पपीता खाने से कितने दिन में गर्भपात हो जाता है

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वास्तव में पपीता प्रेगनेंसी के दौरान गर्भपात का कारण बन सकता है.

यह क्यों गर्भपात करा सकता है.
यह किस प्रकार से कार्य करता है कि गर्भपात हो जाता है.
विज्ञान क्या कहता है, आइए चर्चा करते हैं.

पपीता क्या करता है.  इसे समझे इससे पहले थोड़ा हमें प्रेगनेंसी की प्रोसेस को समझना होगा, तभी आपको पपीते का खेल समझ आएगा.

जैसे ही प्रेगनेंसी कंफर्म होती है. वैसे ही प्रेगनेंसी हारमोंस जिसे हम एचसीजी हार्मोन कहते हैं. वह शरीर में बनने लगता है. और वह हर 24 घंटे के बाद अपनी मात्रा को दोगुना कर लेता है.

जैसे ही यह शरीर में पर्याप्त मात्रा में बनने लगता है, तो यह ब्लड में और यूरिन में भी नजर आता है. जिसे ट्रैक करके हम प्रेगनेंसी कंफर्म करते हैं. प्रेगनेंसी का एक और कंफर्म लक्षण यह है कि महिला के पीरियड रुक जाते हैं.

होता क्या है, कि जब एचसीजी प्रेगनेंसी हारमोंस शरीर में बनने लगता है, तो यह महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस की मात्रा को बढ़ा देता है. उसे पोस्ट करता है जब यह हारमोंस बढ़ जाता है तो महिला के पीरियड्स रुक जाते हैं और प्रेगनेंसी शुरू हो जाती है.

यहां यह बात समझने वाली है. जैसे ही महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस की मात्रा कम हो जाएगी. वैसे ही महिला को पीरियड आ जाएंगे और अबॉर्शन हो जाएगा.

अर्थात गर्भपात की स्थिति बन जाएगी. इसलिए यह बात शरीर में इसलिए शरीर को यह कंफर्म करना होता है कि इस हार्मोन की मात्रा पूरी प्रेगनेंसी तक बिल्कुल भी कम नहीं हो.

गर्भवती महिलाओं को अक्सर पपीते से दूरी बनाए रखने को कहा जाता है, क्योंकि पपीते का सेवन गर्भपात का कारण बना सकता है. कच्चे और पके दोनों पपीतों में गर्भपात करने की क्षमता हो सकती है.

ऐसा इसलिए, क्योंकि कच्चे पपीते में लेटेक्स होता, जिसका रंग दूध की तरह सफेद होता है. इस लेटेक्स मंर प्रोस्टाग्लैंडीन और ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन पाए जाते हैं.

प्रसव के दौरान होने वाली संकुचन प्रक्रिया (labour contractions) को बढ़ाने में ये दोनों हार्मोन अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए, पपीते के रूप में इनका सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है.

पपीते में पपेन एंजाइम की उपस्थिति प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को रोक सकती है. शरीर में प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने से गर्भपात हो सकता है.

पपेन एंजाइम भ्रूण के विकास के लिए महत्वपूर्ण एक झिल्ली को तोड़ सकता है.  इसीलिए, पपीते का अधिक मात्रा में सेवन करके महिलाएं असुरक्षित गर्भपात को अपनाती हैं.

हालांकि पपीता एक बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद फल माना जाता है. लेकिन प्रेगनेंसी के लिए यह बहुत नुकसानदायक होता है.

आप कह सकते हैं, कच्चा पपीता खाने से गर्भपात हो जाता है या गर्भपात होने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है.

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पपीता खाने से कितने दिन में गर्भपात हो जाता है

अगर आपके पीरियड नहीं आ रहे हैं, तो पपीते का यह गुण पपीते के फायदे के रूप में जाना जाता है. अगर आप गर्भवती हैं तो पपीते का यह गुण, पपीते के नुकसान के रूप में नजर आता है.

पपीता खाने के कितने दिनों के बाद महिला को गर्भपात हो जाता है यह बिल्कुल भी निश्चित नहीं है. इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं.

पपीता कोई मेडिसन नहीं है, यह एक फल है. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होता है. हर पपीते के अंदर एक जैसी क्षमता नहीं हो सकती है.  क्योंकि पपीता अलग-अलग प्रकार की जमीन में  पैदा होता है.

महिला को गर्भपात की संभावना महिला के इम्यून सिस्टम की क्षमता पर भी निर्भर करती है. मजबूत इम्यून सिस्टम में गर्भपात जल्दी से नहीं होता है और कमजोर इम्यून सिस्टम में गर्भपात जल्दी हो सकता है.

अगर महिला की प्रेगनेंसी किसी कारणवश कमजोर है तो गर्भपात जल्दी हो जाता है.

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