नमस्कार दोस्तों, आयुर्वेद के अंदर प्रेगनेंसी के बाद पुत्र प्राप्ति का उपाय.
आयुर्वेदाचार्य की मानें तो यह पुत्र प्राप्ति का शर्तिया तरीका है. इस प्रयोग को अपनाने के बाद महिला पुत्र को ही जन्म देती है. ऐसा माना जाता है. हालांकि कभी-कभी अपवाद भी नजर आता है.
आयुर्वेदाचार्य की मानें तो यह पुत्र प्राप्ति का शर्तिया तरीका है. इस प्रयोग को अपनाने के बाद महिला पुत्र को ही जन्म देती है. ऐसा माना जाता है. हालांकि कभी-कभी अपवाद भी नजर आता है.
यह पुत्र प्राप्ति की दवा मानी जाती है. लेकिन यह साथ ही साथ गर्भ में शिशु की सुरक्षा और गर्भस्थ महिला की सुरक्षा और दोनों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य भी करती है.
बहुत सारी समस्याओं में यह गर्भस्थ शिशु और महिलाओं को गर्भपात जैसी समस्या से बचाकर रखती है.
दोस्तों हमने एक और आर्टिकल दिया है. जिसके अंदर मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की विधि का वर्णन किया गया है. अगर इस आयुर्वेदिक मेडिसिन के अंदर मोर पंख का प्रयोग किया जाए तो यह भी पुत्र प्राप्ति की औषधि के रूप में कार्य करती है.
बहुत सारी समस्याओं में यह गर्भस्थ शिशु और महिलाओं को गर्भपात जैसी समस्या से बचाकर रखती है.
दोस्तों हमने एक और आर्टिकल दिया है. जिसके अंदर मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की विधि का वर्णन किया गया है. अगर इस आयुर्वेदिक मेडिसिन के अंदर मोर पंख का प्रयोग किया जाए तो यह भी पुत्र प्राप्ति की औषधि के रूप में कार्य करती है.
दोस्तों इस प्रयोग को आपको तब शुरू करना है. जब आपको पता लग जाए प्रेगनेंसी हो गई है.
दोस्तों इस प्रयोग के लिए आपको कुछ सामग्री की आवश्यकता होगी. इसके लिए आपको 20 मोर पंख की आवश्यकता होती है. मोर पंख में जो बीच में सिक्के के बराबर जो स्पेस होता है, जो नीला और ब्लैक कलर में नजर आता है. उतने हिस्से को आप 20 मोर पंख में से निकाल कर अलग कर लीजिए.
दोस्तों इस प्रयोग के लिए आपको कुछ सामग्री की आवश्यकता होगी. इसके लिए आपको 20 मोर पंख की आवश्यकता होती है. मोर पंख में जो बीच में सिक्के के बराबर जो स्पेस होता है, जो नीला और ब्लैक कलर में नजर आता है. उतने हिस्से को आप 20 मोर पंख में से निकाल कर अलग कर लीजिए.
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इन 20 टुकड़ों को एक साथ जलाकर आप भस्म तैयार कर लीजिए. यह भस्म बहुत हल्की होती है. इसलिए आप इसे जरा संभाल कर ही रखें.
जब आप भस्म तैयार करें तो वहां हवा बिल्कुल भी ना चल रही हो. इस बात का ध्यान रखें, वरना यह उड़ जाएगी.
वैद्यनाथ या डाबर की एक मेडिसिन आती है. जिसे कहते हैं गर्भपाल रस आप इनमे से किसी भी एक कंपनी का 40 गोलियों का एक पैकेट या डब्बा खरीद ले,
आप इन 40 की 40 गोलियों को महीन पीस लें, इसके बाद इन 40 गोलियों को मोर पंख भस्म में मिलाले. अब आपके पास जो औषधि तैयार हुई है. उसे 60 बराबर भागों में बांटकर पुड़िया बना ले. अब यह पुत्र प्राप्ति की आयुर्वेदिक मेडिसन तैयार हो गई है.
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आपकी 60 दिन अर्थात 2 महीने की दवाई तैयार हो गई है. जिस दिन आपको पता चलता है, कि आप प्रेग्नेंट है या आपके घर में स्त्री प्रेग्नेंट है,तो उस दिन से आपको यह मेडिसन चौथे महीने तक खिलानी है, अगर मेडिसन कम पड़ जाती है. तो आप इसे इसी अनुपात में आगे भी बना सकते हैं.
अब इसको लेने का तरीका भी जान ले
कहा जाता है कि गर्भ ठहरने के पहले दिन से ही इसे 4 महीने तक गर्भवती स्त्री को देना चाहिए. लेकिन शुरू के जिस 20-25 दिन तो पता ही नहीं चलता है, कि महिला गर्भवती है, कि नहीं है. बस जिस दिन से पता चलता है, उस दिन से आप चौथे महीने तक दें.You May Also Like : मनचाही संतान प्राप्ति का प्राचीन तरीका - part #3
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गर्भपाल रस के फायदे
गर्भ पाल रस मुख्य रूप से गर्भपात को रोकने के काम में आता है. यह गर्भस्थ शिशु को मजबूत बनाता है, और गर्भावस्था को बलवान करता है.
यह बिल्कुल सुरक्षित मानी जाती है. जैसे कि मेडिसिन का नाम ही है गर्भ पाल रस तो यह गर्भ की सुरक्षा के लिए कार्य करती है, गर्भ में होने वाली संभावित परेशानियों से भी यह गर्भ की सुरक्षा करती है.
गर्भपाल रस कई कंपनियों के द्वारा बनाया जाता है जिसमें डाबर और दूसरी आयुर्वेदिक कंपनियां शामिल है. इसे आप घर पर भी तैयार कर सकते हैं.
गर्भपाल रस के फायदे की बात करें तो,
जिन स्त्रियों का गर्भाशय कमजोर हो जाता है.
जिन स्त्रियों का गर्भाशय शिथिल रहता है.
जिन महिलाओं के शरीर में गर्मी अधिक होती है.
जिन महिलाओं के पति के वीर्य में विकार उत्पन्न हो जाता है, वह कमजोर हो जाता है. और इन कारणों से गर्भपात की संभावना बनी रहती है, तो यह गर्भपाल रस इन सभी कारणों से होने वाले गर्भपात को रोकने में मदद करता है.
जिन स्त्रियों का गर्भाशय कमजोर हो जाता है.
जिन स्त्रियों का गर्भाशय शिथिल रहता है.
जिन महिलाओं के शरीर में गर्मी अधिक होती है.
जिन महिलाओं के पति के वीर्य में विकार उत्पन्न हो जाता है, वह कमजोर हो जाता है. और इन कारणों से गर्भपात की संभावना बनी रहती है, तो यह गर्भपाल रस इन सभी कारणों से होने वाले गर्भपात को रोकने में मदद करता है.
गर्भपाल रस के लाभ और भी अधिक है. यह दूसरी आयुर्वेदिक औषधियों के साथ गर्भावस्था की विभिन्न समस्याओं में दिया जाता है.
जैसे कि ऐठन होना, सिर दर्द, कमर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना इत्यादि समस्याओं में भी यह अलग-अलग आयुर्वेदिक औषधियों के साथ प्रयोग में लाया जाता है. यह खासी, अरुचि, कब्ज और बात प्रकोप जैसे विकारों में भी प्रयोग में लाया जाता है.
बैद्यनाथ गर्भपाल रस टेबलेट के रूप में भी बनाती है. आप अपनी समस्याओं में गर्भपाल रस टेबलेट का प्रयोग कर सकते हैं.
गर्भपाल रस सेवन विधि की बात करें तो गर्भवती स्त्री को शुरू के 4 महीने यह योग एक पुड़िया रोज शहद के साथ या देसी घी के साथ खाना है. प्रेगनेंसी के बाद पुत्र प्राप्ति का अचूक उपाय है. आयुर्वेद की मानें तो आपको शर्तिया 100% पुत्र की प्राप्ति होगी.
आप और अधिक जानकारी के लिए अपने आसपास किसी काबिल आयुर्वेदाचार्य से संपर्क कर सलाह ले सकते हैं.

गर्भपाल रस सेवन विधि की बात करें तो गर्भवती स्त्री को शुरू के 4 महीने यह योग एक पुड़िया रोज शहद के साथ या देसी घी के साथ खाना है. प्रेगनेंसी के बाद पुत्र प्राप्ति का अचूक उपाय है. आयुर्वेद की मानें तो आपको शर्तिया 100% पुत्र की प्राप्ति होगी.
आप और अधिक जानकारी के लिए अपने आसपास किसी काबिल आयुर्वेदाचार्य से संपर्क कर सलाह ले सकते हैं.