अधिकतर बच्चों में यह समस्या देखने में नहीं आती है. लेकिन कुछ बच्चों में यह समस्या नजर आती है. कभी-कभी मां बाप लार टपकने को बच्चों की सेहत से जुड़ी हुई समस्या मानने लग जाते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं होता है.
माता-पिता काफी कंफ्यूज रहते हैं. आज हम उनकी इसी समस्या को लेकर चर्चा कर रहे हैं ताकि उनका सारा कंफ्यूजन दूर हो सके.
चर्चा करेंगे —-
क्या लार टपकना सामान्य बात है. लार कब टपकना ठीक और कब तक नुकसानदायक होती है.
क्या लार बनना आवश्यक है
लार बनने के क्या कारण होते हैं
लार बनने पर घरेलू उपाय और इलाज
क्या लार टपकना सामान्य बात है
दोस्तों अक्सर बच्चों में लार टपकने की समस्या देखने में नहीं आती है, लेकिन जब बच्चा छोटा होता है तो उस वक्त लार टपकना अक्सर देखा जाता है.
बच्चा लगभग पांचवें महीने के आसपास लार टपकना शुरू कर सकता है. क्योंकि इस वक्त तक बच्चे के सलाइवा ग्लैंड विकसित हो चुके होते हैं और उसके मुंह में लार का प्रोडक्शन शुरू हो जाता है. इस वजह से लार टपक सकती है. यह एक निहायती सामान्य बात है. माना जाता है कि बच्चा 5 महीने से लेकर 2 साल तक अगर लार आती है तो इसे सामान्य ही माना जाता है. अगर 2 साल के बाद बच्चे की लार टपकना जारी रहता है तो इसे सामान्य नहीं माना जाता है.
वैसे दोस्तों लार टपकने का एक सबसे अच्छा ऑप्शन यही है कि बच्चे के गले में कपड़ा बांधने आ जाए यह आपको बाजार में बने बनाए मिल जाते हैं. बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि वह कपड़ा ऐसा हो जो बच्चे की लार को सोख सके, वैसे यह कैसे होते हैं और आपको कहां पर मिलेंगे इससे संबंधित लिंक हम अपने स्पीडो थे डिस्कशन में भी दे देंगे. जिससे आपको आईडिया लग सके आपकी स्क्रीन पर भी यह दिखाई पड़ रहा है. बहुत अच्छे अच्छे डिजाइन में यह आते हैं.
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क्या लार बनना आवश्यक है
लार टपकने को लेकर हम यह सोचते हैं कि आखिर यह लार बन ही क्यों रही है.
हम आपको बता दें प्रत्येक व्यक्ति को जीवन भर मुंह में लार बनती है और यह अत्यधिक आवश्यक है. जब बच्चा दूध पीता है तो लाल बच्चे के मुंह में दूध के साथ मिलकर पेट में जाती है, जहां वह दूध को पचाने का कार्य करती है. और आवश्यक तत्व को अवशोषित करने में मदद करती है. बच्चा 6 महीने के बाद थोड़ा सा खोज भजन खाने लगता है, और वह जब दूध भी पीता है तो इस कारण से उसके मुंह में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं. यह लार उन बैक्टीरिया को समाप्त करने का कार्य भी करती है. बस 2 साल का होते होते बच्चा लार निगलना सीख लेता है. इस कारण भविष्य में उसे लार टपकने की समस्या नजर नहीं आती है. यह लार प्रत्येक व्यक्ति के मुंह में जीवन भर बनती है और अत्यधिक आवश्यक है.
लार बनने के क्या कारण होते हैं
लार बनने के कुछ सामान्य कारण होते हैं और कुछ असामान्य कारण भी नजर आते हैं सामान्य कारण तो ठीक है लेकिन असामान्य कारण काफी परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
जब बच्चा लगभग 22 हफ्ते का हो जाता है, औसतन 5 महीने के आस-पास तो बच्चे के मुंह के अंदर सलाइवा ग्लैंड विकसित हो जाते हैं. वह लार का उत्पादन शुरू कर देते हैं. बच्चा लार निगल नहीं पाता है. और लार टपकना शुरू हो जाता है.
जब बच्चे के दांत निकलना शुरू हो जाते हैं उस दौरान बच्चे के सलाइवा ग्लैंड काफी उत्तेजित अवस्था में रहते हैं और अधिक लार का प्रोडक्शन करते हैं. इस कारण भी लार टपकना ज्यादा नजर आता है.
हल्का सा भोजन भी छोटे बच्चे के लिए काफी ज्यादा तीखा माना जाता है. ऐसे में बच्चा जब शुरू शुरू में थोड़ा सा तीखा भोजन खाता है, तो बच्चे के सलाइवा ग्लैंड काफी उत्तेजित हो जाते हैं और अधिक लार का उत्पादन करने लगते हैं और अधिक लार टपकने की समस्या दिखाई देती है.
कुछ असामान्य कारण भी ऐसे हो सकते हैं जिनके कारण बच्चे की लार टपकने की समस्या काफी ज्यादा नजर आए यह मेडिकल हेल्थ से संबंधित कारण है.
अगर बच्चे की मस्तिष्क की शक्ति कमजोर है अर्थात बच्चा मंदबुद्धि है तब भी लार टपकना अधिक नजर आता है.
बच्चे के तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्या में भी लार टपकने की समस्या काफी ज्यादा नजर आती है.
कुछ अनुवांशिक बीमारियों के कारण भी लार अधिक बन सकती है और यह समस्या 2 साल के बाद भी नजर आ सकती है.
अगर बच्चे के मुंह में किसी कारणवश घाव हो जाता है तब भी लार काशी ज्यादा बनती है.
यह कुछ असामान्य कारण थे जिनकी वजह से लार बनती है लार बनना एक काफी फायदेमंद प्रोसेस है जो बच्चे के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आवश्यक है.
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लार बनने पर घरेलू उपाय और इलाज
देखिए लार बनाना एक अत्यधिक आवश्यक कार्य हमारे शरीर के लिए है. यह हमारे शरीर के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यधिक आवश्यक है. हां, अगर लार टपकती है तो यह एक समस्या हो सकती है. इसे रोकने के लिए इसका इलाज और घरेलू उपाय किए जा सकते हैं.
अगर 2 साल की उम्र के बाद भी बच्चे की लार टपकती है तो फिर डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन अगर बच्चा छोटा है और उसकी लार टपक रही है तो कुछ घरेलू उपाय किए जा सकते हैं ताकि लार टपकने के जो नुकसान होते हैं वह बच्चे को नहीं हो. इसके लिए बच्चे को टीथर दे दिया जाता है.
माना जाता है कि अगर बच्चा टीथर का प्रयोग करता है तो उसके लार कम बनती है क्योंकि अक्सर दांत निकलते समय लार काफी ज्यादा मात्रा में नजर आती है, टीथर का प्रयोग करने से दांतो और मसूड़ों को आराम भी मिलता है. और लार कम भी बनती है. इसका कोई साइंटिफिक कारण तो नहीं पता है लेकिन ऐसा देखने में आता है.
बच्चे के गले में एक विशेष प्रकार का कपड़ा बांध दिया जाता है उस कपड़े की खासियत यह होनी चाहिए कि वह लार को सोखने के लिए उपयुक्त हो. आपको स्क्रीन पर वह कपड़ा दिखाई पड़ रहा होगा जिसे ड्रूल बिब भी कहा जाता है.
जब 2 साल के बाद भी बच्चे की लार टपकने की समस्या नजर आती है तो डॉक्टर इसके लिए आपको मेडिसन भी देते हैं और आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है.