गर्भ में बेटा या बेटी जानने का मिस्र का तरीका - Gender Prediction Home Test
नमस्कार दोस्तों आज के इस POST में हम आपसे जेंडर प्रेडिक्शन के एक और नए तरीके को शेयर करने वाले हैं . जेंडर प्रेडिक्शन को लेकर केवल भारतीयों में ही और चाइनीस लोगों में ही जिज्ञासा नहीं है, अपितु दूसरे देशों में और दूसरे सभ्यताओं में भी रही है, आज हम आपके सामने प्राचीन Egyptian सभ्यता में प्रयोग में लाए जाने वाले एक प्रयोग को शेयर करने जा रहे हैं.
प्राचीन इजिप्त में प्रयोग में लाए जाने वाला यह तरीका बड़े शहरों में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है बल्कि शहरों में ही प्रयोग में नहीं लाया करता यह गांव देहात में यह तरीका कारगर हो सकता है . इस प्रयोग के अंदर जो महिला प्रेग्नेंट है उसे जमीन में गेहूं और जौ के बीज अलग-अलग डाल देने हैं . दोस्तों यहां पर हमारा मतलब जमीन में बीज बोने से है . दोस्तों आपको यह एक बात बता दे इंसान का यूरिन एक अच्छा फर्टिलाइजर होता है . जब महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसके शरीर में काफी सारे हारमोनल चेंजेस आते हैं जिसका असर उसके यूरिन में भी होता है.
इन दोनों गेहूं और जौ के बीजों पर महिला के यूरिन से सिंचाई की जाती है या कह सकते हैं कि खाद के रुप में की है यूरिन बीजों पर डाला जाता है जो कि बो दिए गए हैं.
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अगर जो के बीज अंकुरित होते हैं तो यह माना जाता है कि महिलाएं पुत्र को जन्म देगी . वहीं अगर गेहूं के बीज अंकुरित होते हैं तो यह माना जाता है कि महिलाएं पुत्री को जन्म देने वाली वाली है .
इस मेथड के आधार पर जर्मनी के अंदर 1933 में एक वैज्ञानिक द्वारा 100 samples का परीक्षण किया गया .
100 महिलाओं पर टेस्ट किया गया, जिसमें लगभग 60 % , रिजल्ट सही था केवल 19% गलत बाकी वह नतीजे पर नहीं पहुंचे .
इसके रिजल्ट में यह बताया गया की यह तरीका लगभग लगभग हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देता है क्योंकि यह एक प्राचीन तरीका है उस समय व्यक्ति के खानपान अलग थे एनवायरनमेंट भी अलग था, और उस समय वहां की मिट्टी का केमिस्ट्री कंपोजीशन किया था इस पर भी डिपेंड करता है.
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दोस्तों यह तरीका कितना कारगर है यह हम नहीं जानते हैं लेकिन अगर आप इसे आजमा सकते हैं तो अपने एक्सपीरियंस को हमारे पाठकों के साथ जरुर शेयर कीजिए.
Garbh me ladka ya ladki kaise pata kare
प्राचीन इजिप्त में प्रयोग में लाए जाने वाला यह तरीका बड़े शहरों में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है बल्कि शहरों में ही प्रयोग में नहीं लाया करता यह गांव देहात में यह तरीका कारगर हो सकता है . इस प्रयोग के अंदर जो महिला प्रेग्नेंट है उसे जमीन में गेहूं और जौ के बीज अलग-अलग डाल देने हैं . दोस्तों यहां पर हमारा मतलब जमीन में बीज बोने से है . दोस्तों आपको यह एक बात बता दे इंसान का यूरिन एक अच्छा फर्टिलाइजर होता है . जब महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसके शरीर में काफी सारे हारमोनल चेंजेस आते हैं जिसका असर उसके यूरिन में भी होता है.
इन दोनों गेहूं और जौ के बीजों पर महिला के यूरिन से सिंचाई की जाती है या कह सकते हैं कि खाद के रुप में की है यूरिन बीजों पर डाला जाता है जो कि बो दिए गए हैं.
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अगर जो के बीज अंकुरित होते हैं तो यह माना जाता है कि महिलाएं पुत्र को जन्म देगी . वहीं अगर गेहूं के बीज अंकुरित होते हैं तो यह माना जाता है कि महिलाएं पुत्री को जन्म देने वाली वाली है .
इस मेथड के आधार पर जर्मनी के अंदर 1933 में एक वैज्ञानिक द्वारा 100 samples का परीक्षण किया गया .
100 महिलाओं पर टेस्ट किया गया, जिसमें लगभग 60 % , रिजल्ट सही था केवल 19% गलत बाकी वह नतीजे पर नहीं पहुंचे .
इसके रिजल्ट में यह बताया गया की यह तरीका लगभग लगभग हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देता है क्योंकि यह एक प्राचीन तरीका है उस समय व्यक्ति के खानपान अलग थे एनवायरनमेंट भी अलग था, और उस समय वहां की मिट्टी का केमिस्ट्री कंपोजीशन किया था इस पर भी डिपेंड करता है.
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दोस्तों यह तरीका कितना कारगर है यह हम नहीं जानते हैं लेकिन अगर आप इसे आजमा सकते हैं तो अपने एक्सपीरियंस को हमारे पाठकों के साथ जरुर शेयर कीजिए.
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