बच्चे को अपना दूध पिलाये या पाउडर वाला दूध | कौन-सा फायदेमंद?

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9 महीने का कठिन टाइम व्यतीत करने के बाद और प्रसव पीड़ा से गुजरने के बाद महिला के पास एक प्यारा सा बच्चा है.
आजकल परिवार संयुक्त ना होकर एकल हो गए हैं. हर परिवार अब अलग रहता है. ऐसे में जो महिलाएं पहली बार मां बन रही है, उनके सामने बच्चे को संभालने की काफी चुनौतियां होती हैं और उन्हें प्रेग्नेंट रहते ही यह सीखना होता है. उन्हें आने वाले बच्चे को कैसे संभालना है.

उसे उन्हें इस बात की नॉलेज होनी चाहिए. आज हम उन माता बहनों के लिए आए हैं जो नौकरी पर जाती हैं या कोई अन्य कार्य करती हैं. जिसकी वजह से वह बच्चे की देखभाल अधिक नहीं कर सकती है.

क्या माता को गर्भ शिशु को दूध पिलाना चाहिए?

बच्चे को अपना दूध पिलाये या नहीं

दोस्तों आजकल यह एक trend बनता चला जा रहा है, कि महिलाएं अपने गर्भस्थ शिशु को दूध पिलाना पसंद नहीं करती हैं. समाज में एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, कि इससे महिला का शरीर खराब हो जाता है. उनका लुक खराब हो जाता है.  जो सर्वथा गलत है.

बल्कि शरीर की बहुत सारी समस्याएं स्तनपान कराने से समाप्त हो जाती हैं. प्रेगनेंसी के बाद महिला के शरीर में जो विकार आने की संभावनाएं होती है. स्तनपान कराने से बहुत सारी समस्याओं में आराम मिलता है. रोगों में आराम मिलता है, नहीं होते हैं.

ऐसे में किस प्रकार महिला के शरीर में कमियां उनका लुक खराब हो सकता है. महिला स्तनपान नहीं करा कर एक प्रकार से एक नेचुरल प्रोसेस को रोकने की कोशिश करती है, और दूध नहीं बनने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल करती है. जिससे शरीर में हार्मोन अल डिसबैलेंस हो जाता है, और कई सारे शारीरिक रोग लग सकते हैं. और रोगी शरीर कभी भी अच्छा नहीं दिखता है.

 यह भी बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कई बार डॉक्टर दूध पाउडर को माता के दूध के समकक्ष बताने की कोशिश करते हैं. कहीं ना कहीं यह बिजनेस से संबंधित ही है, इसे जनमानस को समझना होगा.

हम सभी जानते हैं कि डुप्लीकेट प्रोडक्ट कभी भी ओरिजिनल प्रोडक्ट की बराबरी नहीं कर सकता तो ऐसे में डुप्लीकेट दूध माता के दूध के बराबर कैसे कर सकता है. बच्चे को कैसे उसके बराबर पोषण दे सकता है.

हालांकि जिन महिलाओं के साथ किसी प्रकार की समस्या होती है. उन्हें दूध कम बनता है या फिर बच्चे को किसी प्रकार की समस्या हो जाती है. जिसकी वजह से वह माता का दूध नहीं पी सकता है, या कोई रोग है.

जिसकी वजह से उसे अस्पताल में रहना पड़ रहा है या वह समय से पहले पैदा हो गया है, तो यह बात समझ में आती है कि माता के दूध का ऑप्शन ढूंढना पड़ता है.

ऐसे में ऑप्शन लेना कोई गलत नहीं होता है. नहीं से तो कुछ होना बहुत अच्छा होता है. लेकिन जानबूझकर माता के दूध को नहीं पिलाना यह तो बच्चे के साथ सरासर ज्यादती होती है.

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मैं उन माताओं से पूछना चाहता हूं  जो माता है जानबूझकर अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहती हैं. वह अकलमंद माता यह बताएं आपका बच्चा आपके शरीर का हिस्सा है और दूध भी आपके शरीर का हिस्सा है तो क्या आपको नहीं लगता कि आपका दूध आपके शरीर के हिस्से के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद रहेगा.

कई बार माताएं और डॉक्टर powder के दूध को अच्छा बताते हैं और उसका गुणगान करते हैं.  क्या डॉक्टर क्या मेडिकल साइंस ने शरीर की हर एक चीज को जान लिया है पहचान लिया है मुझे नहीं लगता कि वह 10 परसेंट से ऊपर भी आज तक नहीं जान पाए हैं. ऐसे में महिला के दूध का ऑप्शन में कैसे तैयार कर सकते हैं.

हर बच्चे को हमेशा एक जैसे दूध की आवश्यकता नहीं होती है. हर महिला का दूध उसके बच्चे के आवश्यकताओं के अनुसार अलग अलग होता है, तो एक पाउडर का दूध जो कि एक सिंपल प्रोडक्ट है और उसमें चीजें निश्चित मात्रा में मिली हुई है वह आपके बच्चे के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है.

हालांकि अगर कुछ समस्या है तो उसे लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन बिना वजह जानबूझकर बच्चे को पाउडर का दूध पिलाना बिल्कुल भी अकलमंद वाली बात नहीं है.

माता के दूध में ऐसी 50 से भी ज्यादा चीजें होती होंगी जिसको आज तक वैज्ञानिक जान भी नहीं पाए हो, उनकी आवश्यकता भी उन्हें नहीं पता होगी, क्योंकि वह चीजों की मात्रा आपके शरीर के अंश आपके बच्चे की आवश्यकता ओं के अनुसार ही होती है. इसलिए हर संभव कोशिश करें कि आपका बच्चा कम से कम 1 साल से ज्यादा तक आपका दूध जरूर भी है.

जो बच्चे माता का दूध पीते हैं वह पाउडर का दूध पीने वाले बच्चों से ज्यादा अकलमंद, ज्यादा मजबूत और ज्यादा स्वस्थ होते हैं. उनका जीवन भी अधिक लंबा होता है, और वह रोगों से लड़ने की क्षमता भी ज्यादा रखते हैं. उनसे हर मामले में 20 नहीं 21 होते हैं.

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