क्या प्रेगनेंसी में हल्दी खानी चाहिए

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क्या प्रेगनेंसी में हल्दी खानी चाहिए

आमतौर पर हल्दी का इस्तेमाल हम पकवानों को बनाने में करते हैं और भारतीय घरों में हल्दी का नियमित इस्तेमाल किया जाता है. क्या प्रेगनेंसी में हल्दी का प्रयोग करना चाहिए किसी विषय पर चर्चा करें.

साधारण तौर पर हल्दी एक मसाला भी है, और एक आयुर्वेदिक औषधि भी है.

औषधि के रूप में हल्दी का प्रयोग अगर महिला के पीरियड अनियमित हो जाते हैं, तो उसे नियमित करने के लिए किया जाता है, तो फिर इस पर गौर करने वाली बात है कि यह प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला और उसके शिशु के लिए कितने लाभदायक हो सकती है.

क्या प्रेगनेंसी में हल्दी सुरक्षित है

डॉक्टर या डाइटिशियन के अनुसार अगर आप हल्दी का प्रयोग भोजन के माध्यम से करते हैं, और पकवान के माध्यम से गर्भवती महिला से खाती है, तो कोई भी साइड इफेक्ट नहीं आता है.

लेकिन यह उनके लिए लाभकारी है या नहीं है इस बारे में कोई भी रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन इससे कोई नुकसान होता है. इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है.

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बस आप इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी हल्दी प्रेगनेंसी के दौरान प्रयोग में ला रहे हो, वह शुद्ध होनी चाहिए.

हो सके तो कच्ची हल्दी को अपनी आंखों के सामने पीसकर गर्भवती महिला के लिए प्रयोग में लाना चाहिए क्योंकि बाजार में मिलने वाली हल्दी शुद्ध भी होती है लेकिन कभी-कभी उसके अंदर मिलावट भी आती है.
जैसे कि कभी-कभी उसके अंदर मेटल या लेड अर्थात शीशा मिला दिया जाता है, यह शीशा गर्भवती महिला के लिए अत्यधिक नुकसानदायक होता है.

एक रिसर्च के अनुसार गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान कम हल्दी ही प्रयोग में लानी चाहिए. क्योंकि यह तासीर में गर्म होती है. साथ ही साथ अगर महिला क्रेविंग के चलते हल्दी वाला दूध पीने की इच्छा रखती है, तो प्लीज इस बात का ध्यान रखें कि इस विषय में अपने डॉक्टर से अवश्य ही पूछे.

क्या प्रेगनेंसी में हल्दी खानी चाहिए

हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी गर्म तासीर की होती है इसलिए इसके औषधीय गुण भी उसी प्रकार के होते हैं इसे खाने से घाव जल्दी भरते हैं त्वचा में  निखार आ जाता है इसके अंदर anti-inflammatory, एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं. जोड़ों में दर्द, अनिद्रा जैसी समस्याओं में यह काफी लाभदायक मानी जाती है.

प्रेगनेंसी में हल्दी या हल्दी दूध के फायदे

हल्दी में काफी सारे औषधीय गुण होते हैं तो यह कई तरीके से गर्भवती स्त्री और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए लाभकारी भी होती है.

सर्दी जुखाम में लाभदायक

सर्दी जुखाम ठंड की बीमारी है और हल्दी की तासीर गर्म होती है. अगर आप की प्रेगनेंसी सर्दियों के मौसम में है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर हल्दी का प्रयोग सर्दी जुखाम के लिए कर सकते हैं. क्योंकि दवाइयों को प्रेगनेंसी के दौरान उचित नहीं माना जाता है.

दर्द में राहत

जैसा कि हमने बताया हल्दी में anti-inflammatory को गुण होते हैं, तो यह है प्रेगनेंसी के दौरान हाथ पैरों या कमर में होने वाले दर्द में काफी राहत प्रदान कर सकती है.

फीटल एल्कोहल सिंड्रोम से करे बचाव

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को एल्कोहल का सेवन न करने की सलाह देते हैं. एल्कोहल के सेवन से बच्चे के विकास पर बुरा असर पड़ सकता है. जिसकी वजह से बच्चे के दिल और ब्रेन का विकास प्रभावित हो सकता है. जिसे फीटल एल्कोहल सिंड्रोम कहा जाता है. ऐसी स्थिति से बचाव करने के लिए प्रेग्नेंसी में हल्दी का सेवन लाभकारी हो सकता है.

इम्यून सिस्टम मजबूत करें

हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण गुण यही है, कि यह महिला के इम्यून सिस्टम को पुष्ट करती है. क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर रहता है, तो हल्दी उस कमी को पूरा करने की क्षमता रखती है. लेकिन इसे कम ही लेने की सलाह दी जाती है. आपको इस बात का भी ध्यान रखना है.

पेट से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं को दूर करें

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में प्रदूषण हारमोंस काफी ज्यादा बढ़ जाता है. इसकी वजह से महिला के शरीर की मांसपेशियां थोड़ा आराम वाली अवस्था में चली जाती है. अर्थात थोड़ा मुलायम हो जाती है, और अपने कार्य में थोड़ा सुस्त पड़ जाती है. इस वजह से महिला को कब्ज की समस्या गैस एसिडिटी की समस्या होने लगती है. महिला इस हल्दी इस समस्या में काफी राहत प्रदान करती है.

रात को आएगी अच्छी नींद

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को रात में बेचैनी अधिक महसूस होती है. वहीं कुछ महिलाओं को रात में नींद भी नहीं आती है. ऐसे में रोजाना गुनगुने दूध में एक चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से रात में अच्छी नींद आती है.

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कब नहीं करनी चाहिए गर्भावस्था में हल्दी का सेवन

अगर महिला गर्भवती है और उसके पेट में पथरी है तो फिर वह हल्दी का सेवन बिल्कुल नहीं करें.
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन, प्रेग्नेंट महिलाओं में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की नकल करता है, जिससे मेन्स्ट्रूअल क्रैम्प्स और यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन्स बढ़ जाता है जो समय से पहले के जन्म यानी प्रीमैच्योर बर्थ और मिसकैरिज का कारण भी बन सकता है.

अगर महिला के परिवार में जेनेटिक डायबिटीज की समस्या है, तो फिर प्रेगनेंसी में हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. मात्र भोजन में जितना आप ले सकते हैं उतना ही ले.

हल्दी के सेवन से हमारी बॉडी में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल भी कम हो जाता है. इसलिए गर्भावस्था में हल्दी का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करनी चाहिए.

हल्दी का ज्यादा इस्तेमाल करने से खून को पतला करने और ऐसिड ब्लॉक करने वाली दवाइयों को काम करने का तरीका प्रभावित हो सकता है, जो शरीर में खून के थक्के बनने का कारण भी हो सकता है.  इसलिए हल्दी का इस्तेमाल सब्जी या दाल में ही करें.

क्या प्रेगनेंसी में हल्दी वाला दूध पीना सुरक्षित है?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हर एक दिन में एक चुटकी हल्दी वाला गर्म दूध का सेवन करना सुरक्षित है. दूध कैल्शियम का एक प्रमुख स्रोत होता है, जो गर्भावस्था के दौरान आवश्यक होता है.

वहीं, हल्दी एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेंट्री गुणों से भरपूर होता है, जो गर्भवती महिला के शरीर को मौसमी बीमारियों से बचाए रखने में मदद करता है.

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