आज हमारा टॉपिक वैदिक धर्म से संबंधित टॉपिक है. आज हम हिंदू सनातन धर्म के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी पर किस प्रकार से भगवान कृष्ण की पूजा आराधना करें, ताकि हमारे यहां भी उन्हीं के जैसा जैसी एक संतान प्राप्त हो.
अगर आपका प्रश्न है कि पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए. इसके लिए आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत चुन सकती हैं. पुत्र प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की महत्ता है.
हर किसी माता की यही ख्वाहिश होती है कि उनकी संतान श्री कृष्ण के समान चंचल, चतुर हो और सभी को अपना दीवाना बना दे.
सभी उससे प्यार करें. हर कोई श्रीकृष्ण को अपने पसंदीदा नाम से बुलाता है कोई मुरली मनोहर कहता है तो कोई लड्डू गोपाल के नाम से जानते हैं , तो कोई उन्हें कन्हैया बुलाते हैं.
अगर आप चाहती हैं कि आपका होने वाला शिशु मनमोहक हो, सुंदर हो, बुद्धिमान हो, थोड़ा सा शैतानी करने वाला हो तो आप जन्माष्टमी आने वाली है. जिस दिन लड्डू गोपाल जी का जन्म हुआ है. इस दिन कुछ खास उपाय अगर आप करते हैं, तो आपको मनवांछित संतान की प्राप्ति हो सकती है. इस दिन आपको कुछ खास करना होगा.
अगर गर्भवती स्त्री की सेहत गर्भवती स्त्री को व्रत रखने की इजाजत दे देती है तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन गर्भवती स्त्री को व्रत रखना चाहिए. व्रत के नियम वही होते हैं जो वह मानती चली आ रही है.
मान्यता के अनुसार, इस दिन महिला को पूरा का पूरा दिन कृष्ण भक्ति में लीन रहना है .जो भी पुत्र प्राप्ति हेतु कृष्ण मंत्र का जाप आप करते हैं, आपको उस दिन उस जाप को करना है.
जितना अधिक हो सके आप उस जाप को करें, और अपनी मनोकामना मन ही मन भगवान श्री कृष्ण को अवश्य बताएं. आपके घर में जरूर लड्डू गोपाल का प्रतिरूप अवतरित होगा.
यह केवल पुत्र प्राप्ति के लिए उपाय के अंतर्गत ही नहीं आता है, अपितु अगर आप सुंदर सी कन्या अपने यहां चाहती हैं तो आप उसकी कामना भी श्रीकृष्ण से कर सकती हैं.
ऐसा नहीं है कि जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें ही यह सब करना है जो महिलाएं आगे मां बनना चाहती हैं वह भी इस व्रत को रख सकती हैं.
नंदलाल को माखन और मिश्री बहुत ज्यादा पसंद थी इसलिए आपको इस दिन श्री कृष्ण को मिश्री और माखन का भोग लगाना है.
यहां पर आपका श्री कृष्ण के ऊपर श्रद्धा, विश्वास बहुत ज्यादा मायने रखती है, जो भी करें मन से करें. अपनी इच्छा से करें और यह सब करने में आपको आनंद की प्राप्ति अवश्य होनी चाहिए.
ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत को महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी कर सकती हैं. जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है वह भी इसका प्रयोग कर सकती हैं. संतान प्राप्ति में जो भी बाधा उत्पन्न हो रही है उसका समाधान निकल आता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आपकी ईश्वर के अंदर अटूट आस्था और विश्वास होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.
क्योंकि धार्मिक मामले में तर्क बिल्कुल भी काम नहीं करते हैं. क्यों और कैसे का यहां कोई मोल नहीं है. अपने आप को ईश्वर के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित करना अत्यधिक आवश्यक होता है और यही कार्य हम जल्दी से नहीं कर पाते हैं कहीं ना कहीं हम अपनी बुद्धि का प्रयोग अवश्य करते हैं.
हम कर तो रहे हैं होगा कि नहीं होगा
ऐसे कैसे होगा
और जो दूसरे लोगों का तर्क हम सुनते हैं डिमोटिवेट करते हैं
इन सब की वजह से हमारा कार्य सिद्ध नहीं हो पाता है.