क्या पुत्र प्राप्ति के लिए महिला का चरम पर पहुंचना जरूरी है

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हम आज एक छोटी सी बात पर चर्चा कर रहे हैं.

 क्या पुत्र प्राप्ति के लिए किसी भी महिला का मिलन के दौरान चरम सुख पर आना क्या आवश्यक होता है.

दोस्तों इस बारे में आप काफी सारे वीडियो देखेंगे और काफी सारी इंटरनेट पर जानकारी देखेंगे तो पुत्र प्राप्ति के संबंध में महिला का पहले चरम सुख प्राप्त करना आवश्यक बताया जाता है, इस बात में कितना दम है आज हम किसी बात की पड़ताल करेंगे.

दोस्तों पहले तो हम आपको एक छोटी सी बात बता दें कि संतान प्राप्ति के लिए किसी भी पुरुष का चरम सुख प्राप्त करना लगभग लगभग आवश्यक होता है, और वही किसी भी महिला के लिए संतान प्राप्ति के दौरान चरम सुख प्राप्त करना आवश्यक नहीं होता है. अर्थात महिला अगर चरम सुख प्राप्त नहीं भी करती है. तब भी वह मां बनने की क्षमता रखती है.

असल में महिला के चरम सुख प्राप्ति से संतान प्राप्ति का कोई संबंध नहीं होता है. जब महिला का अंडाणु फेलोपियन ट्यूब में आरोपित हो जाता है. उसके बाद जब वहां एक्स क्रोमोसोम या वाई क्रोमोसोम उसके पास पहुंचते हैं, तो उसी के अनुसार महिला पुत्र या पुत्री को लेकर गर्भवती होती है.

तो यहां पर महिला के लिए चरम सुख प्राप्त करना या प्राप्त नहीं करना वास्तव में कोई मायने नहीं रखता है.

क्या पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए महिला का चरम पर पहुंचना जरूरी है

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हम इस पर भी बात करेंगे कि ऐसा क्यों कहा जाता है, कि किसी भी महिला का केवल पुत्र प्राप्ति के लिए चर्मसुख पर आना आवश्यक है

संतान प्राप्ति में अगर महिला को पुत्र प्राप्त करना है, तो इससे संबंधित पूरी जानकारी हमने पहले भी दी है. जिसमें हमने हर एक छोटी छोटी बात को बताया है, की पुत्र प्राप्ति की संभावना को कैसे बढ़ाया जाता है.

इस बात को हम भी मान रहे हैं कि किसी भी महिला का पहले चरम सुख प्राप्त करना पुत्र प्राप्ति की संभावना को बढ़ाता है.

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हालांकि यह बात बिल्कुल गलत है कि अगर महिला चरम सुख प्राप्त नहीं करती है तो उसके पुत्र नहीं होगा. अगर महिला चरम सुख प्राप्त नहीं भी करती है, तब भी पुत्र प्राप्ति की संभावना होती है.

असल में पुत्री प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम, पुत्र प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम से ज्यादा मजबूत और ताकतवर होता है, 

वही पुत्र प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम तेज गति से चलता है लेकिन कमजोर होता है. और महिला के शरीर में जब यह अंडाणु तक पहुंचने की यात्रा शुरू करते हैं, तो शरीर में कई सारी बाधाएं आती हैं. इन्हें मारने की कोशिश की जाती है. क्योंकि यह एक प्रकार से बाहरी एलिमेंट हैं. जिनका शरीर से कोई मतलब नहीं है. इसलिए शरीर का इम्यून सिस्टम इन्हें नष्ट करने की कोशिश करता है.

तो इन्हें फाइट करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है, और इस फाइट में अधिकतर क्रोमोसोम मारे जाते हैं, कभी-कभी सारे के सारे मारे जाते हैं इसलिए पूर्ण रूप से स्वस्थ महिला को प्रेग्नेंट होने में 1 महीने से लेकर 6 माह तक का समय दिया जाता है.

पुत्री प्राप्ति के लिए रेस्पॉन्सिव बिल क्रोमोसोम गति में तो हल्का होता है. हल्के हल्के चलता है, लेकिन ताकतवर होता है, और वह शरीर मैं अपने ऊपर हो रहे हमले को सहने की क्षमता पुत्र प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम की तुलना में अधिक रखता है.

इसलिए पुत्र प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम तेज गति से चलने के बावजूद उनके अंडाणु तक पहुंचने की संभावना काफी कम होती है, क्योंकि वह जल्दी से अपने ऊपर होने वाले हमले को सहन नहीं कर पाते हैं, और डेड हो जाते हैं.

यहां हमारे कहने का मतलब यह है कि यह पुत्र प्राप्ति से संबंधित क्रोमोसोम अपने गंतव्य तक काफी कम मात्रा में पहुंच पाते हैं, या पहुंचते ही नहीं लेकिन पहुंचते हैं तो पहले पहुंचते हैं.

जबकि पुत्री प्राप्ति से संबंधित क्रोमोसोम भले ही गति में हल्का होता है, लेकिन अधिक मात्रा में फेलोपियन ट्यूब या अंडाणु तक पहुंचते हैं. लेकिन यह बात वही है जो पहले पहुंचेगा वही अंडाणु के संपर्क में पहले आएगा. अगर अंडाणु पहले से ही मौजूद है, तो पुत्र प्राप्ति की संभावना अधिक बन जाती है.

लेकिन अगर अंडाणु वहां मौजूद नहीं है अर्थात महिला का ovulation आने में अभी टाइम है, तो फिर पुत्री प्राप्ति वाले क्रोमोसोम वहां अधिक मात्रा में होते हैं. तो पुत्री प्राप्ति की संभावना पुत्र प्राप्ति की संभावना से ज्यादा होती है.

हालांकि पुत्र प्राप्ति की संभावना भी होती है लेकिन पुत्री प्राप्ति की संभावना ज्यादा होती है. अगर महिला के शरीर में अंडाणु पहले से ही मौजूद है, तो फिर पुत्र प्राप्ति की संभावना ज्यादा होती है.

अब यहां पर महिला के चरम सुख पर पहुंचने के बाद अगर पुरुष चरम पर पहुंचता है उसे एक फायदा होता है, महिला के चरम सुख पर पहुंचने के बाद उसके शरीर में कुछ ऐसे रसायन उत्सर्जित होते हैं, जो क्रोमोसोम के अंडाणु तक पहुंचने वाले मार्ग को साफ करते हैं या कह सकते हैं कि उस मार्ग में उनकी सुरक्षा करते है.

तेज गति के कारण सुरक्षित मार्ग से अधिक मात्रा में पुत्र प्राप्ति के लिए रिस्पांसिबल क्रोमोसोम तेज गति से अंडाणु तक पहुंच कर पुत्र प्राप्ति की संभावना को बढ़ाते हैं. यही है असली खेल इसलिए कहा जाता है कि महिला का चर्मसुख पर पहुंचना पुत्र प्राप्ति के लिए आवश्यक है. 

महिला के चरम सुख पर पहले पहुंचने का यह मात्र इतना ही लाभ है कि यह पुरुष के एक्स वाई  क्रोमोसोम को एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करने का कार्य करते हैं. इसका कोई भी मतलब संतान प्राप्ति से नहीं होता है.

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