गोरा और बुद्धिमान बच्चा प्राप्ति के लिए, मनचाही संतान प्राप्ति के लिए, किस समय संतान प्राप्ति की कोशिश करनी चाहिए।
साथ ही साथ हम आपको यह भी बताएंगे, किकौन-कौन सी तिथियां हिंदू धर्म के अनुसार संतान प्राप्ति के समागम के लिए अनुचित होती हैं।
उन से क्या क्या नुकसान होता है. और
कौन कौन सी तिथि है संतान प्राप्ति के लिए अति उत्तम मानी गई है, तथा उसमें भी कौन सा समय अत्यधिक बलवान होता है।
जिस समय संतान प्राप्ति की कोशिश करने से तेजस्वी, बलवान, बुद्धिमान, चतुर, ऐश्वर्या शाली और विख्यात पुत्र या पुत्री की प्राप्ति होती है।
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मनचाही संतान प्राप्ति का उपाय स्टेप बाय स्टेप समझने की कोशिश करते हैं.
ऋतुकाल अर्थात रजोदर्शन से प्रथम 3 दिन स्त्री समागम के लिए सर्वथा अनुचित माने गए हैं। अर्थात पीरियड शुरू होने वाले दिन से 3 दिन समागम के लिए ठीक नहीं है। साथ ही 11वीं व 13वीं रात्रि भी वर्जित है।
इसके अलावा जितनी भी रात्रिया है. उनमें समागम करने से गर्भाधान होने पर प्रसवित शिशु की आयु, आरोग्य, सौभाग्य, पौरूष, बल एवं ऐश्वर्य अधिकाधिक होता है।
यदि पुत्र की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 4, 6, 8, 10, 12, 14 या 16वीं रात्रि एवं यदि पुत्री की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 5,7,9 या 15वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद करना चाहिए।
आगे चलकर शुभ मुहूर्त का टाइम भी बताएंगे, उससे पहले कुछ जरूरी बातें डिस्कस कर लेते हैं।
पहला दिन कैसे निकाले
अगर सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले पीरियड शुरू होते हैं। (मतलब रजोदर्शन) तो वह प्रथम दिन गिनना चाहिए।
अगर रजोदर्शन मतलब पीरियड्स सूर्यास्त के बाद शुरू होते हैं, तो उसकी भी एक विधि है। आप सूर्यास्त के समय और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय लगभग 11, 12 घंटे को तीन भागों में बांट लीजिए।
अगर आपका पीरियड्स पहले दो भाग में से किसी समय शुरू होता है, तो उसे पहला ही दिन समझिए। अगर वह तीसरे भाग में शुरू होता है, तो उसे अगले दिन में जोड़ दीजिए।
वह अगला दिन अर्थात आज का दिन 10 तारीख है और कल का दिन 11 तारीख होगी। तो पहले दो भाग में पीरियड्स शुरू होने पर 10 तारीख को पहला दिन मानिए और तीसरे भाग में शुरू होने पर 11 तारीख को पहला दिन मान ले ।
मतलब Morning 3, 4 के आसपास पीरियड शुरू होते हैं, तो वह लगभग तीसरे भाग में शुरू हुए हैं, तो तारीख 11 पहला दिन है।
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तो आप समझ गए होंगे कि पहला दिन कैसे निकालना है।
संतान प्राप्ति के लिए समागम कब न करें
चतुर्दशी ,पूर्णिमा, एकादशी , प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, पर्व या त्यौहार की रात्रि, चतुर्मास, श्राद्ध के दिन, प्रदोषकाल (त्रयोदशी के दिन सूर्यास्त के निकट का काल), क्षयतिथि (दो तिथियों का समन्यवकाल) एवं मासिक धर्म के तीन दिन समागम नहीं करना चाहिए।
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स्वयं की जन्मतिथि ,माता-पिता की मृत्युतिथि, नक्षत्रों की संधि (दो नक्षत्रों के बीच का समय) तथा, मघा, रेवती, भरणी, अश्विनी व मूल इन नक्षत्रों में समागम वर्जित है।
दिन में समागम आयु व बल का बहुत ह्रास करता है, अतः न करें।
अब चौथी रात्रि से लेकर सोलवीं रात्रि तक जो जो भी दिन बैठते हैं, जो जो भी वार बैठते हैं। उनमें सबसे शुभ समय कौन सा है। उसके बारे में हम आपको बता देते हैं।
पूरे हफ्ते का शुभ समय का चार्ट आपके सामने हैं। यह समय केवल रात्रि के लिए ही है। क्योंकि दिन में तो संबंध बनाना कोशिश करना वर्जित माना गया है।
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रविवार | सोमवार | मंगलवार | बुधवार | गुरुवार | शुक्रवार | शनिवार |
8 से 9 | 10.30 से 12 | 7.30 से 9 | 7.30 से 10 | 12 से 1.30 | 9 से 10.30 | 9 से 12 |
1.30 से 3 | 1.30 से 3 | 10.30से1.30 | 3 से 4 | 12 से 3 |
![ladka paida karne ki vidhi, ladka paida karne ka upay पुत्र या पुत्री, मनचाही संतान प्राप्ति](https://cdn.pixabay.com/photo/2016/08/29/17/57/twins-1628843_1280.jpg)
यदि पुत्र की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 4, 6, 8, 10, 12, 14 या 16वीं रात्रि एवं यदि पुत्री की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 5,7,9 या 15वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद करना चाहिए।
और उस दिन या उन दिनों जो जो भी सप्ताह के वार पड़ते हैं उनका शुभ समय भी आपके सामने हैं।
दोस्तों यह सब जो भी इस समय और दिन आपको बताए गए हैं। यह सब विभिन्न शास्त्रों में उपस्थित ज्ञान के आधार पर बताए गए हैं।इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि हमारे शास्त्र अपने आप में वैज्ञानिक परक हैं। हालांकि आधुनिक विज्ञान से वह उतना अधिक मेल नहीं खाते हैं।