए जाते हैं
  • बाल पतले और नरम मुलायम होते हैं
  • बाल जल्दी झड़ जाते हैं
  • रंग गोरा और चमकदार होता है
  • बालों का रंग भी हल्का काला होता है
  • एग्रेसिव नेचर के होते हैं छोटी-छोटी बात पर नाराज हो जाते हैं
  • औसत रंग रूप के होते हैं
  • शरीर का वजन सामान्य होता है ना अधिक ना कम
  • शारीरिक ताकत औसत रहती है
  • आंखें ना छोटी ना अधिक बड़ी, सामान्य होती है
  • पलकों पर बाल कम होते हैं
  • गर्मी बहुत अधिक लगती है,गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है
  • गर्मी में तबीयत खराब होने लगती है
  • भूख बहुत अधिक लगती है
  • पाचन तंत्र मजबूत होता है 3 से 4 घंटे में दोबारा भूख लग जाती है
  • प्यास बहुत अधिक लगती है
  • पित्त प्रकृति की महिलाओं का मासिक धर्म काफी तीव्र होता है
  • सफेद पानी की समस्या अधिक रहती है
  • लीडरशिप की प्रकृति इन में पाई जाती है
  • आवाज प्रभावशाली रहती है
  • अधिक लाइट बर्दाश्त नहीं होती है अधिक तेज धूप में आंखें बंद हो जाती है
  • जीभ लाल दिखाई देती है
  • आवाज तीखी और स्पष्ट होती है
  • चलने की गति औसत तेज रहती है
  • सामान्य नींद
  • नाखून हल्के गुलाबी
  • नाड़ी तेज और उष्णता से भरपूर
  • मुंह का स्वाद खट्टा और कड़वा
  • बार बार दस्त और मल त्यागने की समस्या नजर आती है

पित्त प्रकृति के व्यक्ति के अंदर मानसिक लक्षणों की बात करें तो यह मुख्य रूप से मध्यम ही होते हैं. अर्थात ना ही कम और ना ही अधिक जो किस प्रकार से हैं—

  • बहुत जल्दी भड़कते हैं
  • मध्यम ज्ञान होता है
  • किसी के सामने झुकते नहीं है शूरवीर होते हैं
  • परिस्थितियों से घबराते नहीं है
  • वाणी उच्च और तेज होती है
  • विषय के अच्छे जानकार होते हैं
  • नेचर शार्प होता है
  • सफाई पसंद होते हैं
  • समाज सुधारक
  • परफेक्शन अधिक पसंद होता है
  • प्रशंसा से प्रभावित रहते हैं
  • अभिमानी प्रकृति पाई जाती है
  • आरोप लगने पर तुरंत गुस्सा होना
  • हमला करने से नहीं डरना
  • निडर
  • साहसी
  • बहादुर
  • अटैकिंग नेचर
  • अकल्पनीय कार्यों में अच्छे होना
  • एकाग्रता
  • स्मृति अच्छी हो ना
  • मानसिक तनाव सहने में मध्यम
  • संतोष की भावना भी मध्यम
  • मस्तिष्क की मजबूती भी मध्यम
  • मस्तिष्क पर नियंत्रण भी मध्यम
  • भुलक्कड़ स्वभाव अधीर होते हैं
  • बुद्धिमान
  • याददाश्त तेज होती है
  • बोलने की कला में माहिर
  • अति उत्साहित
  • अति सक्रिय
  • जल्दी मन बदलने की प्रवृत्ति
  • जल्दी क्रोध आना
  • जल्दी डर लग जाना

पित्त रोग

शरीर के अंदर अग्नि और जल तत्व के बैलेंस नहीं होने पर शरीर का पित्त गड़बड़ हो जाता है. इस कारण से काफी सारी समस्याएं शरीर में पैदा होने की संभावना हो जाती है. जो इस प्रकार से है.

  • यह समस्याएं मुख्य रूप से पित्त के कुपित होने पर अर्थात बढ़ जाने पर नजर आती हैं.
  • सीने में जलन
  • एसिडिटी की समस्या
  • बहुत जल्दी गुस्सा आना
  • अधिक भोजन करने की प्रवृत्ति
  • दस्त की समस्या उत्पन्न हो जाना
  • महिलाओं में बदबूदार मासिक धर्म
  • समय से पहले मासिक धर्म
  • मासिक धर्म में ब्लड फ्लो अधिक होना
  • पसीने में दुर्गंध आने लगती है
  • पसीना बहुत अधिक आता है
  • सिर में भारीपन की समस्या नजर आती है
  • चक्कर आना
  • चेहरे पर झुरिया नजर आना
  • त्वचा पर मस्से होने की समस्या
  • बालों का झड़ना या बालों का कम हो जाना
  • बालों का समय से पहले सफेद हो जाना
  • रक्त विकार उत्पन्न हो जाना रक्त विकार उत्पन्न होने से रक्त से संबंधित 100 से अधिक बीमारियों की संभावना जिसमें ब्लड कैंसर, रक्त नलिका के प्रभाव में बाधा मुख्य बड़ी समस्याएं हैं
  • मसूड़ों में रक्तस्राव हो जाना
  • तैलीय त्वचा
  • चेहरे पर मुंहासे नजर आना
  • कामेच्छा में कमी
  • जलन होना
  • सूर्य के प्रति अति संवेदनशीलता अर्थात रोशनी में आंखें नहीं खुलना
  • मुंह में अल्सर
  • प्रकाश सहने की क्षमता में कमी इत्यादि

पित्त रोग के लक्षण

शरीर में कुछ विशेष प्रकार के लक्षण पित्त कुपित होने पर नजर आने लगते हैं, जो इस प्रकार से हैं

  • शरीर में पित्त कुपित होने पर ठंडी चीजें खाने का सबसे अधिक मन करता है जैसे कि अगर आप गर्म चाय पीते हैं, तो हल्की गर्म चाय पीने का मन करेगा. भोजन अपेक्षाकृत कम गर्म करना आप पसंद करेंगे.
  • अगर आपके मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है, मुंह में बार बार खट्टा स्वाद आता है तो यह पित्त रोग के लक्षण है.
  • अक्सर बेहोशी और चक्कर आना
  • व्यक्ति को अगर गुस्सा ज्यादा आने लगता है तो यह पित्त बढ़ जाने की वजह से होता है
  • गले में सूजन जिसे गला पकना भी कहते हैं
  • शरीर से दुर्गंध आना शुरू हो जाती है
  • त्वचा का रंग दल हो जाता है
  • बहुत अधिक थकावट नजर आती है
  • व्यक्ति की नींद में कमी आ जाती है
  • गले में जलन रहती है
  • शरीर में जलन का एहसास होता है
  • अधिक गर्मी लगती है, पसीना काफी ज्यादा आता है
  • मल मूत्र और नाखून और आंखों का रंग पीला नजर आने लगता है
  • यह सब लक्षण पित्त कुपित होने के है.

पित्त का रामबाण इलाज

पित्त की समस्या से बहुत लोग परेशान रहते हैं. आज हम पित्त का रामबाण इलाज आपके लिए लेकर आए हैं. इसके अंदर आपको अपनी लाइफ स्टाइल अपने भोजन और आयुर्वेदिक चिकित्सा से संबंधित सुझाव देंगे. ताकि आप तीनों क्षेत्रों में सुधार कर अपनी समस्या को शांत कर सकें. आइए जानते हैं पित्त का रामबाण इलाज क्या है.

पित्त बढ़ जाने पर सबसे पहले व्यक्ति को यह जानना चाहिए कि वह अपने जीवन शैली में कौन-कौन से परिवर्तन करें, जिससे कि पित्त नियंत्रित रहे. पित्त शांति के लिए जीवन शैली में बदलाव और कुछ चिकित्सीय प्रक्रियाओं की सहायता से लाभ लिया जा सकता है.

पित्त प्रकृति का व्यक्ति क्या खाएं

पित्त शांति के लिए भोजन की बात करें तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें —

  • अंकुरित अनाज, दलिया, सलाद और एलोवेरा जूस इन का प्रयोग लगातार करें.
  • सभी प्रकार की दालों को अपने भोजन में शामिल करें.
  • घी का सेवन सबसे अधिक जरूरी होता है, आप गाय के देसी घी का प्रयोग करें.
  • हरी पत्तेदार सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें
  • साथ ही साथ गाजर, खीरा, गोभी, आलू और शिमला मिर्च इत्यादि आपके भोजन में अवश्य होनी चाहिए.
  • ताजी मौसमी सब्जियों का प्रयोग रोजाना अवश्य करें.
  • पित्त प्रकृति के व्यक्ति को क्या नहीं खाना चाहिए
  • अखरोट, पिस्ता, काजू ,मूंगफली और बादाम से परहेज रखें
  • टमाटर सॉस, संतरा, चाय, कॉफी और नशीली वस्तुएं जैसे कि शराब धूम्रपान पान बीड़ी गुटखा इन सब से भी परहेज रखें.
  • तिल के तेल, सरसों के तेल का परहेज रखें. देसी घी का प्रयोग करें
  • कच्चे टमाटर, काली मिर्च, मूली इत्यादि भी आपको नहीं खानी है.

लाइफस्टाइल प्रिकॉशन

कुछ दूसरी विशेष बातों का भी ध्यान रखें जैसे कि —

  • ठंडी प्रकृति के तेल से अपने शरीर पर नहाने से पहले रोजाना अवश्य मालिश करें. यह शरीर की गर्मी को शांत करने में आपकी मदद करेगा.
  • ठंडे पानी से ही आपको रोजाना स्नान करना है.
  • सुबह शाम आप जरूर टहलने जाए. ध्यान रहे सूर्य अस्त के बाद और सूर्य उदय से पहले यह कार्य .
  • करें पानी में तैरना आपके लिए बहुत लाभदायक रहेगा.

आयुर्वेदिक चिकित्सा

पित्त कुपित होने पर लगभग 40 से भी अधिक शारीरिक समस्याएं किसी भी व्यक्ति को नजर आ सकती हैं इसलिए जिन भी प्रकार की समस्या व्यक्ति को नजर आती है उसी के अनुसार उसी के अनुसार व्यक्ति को मेडिसन दी जाती है.
इसलिए यहां पर इस प्रकार की सलाह देना उचित नहीं है. आप ठंडी प्रकृति के भोज्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करती है, आपके लिए लाभदायक रहेगा.

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