प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग क्यों होती है | 10 कारण

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प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग क्यों होती है ब्लडिंग होने के क्या क्या कारण होते हैं.

मां
बनना किसी भी महिला के लिए एक बहुत ही ज्यादा खूबसूरत एहसास होता है. हमें
इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हम कोई ऐसी गलती ना करें.

जिसकी वजह से हमारे गर्भस्थ शिशु को कोई नुकसान हो, लेकिन कभी-कभी हमारा परिस्थितियों पर कंट्रोल नहीं होता है. ऐसे में कभी-कभी रक्त स्राव की समस्या नजर आती है.

प्रेगनेंसी के 20 हफ्ते तक रक्त स्राव होने के कौन कौन से कारण होते हैं. उस पर हम बात कर रहे हैं.

प्रेगनेंसी के शुरुआती 4 से 5 महीने में कई कारणों से महिला को रक्त स्राव की समस्या
नजर आ सकती है. अगर महिला उन कारणों को जान जाएगी, तो वह इन परिस्थितियों
से बचकर अपने गर्भस्थ शिशु की रक्षा करने में काफी सक्षम रहेगी.

बहुत सी महिलाएं इस बात से अनभिज्ञ रहती हैं, कि प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होती है या नहीं होती है.

हम आपको बता दें प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग नहीं होती है. प्रेगनेंसी में
ब्लीडिंग होने का मतलब गर्भपात माना जाता है, या आप की प्रेगनेंसी गर्भपात
की ओर जा रही है.

अगर आपका प्रश्न है प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कब होती है तो हमारा यही कहना है कि प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग नहीं होती है, और ना ही होनी चाहिए.

परंतु कुछ परिस्थितियों में यह नजर आती है. आइए चर्चा करते हैं प्रेगनेंसी में
ब्लीडिंग क्यों हो जाती है. इसके क्या क्या कारण होते हैं.

भ्रूण का आरोपित होना

भ्रूण के आरोपित होते समय रक्त स्राव की समस्या आती है, तो यह सामान्य बात है.
इसमें किसी भी प्रकार से घबराने की आवश्यकता नहीं होती है.

जब भ्रूण फेलोपियन ट्यूब
से होता हुआ गर्भाशय में आरोपित होता है, तो वह गर्भाशय की दीवार को पर
चिपक जाता है, और इससे गर्भाशय की कुछ धमनियों को नुकसान होने का डर रहता
है. जिससे कुछ बूंदे नजर आ सकती हैं. रक्त स्राव नजर आ सकता है.

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1 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना
 

प्लेसेंटा का गर्भाशय से अलग होना

यह काफी क्रिटिकल स्थिति मानी जाती है. इससे माता और शिशु दोनों को काफी
ज्यादा खतरा होता है. इस अवस्था में भी रक्त स्राव नजर आता है. यह क्रिटिकल
एबॉर्शन की तरफ एक इशारा है.

गर्भाशय का फटना

यह ना के बराबर होने वाली स्थिति है. लेकिन बहुत ही कम केसों में ऐसा भी नजर
आया है. इसके पीछे बहुत सारे क्रिटिकल कारण हो सकते हैं.

यह ना के बराबर ही होता है, लेकिन एक स्थिति यह भी बनती है. तब भी रक्त स्राव होता
है, और इस स्थिति में कभी-कभी ऑपरेशन तक करना पड़ जाता है.

हारमोंस के स्तर में बदलाव

यह भी कभी-कभी प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड आने का कारण बन जाता है, लेकिन यह शुरुआती समय में होता है.

मिलन के कारण

कभी-कभी प्रेगनेंसी के दौरान पति पत्नी द्वारा इंटिमेट हो हल्के रक्तस्राव का कारण
बन जाता है. इसलिए प्रेगनेंसी में इसे अवॉइड करना अवॉइड करना बताया जाता
है.

सर्वाइकल इंफेक्शन

प्रेगनेंसी के दौरान महिला का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर रहता है. ऐसे में सर्वाइकल
इंफेक्शन होने के चांसेस बहुत ज्यादा रहते हैं. इंफेक्शन के कारण भी महिला
को कभी-कभी रक्तस्राव की समस्या नजर आती है.

इसे थोड़ा गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. महिला कोशिश करें कि वह सफाई का ध्यान रखें, और उसे
किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन नहीं लगना चाहिए.

गर्भाशय में रसौली

कभी-कभी भ्रूण गर्भाशय में उस स्थान से जुड़ जाता है जहां गर्भाशय में किसी प्रकार
का विकास हो रहा हो अर्थात गर्भाशय में किसी प्रकार की रसौली उत्पन्न हो
रही हो. ऐसे में लगातार कई बार रक्तस्राव की समस्या नजर आ सकती है. लेकिन
इससे शिशु को कोई नुकसान नहीं होता है.

कभी-कभी जब शिशु का विकास हो रहा होता है, शिशु का आकार बढ़ रहा होता है, और गर्भाशय में किसी
प्रकार का की रसौली है तो तब भी रक्तस्राव की समस्या नजर आती है. यह बाद के
महीने में ज्यादा नजर आता है.

एक्टोपिक गर्भावस्थ

यह एक अच्छी स्थिति नहीं होती है इसमें भ्रूण का विकास गर्भाशय के बाहर
हो रहा होता है. मुख्यता यह फैलोपियन ट्यूब के अंदर होता है. ऐसे में जब
उनका आकार बड़ा होने लगता है. तो फेलोपियन ट्यूब फट भी सकती है. इससे महिला
का आगे मां बनने की संभावना को ब्रेक लगता है, और यह जानलेवा भी सिद्ध हो
सकती है.

इसमें किसी भी प्रकार से माता का कोई दोष नहीं होता.
इसलिए हमेशा यही बात कही जाती है कि गर्भावस्था के दौरान जब महिला को थोड़ी
सी भी दिक्कत महसूस हो तो उसे चेकअप कराना चाहिए.

मोलर गर्भावस्था

यह एक काफी असामान्य स्थिति होती है इसमें भ्रूण के साथ-साथ अन्य प्रकार की
कोशिकाएं बहुत तेज गति से गर्भाशय के अंदर विकास करती हैं.

यह एक प्रकार से क्रॉनिकल डिजीज की तरफ इशारा करता है. कभी-कभी इन अनवांटेड
कोशिकाओं के अंदर कैंसर के गुण होते हैं. इस कारण से रक्तस्राव होना काफी
मामूली बात है.

प्लेसेंटा का गर्भाशय से सही जुड़ा ना होना

कभी-कभी प्लेसेंटा का सही तरीके से गर्भाशय से नहीं जुड़ी होती है. गर्भाशय से
जुड़ा प्लेसेंटा का मुख आंशिक रूप से बंद भी हो सकता है. जैसे जैसे गर्भ
अवस्था का विकास होता है वैसे वैसे परेशानियां बढ़ती जाती है और रक्तस्राव
भी हो सकता है.

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