आज कुछ प्रश्नों को एक साथ ले रहे हैं
प्रेगनेंसी नहीं है लेकिन गैस, उल्टी, बदहजमी, मतली और मूड स्विंग है मुझे गैस एसिडिटी कब मतली या उल्टी जैसा, गंद के प्रति परिवर्तन या हल्का फुल्का मूड स्विंग आदि समस्याएं लास्ट पीरियड के 20 दिन के आसपास से शुरू हो जाती हैं और हमें लगता है कि हम गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन हर बार पीरियड आ जाता है, और यह प्रेगनेंसी के झूठे लक्षण आ रहे हैं और बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है.
हम इसी प्रश्न को चर्चा में ला रहे हैं कि हम कैसे पहचाने कि यह लक्षण पीरियड्स के हैं या आप गर्भवती हो गई हैं.
देखिए यहां पर 1, 2 छोटी-छोटी बातें हैं. आप उन्हें समझ ले तो इस बात को समझने में आपको आसानी होगी.
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लक्षण कब आते हैं
प्रेगनेंसी के दौरान भी हारमोंस बदलते हैं. उनकी मात्रा बदलती है, तो यह भी लक्षण प्रदान करती है. इस प्रकार के बदलाव को हम हार्मोन डिसबैलेंस नहीं कहते हैं. क्योंकि यह बच्चे के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही है. लेकिन जब बिना प्रेगनेंसी के हारमोंस बदलते हैं, तो इनसे हमेशा अधिक समस्या होती है तो इसे हम हार्मोन डिसबैलेंस कहते हैं.
लेकिन दोनों ही स्थिति में हारमोंस की मात्रा में बदलाव आता है. तो लक्षण नजर आते हैं. यह लक्षण जो भी है. यह प्रेगनेंसी के आप नहीं कह सकते हैं. यह लक्षण हारमोंस में परिवर्तन के होते हैं.
हारमोंस परिवर्तन का महिला पर प्रभाव
यहां दूसरी बात यह भी है, कि हर हार्मोन की मात्रा हर महिला के शरीर में थोड़ा अलग अलग होती है. हर महिला का शरीर हर हारमोंस के प्रति रेस्पॉन्स अलग प्रकार से देता है. तो कुछ महिलाओं को कम या ज्यादा लक्षण नजर आते हैं.
कुछ महिलाओं को अलग-अलग लक्षण भी एक ही वजह से नजर आते हैं.
यह जितने भी लक्षण जिन पर हम चर्चा कर रहे हैं यह प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस में बदलाव के कारण मुख्यतः नजर आते हैं, हालांकि इनमें दूसरे हार्मोन का भी हल्का-फुल्का प्रभाव रहता है.
हारमोंस में बदलाव प्रेगनेंसी की वजह से भी होता है और बिना प्रेगनेंसी के दूसरी वजहों से भी हारमोंस में बदलाव हो सकता है तो लक्षण नजर आ सकते हैं.
जिन लक्षणों पर हम चर्चा कर रहे हैं यह प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की कमी या उसकी अधिकता की वजह से अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग प्रकार से नजर आते हैं.
प्रेगनेंसी और पीरियड में एक जैसे लक्षण आना
अगर आपको गैस एसिडिटी मूड स्विंग मछली इत्यादि की समस्या लास्ट पीरियड के 20, 22 दिन के बाद शुरू होती है, तो इसे हम प्रेगनेंसी के लक्षण के रूप में देखते हैं.
क्योंकि अब धीरे-धीरे प्रोजेस्ट्रोन और दूसरे हारमोंस का लेबल महिला के शरीर में बढ़ने लगा है, और इन हारमोंस के साइड इफेक्ट के रूप में यह लक्षण नजर आते हैं, तो यह प्रेगनेंसी के लक्षण माने जाते हैं.
लेकिन यह लक्षण कुछ महिलाओं में उस वक्त भी नजर आते हैं, जब महिला के शरीर से प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस का लेवल कम हो जाता है.
अर्थात जब महिला को पीरियड आने वाले होते हैं, तो उससे एक-दो दिन पहले महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है. क्योंकि इस हारमोंस की कमी के कारण ही महिला को पीरियड आते हैं, और जब महिला गर्भवती रहती है, तो इसकी मात्रा काफी बढ़ने लगती है.
क्योंकि यह गर्भपात को रोकता है अर्थात पीरियड्स नहीं आने देता है, तो इसकी अधिकता और कमी दोनों की वजह से इस प्रकार के लक्षण नजर आते हैं.
प्रेगनेंसी और पीरियड आने के लक्षणों को कैसे पहचाने
यहां आपको इस प्रकार से पहचानना है कि अगर लक्षण 20 से 22 दिन के बाद नजर आ रहे हैं तो अधिकतर मामलों में यह प्रेगनेंसी ही लक्षण माना जाता है, लेकिन अगर आपको लास्ट प्रेगनेंसी के 28 दिनों के आसपास नजर आते हैं, तो फिर यह आपके शरीर में हार्मोन का लेवल गिरने की वजह से जो की कमी हुई है. उसकी वजह से यह लक्षण आ रहे हैं.
यह इस बात को दिखाता है कि आपके पीरियड्स आने वाले हैं हालांकि यह लक्षण हर एक महिला को नजर नहीं आते हैं.
तो आप इन लक्षणों को गौर करें कि है किस समय से शुरू होते हैं और इस प्रकार से आप स्पष्ट रूप से पता लगा पाएंगे कि आपको हार्मोन अल डिसबैलेंस की वजह से यह लक्षण है या प्रेगनेंसी के कारण यह लक्षण है.