आज की डेट में गर्भपात कराने का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है. बच्चे की आवश्यकता नहीं होने पर अक्सर दंपत्ति बिना वजह गर्भपात करवा लेते हैं. गर्भपात कराने से कौन-कौन से नुकसान महिला को हो सकते हैं. कौन-कौन से बड़ी बीमारियों का खतरा महिला को बढ़ जाता है.
डॉक्टर के अनुसार जैसे-जैसे भारत मॉडर्न होता चला जा रहा है वैसे वैसे भारत के अंदर गर्भपात के केस भी बहुत ज्यादा बढ़ते चले जा रहे हैं.
डॉक्टर्स का मानना है कि इनका बहुत ज्यादा खतरा महिलाओं के शरीर के लिए होता है. इससे कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
गर्भपात का शरीर पर दो प्रकार से होता है. कुछ ऐसे साइड इफेक्ट होते हैं जो तुरंत नजर आ जाते हैं, लेकिन कुछ साइड इफेक्ट सालों बाद नजर आते हैं, जो काफी नुकसानदायक हो सकते हैं. तुरंत आने वाले साइड इफेक्ट तो आप सभी जानते हैं जैसे कि दर्द होना, अधिक ब्लडिंग होना, मतली लगना, मन का अच्छा ना होना और भी बहुत दूसरे छोटे-छोटे लक्षण महिलाओं को नजर आते हैं.
जो कुछ सालों के बाद नजर आते हैं वह काफी खतरनाक हो सकते हैं अधिकतर देखा गया है कि जिन महिलाओं का गर्भपात होता है या एक से ज्यादा बार गर्भपात हो जाता है. उन महिलाओं को अक्सर ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर होने का खतरा दूसरी महिलाओं की तुलना में 50% तक अधिक होता है. अगर आप की उम्र 40 से ज्यादा है, और आप मा नहीं बनी है तो एक बार कैंसर का पता लगाने वाले टेस्ट जरूर करवा ले.
जिन महिलाओं का गर्भपात होता है, ऐसी महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. तुरंत गर्भपात होने पर महिलाओं को पेट में दर्द की शिकायत, उबकाई आना, उल्टी होना, डायरिया, स्पॉटिंग या बिल्डिंग जैसी समस्याएं नजर आती है. गर्भपात के बाद महिलाओं को डिप्रेशन मनोबल में कमी, सर दर्द, बार-बार mood swing होना जैसी समस्याएं भी नजर आती है.
एक बार गर्भपात करवाने से सर्वाइकल कैंसर का रिस्क तो ढाई गुना तक बढ़ जाता है। दो या उससे अधिक गर्भपात कराने पर यह खतरा चार गुना बढ़ जाता है.
पीआईडी यानी पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीज, एक जानलेवा बीमारी है। गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर यह बीमारी जल्दी अपनी जद में ले लेती है.
ऐसी महिला जो बार-बार गर्भपात करवाती हैं, उनमें विकलांग बच्चे को जन्म देने का खतरा भी बढ़ जाता है.
अबॉर्शन पिल्स लेने से पहले ये ध्यान रखें
पिल्स से कभी-कभी पूरी तरह से गर्भपात नहीं हो पाता। पिल्स लेने के दो हफ्ते बाद रुटीन चेकअप जरूर करवाएं.
अगर हृदय रोग, अस्थमा, डायबिटीज, एनीमिया या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो पिल्स न लें. एचआईवी से ग्रस्त महिलाओं को भी ये पिल्स नहीं दी जाती.
अगर ठीक तरह से गर्भपात नहीं हुआ है तो ऐसे में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है.
फेलोपियन टय़ूब में किसी तरह का जख्म हो जाता है तो महिला का भविष्य में मां बनना मुश्किल हो जाता है.