बिना प्रेगनेंसी के जब प्रेगनेंसी हारमोंस बनते हैं तो क्या होता है

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अगर महिला को प्रेगनेंसी चाहिए और बिना प्रेगनेंसी के प्रेगनेंसी हारमोंस बन रहे हैं तो इसका किस प्रकार से प्रभाव महिला के शरीर पर होता है. इसका पॉजिटिव प्रभाव नजर आता है या नेगेटिव, इस पर बात करेंगे.  

महिलाओं के एक प्रश्न के बारे में कि पीरियड्स के समय महिलाओं को प्रेगनेंसी जैसे लक्षण नजर आते हैं. कभी-कभी महिलाओं को पीरियड के बाद भी काफी समय तक प्रेगनेंसी जैसे लक्षण नजर आते हैं.

लेकिन प्रेगनेंसी होती नहीं है. पीरियड बाद में आ जाते हैं. ऐसा क्यों हो रहा है. थोड़ा इस पर रोशनी डालने की कोशिश करते हैं.

पीरियड के समय क्यों प्रेगनेंसी जैसे लक्षण नजर आते हैं. जबकि प्रेगनेंसी होती नहीं है या उसके बाद भी ऐसे लक्षण क्यों नजर आते हैं. जबकि प्रेगनेंसी नहीं होती है.

दोस्तों जहां तक हमारा ज्ञान जाता है, ऐसे लक्षण बार बार आना तो महिलाओं को लगता है कि शायद प्रेगनेंसी अभी नहीं हुई है तो आगे चलकर हो जाएगी ऐसा लक्षण नजर आ रहे हैं लेकिन जैसा दिखाई पड़ता है, वैसा होता नहीं है. 

प्रेगनेंसी हारमोंस के नुकसान
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इसे थोड़ा सा विस्तार से समझते हैं, दोस्तों जब प्रेगनेंसी होती है, तो महिला के शरीर में प्रेगनेंसी हारमोंस एक्टिव हो जाते हैं.

उन प्रेगनेंसी हारमोंस की वजह से महिला को कई प्रकार के लक्षण नजर आते हैं. जब यह लक्षण कारण ही बिना प्रेगनेंसी के ही नजर आने लगते हैं, तो आप समझ लीजिए कि उन हार्मोन की मात्रा आपके शरीर में थोड़ा बढ़ गई है, जो प्रेग्नेंसी के समय बढ़नी चाहिए.

 ऐसे में वह उन लक्षणों को प्रकट करते हैं, जो प्रेग्नेंसी के समय नजर आते हैं. लेकिन क्या यह सही है तो हमारा मानना है, कि बिना प्रेगनेंसी के प्रेगनेंसी हारमोंस का बढ़ना महिला के शरीर में सही नहीं होता है.

प्रेगनेंसी हारमोंस के नुकसान

ऐसे में प्रेगनेंसी की संभावनाएं कम हो जाती है अगर आपको ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो आप उसके लिए इलाज कराइए.

प्रेगनेंसी हारमोंस केवल प्रेगनेंसी के लिए ही कार्य नहीं करते हैं, उसकी सुरक्षा के लिए ही कार्य नहीं करते हैं, बल्कि उनके काफी सारे कार्य होते हैं.

 उनका एक कार्य यह भी होता है कि अगर गर्भवती महिला और उसका पार्टनर करीब आते हैं तो यह प्रेगनेंसी हारमोंस इस बात को भी कंफर्म करते हैं उस प्रक्रिया को भी रोक कर रखते हैं जिससे कि प्रेगनेंसी नहीं हो. क्योंकि एक प्रेगनेंसी ऑलरेडी है तो ऐसे में इस प्रकार के हारमोंस महिला के शरीर में अगर प्रेगनेंसी के बिना बढ़ जाते हैं,  प्रेगनेंसी को नहीं होने देते हैं.

यह इनकी प्रॉपर्टी होती है जैसे कि महिला को प्रेगनेंसी के बिना ही दूध बन रहा है तो इसके लिए  रेस्पॉन्सिबिल हारमोंस प्रेग्नेंसी के समय ही एक्टिव होता है.

अगर वह पहले ही एक्टिव हो गया है तो वह ovulation नहीं होने देगा, ovulation को रोकता है. उसकी प्रक्रिया को बाधित करता है.  असल में वह एक्टिव ही तब होता है, जब प्रेगनेंसी रहती है, तो उस वक्त प्रेगनेंसी की आवश्यकता ही नहीं होती है.

आपने यह भी देखा होगा कि डिलीवरी होने के बाद महिला को जब उसका सूतक काल बीत जाता है उसके बाद कई महीने तक महावारी नहीं होती है क्योंकि यह हारमोंस दूध बनाने के लिए एक्टिव होता है और भोजन भी ऐसा किया जाता है कि जैसे कि अधिक से अधिक दूध बने, तो यह ovulation को रोकता है,

मतलब अगली प्रेगनेंसी के लिए अंडा बनने से रोकता है.  क्योंकि यह एक प्राकृतिक क्रिया है महिला को अगर दूध बन रहा है तो उसके पास एक छोटा बच्चा है ऐसे में उसे प्रेगनेंसी नहीं होनी चाहिए.

 यह प्रकृति के द्वारा दिए गए उपाय हैं, जिससे की मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. इसलिए ऐसा कोई भी लक्षण जो प्रेगनेंसी का हो वह महिला को पीरियड्स के समय या उसके बाद नजर नहीं आना चाहिए.

अगर आपको आ रहा है, तो आप एक बार अपने डॉक्टर से अवश्य मिले.  हो सकता है कि कोई ऐसा हार्मोन एक्टिव हो जो प्रेग्नेंसी के समय एक्टिव रहता है तो वह आपकी प्रेगनेंसी को होने से रोक सकता है.

हालांकि एक ही प्रकार के लक्षण काफी सारे कारणों से आते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको प्रेगनेंसी चाहिए तो आप को सावधान रहने की आवश्यकता है.

यह जरूरी नहीं कि हर एक लक्षण जिस भी वजह से आ रहा हो आवश्यक नहीं कि उसके पीछे हार्मोन अल डिसबैलेंस हो और किसी कारण से भी हो सकता है लेकिन फिर भी आप को अपनी ओर से सावधान रहने की आवश्यकता है. आप खुश रहें स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें.

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