Garbh me ladka ya ladki kaise pata kare
प्राचीन इजिप्त में प्रयोग में लाए जाने वाला यह तरीका बड़े शहरों में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है. यह गांव देहात में यह तरीका कारगर हो सकता है . इस प्रयोग के अंदर जो महिला प्रेग्नेंट है. उसे जमीन में गेहूं और जौ के बीज अलग-अलग डाल देने हैं. दोस्तों यहां पर हमारा मतलब जमीन में बीज बोने से है .
इन दोनों गेहूं और जौ के बीजों पर महिला के यूरिन से सिंचाई की जाती है, या कह सकते हैं कि खाद के रुप में यूरिन बीजों पर डाला जाता है, जो कि बो दिए गए हैं.इन्हें भी पढ़ें : प्रेगनेंसी में निम्बू पानी फायदे का सौदा या घाटे का
अगर जो के बीज अंकुरित होते हैं. यह माना जाता है, कि महिलाएं पुत्र को जन्म देगी . वहीं अगर गेहूं के बीज अंकुरित होते हैं, तो यह माना जाता है, कि महिलाएं पुत्री को जन्म देने वाली वाली है .
इस मेथड के आधार पर जर्मनी के अंदर 1933 में एक वैज्ञानिक द्वारा 100 samples का परीक्षण किया गया.
100 महिलाओं पर टेस्ट किया गया, जिसमें लगभग 60 % , रिजल्ट सही था केवल 19% गलत बाकी वह नतीजे पर नहीं पहुंचे .
इसके रिजल्ट में यह बताया गया की यह तरीका लगभग लगभग हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देता है. क्योंकि यह एक प्राचीन तरीका है.
उस समय व्यक्ति के खानपान अलग थे. एनवायरनमेंट भी अलग था, और उस समय वहां की मिट्टी का केमिस्ट्री कंपोजीशन किया था इस पर भी डिपेंड करता है.
अगर गर्भावस्था में पेशाब का रंग चमकीला पीला होता है, तो महिला के गर्भ में एक पुत्र होती है. और अगर वही गर्भावस्था में महिला के पेशाब का रंग हल्का पीला होता है, तो माना जाता है महिला के गर्भ में 1 कन्या हैं.
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इन्हें भी पढ़ें : क्या माया कैलेंडर के अनुसार के जेंडर प्रेडिक्शन कर सकते हैंदोस्तों यह तरीका कितना कारगर है यह हम नहीं जानते हैं लेकिन अगर आप इसे आजमा सकते हैं तो अपने एक्सपीरियंस को हमारे पाठकों के साथ जरुर शेयर कीजिए.