कोरोना को जितना खतरनाक बताया जा रहा है. भले ही इतना खतरनाक वह नहीं हो क्योंकि उसके बारे में अभी ज्यादा नहीं पता है. लेकिन खतरा तो है.
कोरोना ने उन्हीं लोगों पर अत्यधिक असर किया है जो अत्यधिक कमजोर थे. जिनकी इम्यून शक्ति ना के बराबर थी और वह दूसरे बड़े रोगों से भी ग्रसित थे और काफी ज्यादा उम्र के भी थे.
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अब इसका मतलब यह भी नहीं है कि अगर आप कम उम्र के हैं तो आप बिल्कुल ही लापरवाही करें. असल में आप लापरवाही कर भी लें और आप ही को नुकसान हो तो कोई दिक्कत नहीं है इसका नुकसान दूसरे लोगों को भी होता है इसलिए लापरवाही तो बिल्कुल भी करना ठीक नहीं है.
इस विषय को एक कहानी से आप बड़ी अच्छी तरह से समझ सकते हैं जो कि अक्सर बताई जाती है एक व्यक्ति को सांप ने काट लिया व्यक्ति दहशत से मर गया. हम सभी जानते हैं कि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं असल में होता क्या है कि सांप के विषय में हमारी एक राय है कि सांप काट ले तो व्यक्ति मर सकता है जब व्यक्ति को सांप काट लेता है तो व्यक्ति को लगने लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है और वह बार-बार एक संदेश अपने मस्तिष्क को देता है कि सांप ने उसे काट लिया है वह मरने वाला है वह मरने वाला है. हम अपने मस्तिष्क के स्वामी हैं और हम अनजाने में अपने मस्तिष्क को एक संदेश देते हैं कि हम मरने वाले हैं. फिर हमारा दिमाग उसे एक आदेश मानकर उस कार्य में लग जाता है. मस्तिष्क स्वयं ही शरीर में इस प्रकार के टॉक्सिक एलिमेंट पैदा करने की क्षमता रखता है जो हमें मार दे. व्यक्ति के ब्लड की जांच होगी तो उसके अंदर जहर मिलेगा और वह सांप का जहर नहीं होगा.
ऐसा ही कुछ इस वायरस के बारे में, पहले तो आपको अपने दिमाग में यह बात बैठआनी है कि हम कोरोनावायरस से लड़ सकते हैं और हरा सकते हैं. नॉर्मल फ्लू है और जहां आपके दिमाग में यह बात आ गई वही आप 50% उसके खिलाफ जीत गए. एक राहत वाली खबर यह है कि एक 103 वर्ष की वृद्ध महिला चाइना के अंदर कोरोना से ठीक हो गई है इसका मतलब कोई भी ठीक हो सकता है. बस उसके खिलाफ हिम्मत से खड़े रहना है. यह बात करनी पड़ रही है क्योंकि लोगों को डराया जा रहा है और सावधानी भी रखनी है यह भी आवश्यक है.
ठीक है आप मजबूत है लेकिन आपके आसपास आपके परिवार में जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति मजबूत हो इसलिए सावधानी हर एक को रखनी है, उनके लिए सावधानी रखनी है.
अब आप दिमागी तौर पर उसे 50% जीत चुके हैं बाकी 50% आपकी जीवनशैली आपको बचा सकती हैं. थोड़ा अनियमित लाइफस्टाइल से नियमित लाइफस्टाइल की ओर आ जाइए. 10 से 15 दिन में ही आपको काफी चेंज अपने अंदर नजर आएगा.
अपनी प्रतिरोधक क्षमता को थोड़ा बढ़ाने की कोशिश कीजिए सुबह जल्दी उठी, शाम को जल्दी सोइए. सुबह उठकर थोड़ा सा व्यायाम कीजिए. पानी पीजिए. थोड़ा सा घूमिए और खाने-पीने में अपना ध्यान रखें.
हर व्यक्ति जानता है कि उसके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से क्या अच्छा है क्या बुरा है लेकिन वह आलस्य की वजह से यह सब नहीं करता है.
करोना एक आपदा है. आप इसे पॉजिटिव रूप में लें और अपने जीवन शैली को सुधारने के लिए थोड़ा सा कोशिश करें. आपका स्वास्थ्य भी सुधरेगा, आप को मजबूती महसूस होगी. वायरस से लड़ने की क्षमता भी आपके अंदर आ जाएगी.
बाकी आप अपने टीवी स्क्रीन पर देखिए आपको काफी कुछ सिक्योरिटी के उद्देश्य से बताया जा रहा है, उनका भी पालन करके देखें.
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मैं एक घटना बताता हूं. मैं टीवी पर कोरोनावायरस के संबंध में चर्चा देख रहा था. तो एक पत्रकार ने एक व्यक्ति से पूछा, 50 से 60 वर्ष की उनकी उम्र होगी.
आप बाहर घूम रहे हैं, सरकार ने एडवाइजरी जारी की है कि बिना वजह लोग घर से बाहर ना निकले. इस पर वह व्यक्ति कहते हैं बाहर घूमने पर रोक नहीं होने चाहिए सरकार को लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए.
अब कोई उनसे पूछे आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए सरकार आपको आकर उठाएगी. आप को हेल्दी भोजन खाना चाहिए. सरकार आपको आकर खिलाएगी. अगर आप फास्ट फूड खाते हैं तो यह जिम्मेदारी भी सरकार की है कि आपको आकर रोके.
आपको सुबह कसरत करनी चाहिए अपना लाइफस्टाइल ठीक रखना चाहिए सुबह को जल्दी उठे, शाम को जल्दी सोएं यह सब प्रत्येक व्यक्ति के लिए सरकार करेगी क्या.
यह तो आपको अपने आप ही ध्यान रखना है, इसमें सरकार क्या करेगी. लेकिन हमारे देश के लोग अपने द्वारा करने वाले कार्यों के लिए भी सरकार को दोष देते हैं.
अगर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हैं जो कि अमीर व्यक्ति की भी है और गरीब व्यक्ति की भी है सक्षम व्यक्ति की भी है जो व्यक्ति सक्षम नहीं है उसकी भी है. तो इसके लिए आप सरकार को कैसे दोष दे सकते हैं.
अगर यही मानसिकता देश के अंदर रहती है तो कोरोनावायरस कभी भी कंट्रोल में नहीं आएगा. अपने आप समाप्त हो जाए बात दूसरी है.