हम प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ही महत्वपूर्ण साथ हारमोंस के संबंध में आपसे चर्चा करने जा रहे हैं, और आप से यह चर्चा करेंगे कि कौन सा हार्मोन आपके लिए किस प्रकार का कार्य आपकी प्रेगनेंसी के दौरान कर करता है. ताकि आपकी प्रेगनेंसी स्वस्थ रुप से आगे बढ़ सके और आपको डिलीवरी में अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़े.
दोस्तों प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सारे साइड इफेक्ट हारमोंस की वजह से महिलाओं को नजर आते हैं. यह हारमोंस महिलाओं के लिए काफी जरूरी माने जाते हैं. लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट आपको प्रेगनेंसी के लक्षण के रूप में नजर आते हैं. इनके आधार पर गणना की जाती है कि महिला गर्भवती है. और कई बार इन्हीं लक्षणों के आधार पर जेंडर प्रेडिक्शन भी किया जाता है.
मुख्यता लक्षण शुरू के 3 महीने रहते हैं “कई बार लिवर या ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं की वजह से भी उल्टी, जी मिचलाना और खाना ना पचना जैसे लक्षण तीन महीने से ज्यादा समय तक नजर आते रहते हैं. प्रेगनेंसी में हार्मोन्स का संतुलन जरूरी है. प्रेगनेंसी हार्मोंस के उतार-चढ़ाव की वजह से कई परेशानियां होती हैं.
ज्यादातर परेशानियां सामान्य रूप से ही ठीक हो जाती हैं, लेकिन कोई भी परेशानी बढ़ने लगे या आपकी दिनचर्या डिस्टर्ब हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.”
महिला का सामान्य शरीर प्रेग्नेंसी के अनुकूल नहीं होता है, लेकिन इन हारमोंस की वजह से महिला का शरीर प्रेगनेंसी के अनुकूल बनता है.
प्रेगनेंसी के लिए 7 महत्व पूर्ण हारमोंस इस प्रकार से है
- एचसीजी (HCG) ,
- एस्ट्रोजन ( Estrogen ) ,
- प्रोजेस्ट्रोन- Progesterone,
- ऑक्सीटोसिन- Oxytocin ,
- एंडोरफिंस- Endorphins,
- प्रोलेक्टिन Prolactin,
- रिलेक्सिन- Relaxin
प्रेगनेंसी में उल्टी और जी मिचलाने की वजह है एचसीजी
एचसीजी यानी ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन, यह हार्मोन प्रेगनेंसी के दौरान प्लेसेंटा के अंदर तैयार होता है, और यह हार्मोन एस्ट्रोजन हार्मोन और प्रोजेस्ट्रॉन हारमोंस के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है.
8 हफ्ते से लेकर 11 हफ्ते तक यह अपनी उच्चतम स्थिति में होता है. जब अंडा फर्टिलाइज हो जाता है, उसे पोषण देने का कार्य करता है. इसकी मात्रा महिला के पेशाब में और ब्लड के अंदर आ जाती है.
इस वजह से यूरीन टेस्ट करके हम प्रेगनेंसी का पता लगा सकते हैं.
प्रेगनेंसी में प्रोजेस्ट्रॉन बढ़ाता है थकान
यह गर्भाशय की लाइनिंग को मोटा करता है, और गर्भाशय का आकार हर महीने बढ़ता है. यह उस में महत्वपूर्ण रोल निभाता है. इसकी मात्रा कम या ज्यादा हो जाए, तो थकान डिप्रेशन चक्कर आना बेचैनी जैसे लक्षण नजर आते हैं.
एस्ट्रोजन
यह फीमेल सेक्स हारमोंस कहलाता है. प्रेगनेंसी के दौरान इसकी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. गर्भ में पल रहे बच्चे को सारे जरूरी पोषक तत्व पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी हारमोंस के ऊपर होती है.
ऑक्सीटोसिन है हमारा लव हार्मोन
बच्चे को जन्म देने से लेकर बच्चे को दूध पिलाने और उसे पालने पहुंचने में इस हारमोंस की बहुत महत्ता होती है. यह बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. इस हार्मोन के कारण ही महिला अपने बच्चे का ध्यान बहुत अच्छे तरीके से रखती है. इसकी वजह से मिल्क प्रोडक्शन अच्छा रहता है. माता और बच्चे के बीच में गहरे जुड़ाव के लिए यही हारमोंस जिम्मेदार होता है.
एंडोर्फिंस
यह भी महत्वपूर्ण हारमोंस होता है यह एक प्रकार से नेचुरल पेन किलर होता है लेबर पेन के दौरान किस हारमोंस का अत्यधिक महत्वपूर्ण रोल आप समझ सकते हैं इसकी मात्रा योगा और प्रणाम के द्वारा बढ़ाई जा सकती है.
प्रोलेक्टिन
यह हारमोंस भी महत्वपूर्ण हारमोंस में आता है इसकी वजह से महिला का न्यू सिस्टम मजबूत रहता है जिससे बच्चे का स्वास्थ्य और महिला दोनों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है साथी साथी है महिलाओं में दुग्ध उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण होता है.
रिलेक्सिन
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में लचीलापन बढ़ जाता है इसकी वजह से महिला गर्भ शिशु को संभाल पाती है और डिलीवरी में भी शरीर का लचीलापन बहुत ज्यादा मदद करता है यह सब इसी हारमोंस के कारण होता है.