बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाने के कौन-कौन से हानिकारक प्रभाव नजर आते हैं, जो उनके फूड हैबिट और व्यक्तित्व पर प्रभाव डालती है. फोर्स फीडिंग के पहलुओं पर चर्चा करेंगे.
हर मां बाप चाहते हैं, कि —-
- उनका बच्चा अच्छे से खाना खाए.
- उसे भरपूर पोषण मिले.
- उसका स्वास्थ्य अच्छा हो.
- उसका विकास सही तरीके से हो.
इसलिए कभी-कभी मां बाप अपने बच्चे के साथ खाना खिलाने में थोड़ा जबरदस्ती करते हैं. अगर बच्चे की इच्छा नहीं होती है, तो उसके बाद भी उसे खिलाने की कोशिश करते हैं.
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फोर्स फीडिंग क्या होती है
फोर्स फीडिंग मतलब खाना खिलाने में जबरदस्ती करना. माता पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जबरदस्ती खाना खिलाने की काफी सारी टेक्निक्स का इस्तेमाल करने लगते हैं. जैसे कि—
• मां बाप यह तय करते हैं, कि बच्चा कब, कितना खाएगा और क्या खाएगा.
• बच्चे को अपने पास बैठा कर खिलाना और इतना खिलाना जितना उसकी सीमा है, उससे अधिक खिलाना.
• बच्चे को दूसरे बच्चे का रेफरेंस देकर उसे जबरदस्ती खाना खिलाना.
• बच्चे की कम खाने की रिक्वेस्ट को बार-बार नजरअंदाज करना.
किन अवस्थाओं में फोर्स फीडिंग होती है
जबरदस्ती खाना खिलाना कोई बच्चे को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं होता है. यह माता-पिता की उसके स्वास्थ्य के प्रति निस्वार्थ चिंता की वजह से ऐसा हो जाता है. हालांकि फोर्स फीडिंग बच्चे के मन, मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है. इसमें कोई दो राय नहीं है.
किस प्रकार से फोर्स फीडिंग होती है. अगर यह माता-पिता जान जाएंगे, तो हो सकता है, कि वह आगे से ध्यान रखें. बच्चे के मन, मस्तिष्क और स्वास्थ्य का ध्यान वह और अच्छी तरीके से रख पाए.
• जितना परोसा गया है, उतना आपको खाना ही खाना है. यहां इस बात का ध्यान बिल्कुल भी नहीं रखा जाता कि बच्चे के पेट की रिक्वायरमेंट कितनी है. ओवरफीडिंग हो जाती है.
• माता-पिता को इस बात का ज्ञान नहीं होना की एक बच्चे की भोजन की कितनी आवश्यकता है. कभी-कभी गलत अंदाजा लगा लेने की वजह से, बच्चे को अधिक भोजन खाने के लिए बाध्य दिया जाता है. ओवरफीडिंग हो जाती है.
• किसी दूसरे बच्चे की डाइट को देखकर अपने बच्चे की डाइट का निर्धारण करना. असल में हर बच्चे की डाइट अलग-अलग होती है. यह जरूरी नहीं कि दूसरे बच्चे की डाइट जितनी हो, उतनी ही डाइट आपके बच्चे की भी हो. हर एक शरीर की अपनी अपनी अलग-अलग आवश्यकताएं होती है. इस वजह से भी ओवरफिटिंग की समस्या देखने में आती है.
• बच्चे को अपने हाथों से खाना खिलाना हालांकि बच्चा स्वयं खाना खाने लायक होता है उसके बाद भी माता-पिता बच्चे को अपने हाथों से खाना खिलाते हैं और ऐसी अवस्था में ओवरफीडिंग हो जाती है.
• बच्चे अक्सर नए खाद्य पदार्थ को खाने में आनाकानी करते हैं. क्योंकि उनकी स्वाद ग्रंथियां उसके प्रति डिवेलप नहीं होती हैं.और वह नए खाद्य पदार्थ सब्जियां या फल के रूप में होते हैं. जो पोस्टिक होते हैं .और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक भी होते हैं. तो ऐसी अवस्था में उनका बच्चों को उन्हें जबरदस्ती खिलाना ,ओवरफीडिंग की श्रेणी में आता है.
• माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे के अंदर अच्छी आदतें डिवेलप होने चाहिए और अच्छी आदतों में स्वास्थ्यवर्धक भोजन भी शामिल है उसे खिलाने की आदत डालने के चक्कर में ओवरफीडिंग हो जाती है
ओवर फीडिंग के नुकसान
हालांकि बच्चों को फास्ट फूड की तुलना में हेल्दी फूड्स खिलाना कोई गलत नहीं होता है. लेकिन उन्हें अधिक मात्रा में खिला देना यह नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए ओवरफिटिंग के कुछ नुकसान आपको नजर आएंगे.
पेट से अधिक खिला देने पर बच्चों को अक्सर उल्टियां हो जाती हैं पेट में गैस कब्ज की स्थिति बन जाती है.
बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से टॉडलर या बड़े बच्चों पर जो सबसे खराब साइड इफेक्ट होता है वो ये कि उनका ईटिंग हैबिट पर से कंट्रोल खत्म हो सकता है.
जिस भी भोजन को बच्चे को अधिक खिलाया जाता है. बच्चा उससे घृणा कर सकता है. और भविष्य में उसे न खाने का फैसला भी ले सकता है. हालांकि वह पौष्टिक है, लेकिन ओवरफीडिंग के यह नुकसान है.
बच्चे को इस प्रकार की आदतें लग सकती है कि जब तक उससे जबरदस्ती नहीं की जाए तब तक मैं भोजन नहीं करेगा.
ओवर फीडिंग कराने से बच्चे भोजन के प्रति नफरत पाल सकता है. और जब उसे दोबारा वही भोजन खाने के लिए दिया जाए या फ्यूचर में जब उस भोजन को खाने के लिए उसके सामने लाया जाएगा तो उसकी भूख मर जाती है.
जबरदस्ती करने से हेल्दी फूड के प्रति बच्चे की अरुचि पैदा होने लगती है.
बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से उसके अंदर खाने के प्रति नेगेटिव इमोशन पैदा होने लगते हैं, यहाँ तक कि पेरेंट्स के प्रति भी यह भाव पैदा होने लगता है.
जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, वह ज्यादा मात्रा में खाने के बजाय कम खाना शुरू कर देता है.
बच्चों में ओवरफीडिंग के कारण और भी दूसरे प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो उनकी मानसिक अवस्था स्वास्थ्य अवस्था और भावनात्मक अवस्था को प्रभावित कर सकती हैं .