नवजात शिशु के लिए इन 9 बातों को सपने में भी याद रखें

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9 महीने का कठिन टाइम व्यतीत करने के बाद और प्रसव पीड़ा से गुजरने के बाद महिला के पास एक प्यारा सा बच्चा है. आजकल परिवार संयुक्त ना होकर एकल हो गए हैं. हर परिवार अब अलग रहता है. ऐसे में जो महिलाएं पहली बार मां बन रही है, उनके सामने बच्चे को संभालने की काफी चुनौतियां होती हैं और उन्हें प्रेग्नेंट रहते ही यह सीखना होता है कि उन्हें आने वाले बच्चे को कैसे संभालना है उसे उन्हें इस बात की नॉलेज होनी चाहिए.

आज हम नवजात शिशु की देखभाल से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे.

1. बच्चे के नाखून

जैसे ही बच्चा पैदा होता है उसके बाद उसके नाखून बढ़ने लगते हैं, और बच्चे अपने हाथों को और पैरों को अनियंत्रित दिशा में चलाता है. ऐसे में अगर बच्चे के नाखून बड़े होंगे तो वह अपने आप को ही नुकसान पहुंचा लेता है.

इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चे के नाखून समय-समय पर आप काटते रहे काटते रहे.

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2. डकार दिलवाना

बच्चे को स्तनपान कराने के बाद डकार दिलवाना काफी आवश्यक होता है. आप उसे अपनी गोद में लेकर हल्के हल्के हिलाएं जिससे कि उसके पेट में पहुंची हवा डकार के रूप में बाहर निकल सके.

असल में बच्चा शुरुआती समय में लगभग कुछ महीने तक दूध के साथ साथ हवा को भी निगल लेता है. यह हवा अगर तुरंत दूध पिलाने के बाद डकार के रूप में नहीं निकाली जाती है तो बच्चा दूध लड़ने की समस्या का भी शिकार हो जाता है.

3. जबरदस्ती नहीं करें

बच्चे को केवल दो ही काम होते हैं. आराम करना और दूध पीना अगर आपको कहीं समय से पहुंचना हो और आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी इच्छा के अनुसार दूध पी ले तो यह संभव नहीं होता है.

आपको कभी भी बच्चे के साथ दूध पिलाने के मामले में जबरदस्ती नहीं करनी है. इस बात का ध्यान रखें. छोटे बच्चे के साथ जबरदस्ती करने पर कभी-कभी दूध श्वास नली में भी चला जाता है, क्योंकि अभी उसका कंट्रोल अपने शारीरिक सिस्टम पर थोड़ा कमजोर होता है. वह अभी मात्र सीख ही रहा है, हालांकि इसकी संभावना काफी कम है लेकिन आप को ध्यान रखना चाहिए.

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4. सोना

नवजात शिशु को पहले 2 महीनों में एक दिन में लगभग 16 घंटे सोने की आवश्यकता होती है.  वे आमतौर पर 2 से 4 घंटे तक सोते हैं, और यदि वे भूखे या गीले होते हैं तो जाग जाते हैं.  जैसा कि बच्चे को हर 3 घंटे में दूध पिलाया जाना चाहिए, आपको उसे जगाकर दूध पिलाने की आवश्यकता हो सकती है.  अगर शिशु, उतनी देर नहीं सोता जितना कि आम तौर पर उसकी उम्र के शिशु को सोना चाहिए, तो चिंता न करें.

5. स्वच्छता का ध्यान

छोटे बच्चे का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर होता है. ऐसे में हमारा वातावरण ही इतना अशुद्ध है, कि उसमें मौजूद वायरस और कीटाणुओं की वजह से बच्चा बीमार होता रहता है. ऐसे में अगर हम बच्चे के मुंह के सामने जाकर बात करेंगे और उसे अशुद हाथों से छूते हैं तो यह उसके लिए काफी नुकसानदायक होता है.

साथ ही साथ आपको इस बात का भी ध्यान रखना है, कि बच्चा अपने हाथों को अपने मुंह में ना डालें इससे भी बच्चे को इंफेक्शन होने का डर रहता है.

साथ ही साथ आप इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चा के हाथों को भी आप सैनिटाइज समय-समय पर करते रहें.  सैनिटाइजर ऐसा हो जो बच्चे की सेहत के अनुरूप हो, क्योंकि बच्चा मुंह में हाथ डाल लेता है. इसलिए बड़े लोगों के सैनिटाइजर से बच्चे को दूर रखना चाहिए. बच्चों के लिए जो सैनिटाइजर आते हैं उनका ही इस्तेमाल करें.

6. बच्चे को नहलाना

बच्चे को नहलाना भी अपने आप में काफी कठिन कार्य होता है बच्चा नाजुक होता है. इसलिए उसे संभाल कर ही नहलाना चाहिए, और आप इस बात का ध्यान रखें जब तक बच्चे का नाभि रज्जु गिरकर सुख नहीं जाए तब तक बच्चे को बिल्कुल भी नहीं नहलाना चाहिए.

यह नाभि रज्जु भाग का भी ध्यान रखना चाहिए. कहीं उसमें किसी प्रकार का इन्फेक्शन तो नहीं हो गया है. उसे डॉक्टर के अनुसार बताया अनुसार उसकी देखभाल करें.

बच्चे को नहलाने में आप घर के किसी बड़ी महिला का साथ शुरू के कुछ समय अवश्य लें और बच्चे से संबंधित सभी वस्तुओं का जैसे कि नहाने की वस्तुएं और कपड़ों का अरेंजमेंट सबसे पहले कर कर रखें और बच्चे को गर्म हल्के गर्म पानी में ही नहलाना चाहिए.

7. शिशु को संभालना

यह अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य है कि माता को अपने शिशु को संभालना आना चाहिए. माता को चाहिए कि वह अपने शिशु को जोर-जोर से नहीं हिलाए क्योंकि उसके आंतरिक अंग भी काफी नाजुक होते हैं.

झटके उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं. बच्चे को हवा में नहीं उछाले, खतरनाक है. हाथों को कीटाणु रहित रखें जैसा कि हमने अभी बताया है, और बच्चे को जब भी उठाए तो उसकी पीठ और गर्दन को सहारा जरूर दें.

8. स्तनपान करवाना

एक नवजात शिशु को स्तनपान कराना काफी आवश्यक होता है. एक नवजात शिशु हर 2 से 3 घंटे के बाद स्तनपान अवश्य करता है, बल्कि उसे करवाना चाहिए. आपको 24 घंटे में उसे लगभग 8 से लेकर 12 बार तक स्तनपान करवाना चाहिए.

शिशु के जन्म के लगभग 6 महीने तक उसे केवल माता का ही दूध पिलाना चाहिए. यह अत्यधिक आवश्यक है. माता के दूध में उसके लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व, एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे को स्वस्थ रखने में उसके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में उसके विकास में अत्यधिक सहायक होते हैं. बच्चे को कम से कम 10 मिनट तक स्तनपान और आना चाहिए और नवजात शिशु को स्तनपान कराना सिखाना भी पड़ता है.

9. डायपर से जुड़ी देखभाल

बच्चे की नेपिया बदलना या डायपर बदलना भी बच्चे की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक आवश्यक होता है यह कार्य आपको दिन में 8 से 10 बार तो करना ही पड़ता है. क्योंकि बच्चा दिन में कई बार मल और मूत्र त्याग ता है. आप इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब डायपर आपको भारी महसूस हो तो उसे तुरंत बदल दे बच्चा गिले पन का शिकार नहीं होना चाहिए. क्योंकि इस वजह से उसे तुरंत त्वचा संबंधी समस्या हो जाती है.

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