गर्भवती स्त्री को तिल खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए. क्या प्रेगनेंसी के दौरान तिल खाना सुरक्षित रहता है.
गर्भवती स्त्री को तिल कितनी मात्रा में खाना चाहिए. तिल के कौन कौन से पोषक तत्व होते हैं. तिल कब खाना चाहिए.तिल खाने के क्या फायदे हैं. तिल खाने के क्या साइड इफेक्ट है और तिल को अपने भोजन में कैसे शामिल करें आदि.
क्या प्रेगनेंसी के दौरान तिल खाना सुरक्षित रहता है
प्रेगनेंसी के दौरान तिल खाने में कोई नुकसान नहीं होता है. बस गर्भवती स्त्री को तिल संयमित मात्रा में ही खाने चाहिए. तिल का सेवन करने से महिलाओं को कई प्रकार के पोषक तत्व प्रेगनेंसी के दौरान प्राप्त होते हैं, जो उनके गर्भ शिशु के लिए काफी लाभदायक होते हैं.
हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि तेल की तासीर गर्म होती है, इससे गर्भपात की स्थिति बन सकती है.
लेकिन इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोई रिसर्च उपलब्ध नहीं है, तो हम कह सकते हैं, कि कम मात्रा में तिल खाना प्रेगनेंसी के लिए लाभदायक होता है.
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गर्भवती स्त्री को तिल कितनी मात्रा में खाना चाहिए
प्रेगनेंसी के दौरान एक गर्भवती स्त्री दो चम्मच तिल अर्थात लगभग 20 ग्राम तिल दो समय में खा सकती है.
यह इसकी सामान्य मात्रा है इससे शरीर को फाइबर की पूर्ति हो सकती है, और यह भ्रूण के लिए भी सुरक्षित माना जाता है. लेकिन एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.
तिल को प्रेगनेंसी के दौरान कब खाना चाहिए इस बारे में किसी भी प्रकार की रिसर्च उपलब्ध नहीं है इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं.
तिल में कौन कौन से पोषक तत्व होते हैं
तिल के अंदर सभी प्रकार के फैटी एसिड्स होते हैं विटामिन ई, फॉलेट, विटामिन ए, विटामिन B6, नियासिन, राइबोफ्लेविन, थायमीन होता है. कुछ मिनरल्स भी तिल के अंदर पाए जाते हैं,
जैसे कि कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, सोडियम, जिंक और मैग्नीशियम इत्यादि कुछ और पोषक तत्व जैसे कि शुगर फाइबर कार्बोहाइड्रेट फैट प्रोटीन ऊर्जा और पानी भी इसके अंदर पाया जाता है.
प्रेगनेंसी में तिल खाने के फायदे – Til ke Fayde
- तिल को खाने के काफी सारे फायदे प्रेगनेंसी के दौरान नजर आते हैं जैसे कि –
गर्भावस्था के दौरान महिला अक्सर एनीमिया का शिकार बन जाती है, तिल के अंदर लौह तत्व पाया जाता है. - जिसकी सहायता से शरीर में नए खून की प्राप्ति होती है, और महिला एनीमिया का शिकार होने से बचती है. रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने का काम कर सकता है.
- तिल के अंदर काफी एनर्जी होती है. अक्सर महिलाओं को थकावट और कमजोरी महसूस होती है. क्योंकि प्रेगनेंसी में अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. तिल इस ऊर्जा की कमी को पूरा करने में मदद करता है.
- तिल के अंदर फाइबर पाया जाता है जिसे हम डाइटरी फाइबर भी कहते हैं यह कब्ज की समस्या में राहत लाने का कार्य करता है प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले कब्ज को दूर करने के लिए तिल मदद करता है. फाइबर की अधिक मात्रा भी नुकसान करती है इसलिए तिल को संयमित मात्रा में ही लेना चाहिए.
- गर्भ में शिशु की हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम अत्यधिक आवश्यक होता है उसके मस्तिष्क के विकास में भी मदद करता है तिल के अंदर कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है. यह गर्भस्थ शिशु और गर्भस्थ महिला दोनों के लिए फायदेमंद है.
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तिल खाने के नुकसान – Til ke Nuksan
तिल की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि यह गर्भवती स्त्री के लिए जोखिम की स्थिति पैदा दो प्रकार से कर सकता है
सबसे पहले तो तिलक एलर्जी खाद्य पदार्थ माना जाता है. इससे अधिकतर महिलाओं को एलर्जी होने का खतरा रहता है. जिन भी महिलाओं को तिल खाने से एलर्जी की समस्या है. उन्हें तिल नहीं खाना चाहिए.
दूसरी बात दिल अधिक मात्रा में खाने से पेट में गैस, अठन, मरोड़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है और दस्त भी लग सकते हैं. क्योंकि इसके अंदर उचित मात्रा में फाइबर पाया जाता है, अधिक फाइबर इन सब समस्याओं की वजह बन सकता है.
प्रेगनेंसी के दौरान तिल कैसे खाएं
प्रेगनेंसी के दौरान तिल को कई प्रकार से अपने भोजन में शामिल किया जा सकता है.
- तली भुनी तिल को कुछ सब्जियों में गार्निश करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
- भोजन के बाद तिल के लड्डू खा जा सकते हैं.
- तिल चिक्की को डेजर्ट के रूप में ले सकते हैं.
- तिल की चटनी बनाकर भी चावलों या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ परोसी जा सकती है.
- ब्रेड और रोटी पर भी तेल का इस्तेमाल होता है.
- पुदीने की चटनी में भी तिल मिलाकर महिला उसका सेवन कर सकती है.
- तिल का तेल भी प्रयोग में लाया जा सकता है.