हर माता-पिता अपने बच्चे का ध्यान सावधानी से रखते हैं. लेकिन कभी-कभी अनजाने में मां-बाप ध्यान रखना भूल जाते हैं. ऐसी ही एक अवस्था तब आती हैं. जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं. उस वक्त बच्चे को दातों में दर्द और खुजलाहट की समस्या हो जाती है, तो मां-बाप क्या करते हैं बाजार से जाकर एक टीथर बच्चे को लाकर दे देते हैं. जिसे वह दबाकर या चबाकर अपने दांतो की खुजलाहट शांत करता है और बच्चे की चिड़चिड़ा हट कम हो जाती है.
यहां मां-बाप कुछ बातें भूल जाते हैं –
जैसे कि जो टीथर वह बच्चे को दे रहे हैं क्या वह देना चाहिए,
किस प्रकार के टीथर बच्चे को दिए जा सकते हैं,
क्या प्लास्टिक के टीथर देना चाहिए,
कौन से टीथर सुरक्षित होते हैं,
टीथर को देते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
यहां मां-बाप कुछ बातें भूल जाते हैं –
जैसे कि जो टीथर वह बच्चे को दे रहे हैं क्या वह देना चाहिए,
किस प्रकार के टीथर बच्चे को दिए जा सकते हैं,
क्या प्लास्टिक के टीथर देना चाहिए,
कौन से टीथर सुरक्षित होते हैं,
टीथर को देते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
दोस्तों आपने देखा होगा जब बच्चे के दांत निकलते हैं तो बच्चे की तबीयत थोड़ा सा खराब रहती है. बच्चे को पेट दर्द, उल्टी, दस्त, बुखार और चिड़चिड़ापन की समस्या हो जाती है. अधिकतर समाज में यही माना जाता है कि बच्चे के दांत निकलते समय यह सब होता है. यह दांत निकलने के साइड इफेक्ट के तौर पर माना जाता है लेकिन यह गलत धारणा है.
बच्चे की तबीयत मुख्यतः दो कारणों से खराब होती है
पहला तो जो बच्चा चीजें अपने मुंह में डालता है उसके कारण
दूसरा बच्चे को जो टीथर जिसे हम चूसनी भी कहते हैं उसके मटेरियल के कारण
अब आप बच्चों की सफाई का ध्यान रखें,
बच्चों को बिना वजह मुंह में हाथ में डालने दे,
बच्चे को जो टीचर आप प्रोवाइड कर आते हैं, उसकी भी सफाई रखें,
अपने फर्श को साफ रखें,
बच्चों के कपड़े साफ रखें जो दांत निकलने के समय तबीयत खराब होती है उसका एक कारण समाप्त हो जाएगा.
अब दूसरा कारण है बच्चे का टीथर जो उसे आप प्रोवाइड कर आते हैं उसके लिए आपको विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
बच्चे को टीथर के रूप में क्या दें
विशेषज्ञों की राय है कि अगर बच्चे को आर्टिफिशल टीथर की जगह मूली, गाजर, ककड़ी, खीरा इत्यादि खाद्य वस्तुओं के बड़े टुकड़े दिए जाए तो वह टीचर की जगह सही रहता है. टुकड़े इतने बड़े होने चाहिए कि बच्चा नि गलना सके. यह नेचुरल है, बिल्कुल ठीक है, किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी, स्वास्थ्य उत्तम रहेगा.
अगर किसी कारणवश बच्चे ने इन का टुकड़ा तोड़कर निगल लिया तो वह उसके गले में अटक सकता है. परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. अगर प्रैक्टिकल के नजरिए से देखा जाए तो इनका देना सही नहीं है.
अपने हाथ साफ करके बच्चे के मुंह में उंगली डालकर मसाज करें. यह भी उत्तम तरीका है, लेकिन हमेशा तो आप यह नहीं कर सकते. पर कभी-कभी दिन में दो-तीन बार आपको यह करना चाहिए.
माता पिता सबसे उत्तम तरीका यही मानते हैं कि प्लास्टिक का टीथर जिसे बच्चा निगल नहीं सकता, वह काफी सही रहता है. यह मुलायम भी रहेगा बच्चे के दांतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा और बच्चे की आवश्यकता की पूर्ति भी हो जाएगी.
मार्केट में मिलने वाले टीचर लो क्वालिटी की प्लास्टिक से बने होते हैं और उनके ऊपर पेंट भी होता है. इनको बनाने के लिए प्रयोग होने वाला केमिकल बच्चे के शरीर में जाकर बच्चे को काफी बीमार बनाने के लिए काफी होता है.
मार्केट में मिलने वाली टीथर का एक ऑप्शन है. आप BPA-free टीथर बच्चों को उपलब्ध करा सकते हैं. यह काफी सुरक्षित रहते हैं. मुलायम होते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं देते.
BPA का मतलब होता है बिस्फेनॉल, यह प्लास्टिक है जो डिब्बे और कंटेनर बनाने के काम आता है, जिसमें आप खाद्य सामग्री रखते हैं.
अब टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो चुकी है ऐसे ऐसे मटेरियल अब आ रहे हैं जो बच्चों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उत्तम होते हैं, इसलिए आप BPA-free टीथर का उपयोग करें.
आप लकड़ी के टीथर का प्रयोग भी बच्चे के लिए कर सकते हैं. लकड़ी से बने टीथर बिल्कुल केमिकल फ्री होते हैं. उनका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है. बस लकड़ी काफी कठोर होती है. इस कारण से कभी-कभी बच्चे के मसूड़ों में चोट लगने का डर रहता है. इतना रिस्क लिया जा सकता है.