हम इम्यूनिटी बूस्टर गिलोय को लेकर चर्चा कर रहे हैं जैसा कि आज का स्थिति चल रही है हर व्यक्ति को बीमारी का डर है संक्रमण का डर है. ऐसे में एक ही बात सभी डॉक्टर कह रहे हैं, कि आपका इम्यून सिस्टम अगर अच्छा है, तो आपको किसी भी बात का डर नहीं है.
इसके लिए हमारे आयुर्वेद के अंदर काफी सारे प्राकृतिक रूप से इम्यून बूस्टर औषधि है जिसमें एक गिलोय हैं ….
गिलोय किस तरह का नजर आता है इसकी पत्तियां इस की टहनियां कैसी होती है. यह आपको image में स्पष्ट नजर आ रहा है.
गिलोय को गुडुची के नाम से भी जाना जाता है. इसे गिलोय अमृता, अमृतावल्ली, गुलवेल, गुलोची, गुलोची भी कहा जाता है.
इसका तना देखने में रस्सी जैसा होता है. एक तरह से इसे हम बेल कह सकते हैं. इसके ऊपर हरे रंग के फूल और गुच्छे लगते हैं. इसके पत्ते कोमल होते हैं, जो कि लगभग पान के आकार के होते हैं. और उसका फल मटर के दाने जैसा होता है.
- गिलोय तासीर में गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका काढ़ा नहीं पीना चाहिए.
- 5 वर्ष से छोटे बच्चे को गिलोय बिना डॉक्टर से पूछे बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए. डॉक्टर से यहां मतलब आयुर्वेदाचार्य से हैं.
स्वाद में गिलोय काफी कड़वी होती है आयुर्वेद में इसे रसायन कहा जाता है इसलिए इसके फायदे अनगिनत है अधिकतर रसायन इम्यूनिटी बूस्टर होते हैं.
इम्यूनिटी बूस्टर का मतलब होता है शरीर में किसी भी प्रकार का रोग लगे, उस रोग से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना अर्थात व्यक्ति को अधिकतम स्वस्थ बनाना.
गिलोय के पत्तियों का और तने का प्रयोग करके इसका काढ़ा बनाया जाता है.
गिलोय का प्रयोग अपने इम्यून सिस्टम के लिए कैसे करें
आजकल इम्यून बूस्टर को लेकर बहुत ज्यादा इंटरनेट पर सर्चिंग हो रही है, और बहुत सारे पोस्ट आपको मिलेंगे, जहां पर आपको गिलोय के फायदे का पता चल जाएगा, लेकिन अधिकतर लोग यह नहीं जानते हैं कि गिलोय का प्रयोग हम कैसे करें , गिलोय को किस प्रकार से अपने जीवन का हिस्सा बनाएं.
गिलोय का प्रयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है अगर आपको नॉलेज है तो …….
यह भी आपको ऑनलाइन बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है गिलोय रस और गिलोय टेबलेट बहुत सारी कंपनियां बनाती हैं.आप खरीद भी सकते हैं.
अगर वैसे आप जानकार है तो आपको गिलोय का जूस या गिलोय का काढ़ा स्वयं बनाकर ताजा-ताजा लेना चाहिए यह सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.
गिलोय की कितनी मात्रा 1 दिन में उचित रहती है
एक स्वस्थ व्यक्ति को 1 दिन में 20 ग्राम से ज्यादा गिलोय की मात्रा का प्रयोग नहीं करना चाहिए अगर आप गिलोय का जूस भी ले रहे हैं तो आपको 20ml जूस से ज्यादा एक दिन में नहीं पीना चाहिए.
अगर आप टेबलेट का प्रयोग करते हैं तो आपको सुबह-शाम एक-एक टेबलेट लेने में कोई दिक्कत नहीं है वैसे आप टेबलेट अगर खरीदते हैं तो किसी आचार्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श करके उसका प्रयोग कर सकते हैं, और वैसे बोतल पर भी इंडिकेशन होता है कि आपको 1 दिन में कितना लेना है.
संक्रमण या बैक्टीरिया पर गिलोय क्यों है असरदार
20 से ज्यादा फायदे गिलोय के होते हैं लेकिन आज हम इंफेक्शन और बुखार को लेकर ही चर्चा करेंगे.
जैसा कि आप जानते हैं कि इंफेक्शन के डर से पूरी दुनिया थरथर कहां पर ही है. लॉकडाउन लगा हुआ है.
दुनिया की अर्थव्यवस्था नीचे आ गई है. ऐसे में सभी व्यक्ति अपनी सुरक्षा के लिए घरों में रुके हुए हैं, और अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहे हैं.
क्योंकि मजबूत इम्यून सिस्टम किसी भी प्रकार के वायरस अटैक, बैक्टीरिया अटैक और बुखार को, इन्फेक्शन को दूर करने की क्षमता रखता है.
गिलोय के अंदर क्षमता होती है, कि वह आपके बुखार को, खांसी जुखाम, इंफेक्शन को ,आपके स्वसन तंत्र को मजबूत बनाने का कार्य करता है.
हम सभी जानते हैं जब भी हमारे शरीर पर किसी बैक्टीरिया का अटैक होता है, तो हमारा शरीर उसे नष्ट करने के लिए शरीर के तापमान को बढ़ाता है.
आयुर्वेद में कहा गया है कि गिलोय पाचन संबंधी और सांस संबंधी रोगों में रामबाण औषधि की तरह काम करती है.
यह खांसी और दमा , फेफड़ों के इन्फेक्शन में काफी दमदार तरीके से काम करती है, तो यह आजकल चलने वाले फेमस बैक्टीरिया या इंफेक्शन पर भी असरकारी होगी.
गिलोय एक रसायन है इसलिए इसके अंदर एंटीएलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटीपायरेटिक गुण पाए जाते हैं इसलिए यह संक्रमण में काफी कारगर है.