हर गर्भवती स्त्री को गर्भ संस्कार की जानकारी क्यों आवश्यक

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हम गर्भ संस्कार के नजरिए से बात कर रहे हैं. आधुनिक समय में धीरे धीरे दोबारा से भारतीय जनमानस का मन आध्यात्मिक की तरफ जाने लगा है.

जैसे-जैसे विज्ञान तरक्की कर रहा है वैसे वैसे सभी को समझ में आ रहा है, कि सनातन संस्कृति अपने आप में एक विज्ञान है. और इसके अंदर बताए गए अधिकतर धार्मिक कार्य कहीं ना कहीं विज्ञान से ही प्रेरित है. ऐसे ही गर्भ संस्कार एक ऐसा संस्कार है, जो गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

आधुनिक विज्ञानिक मानने लगे हैं, कि गर्भस्थ शिशु अपनी माता के गर्भ से ही ज्ञान लेना शुरू कर देता है. जैसा मन माता का होगा, जैसा एनवायरमेंट माता के आसपास का होगा, बच्चा उसी को ग्रहण करके जीवन में आगे बढ़ता है.
जैसे जैसे आधुनिक रिसर्च आगे बढ़ रही है. वैसे वैसे गर्भ संस्कार के विषय में जागरूकता बढ़ रही है. दोबारा से गर्भ संस्कार के महत्व को समझा जाने लगा है.

गर्भ में शिशु के आने से लेकर लगभग 2 वर्ष की उम्र तक जो भी कार्य शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक माता को करने चाहिए. एक परिवार को करने चाहिए. उसी को गर्भ संस्कार कहा जाता है. संस्कार का अर्थ होता है कार्य.

 

हर गर्भवती स्त्री को गर्भ संस्कार की जानकारी क्यों आवश्यक

एक माता के लिए गर्भ संस्कार का महत्व – Importance of Garbh Sanskar in Hindi

सनातन संस्कृति के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के लिए जीवन से मरण तक 16 संस्कार बताए गए हैं. किसी भी मनुष्य के लिए पहला संस्कार, गर्भ संस्कार ही होता है.

किसी भी गर्भस्थ माता की सबसे बड़ी चिंता उसका शिशु ही होता है. वह उसके स्वास्थ्य को लेकर उसकी सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहती है.

माता हमेशा यही चाहती है, कि उसका बच्चा मजबूत हो. तेज दिमाग वाला हो. और उसे किसी भी प्रकार की जन्मजात रोगों से संबंधित समस्या नहीं होनी चाहिए. उसका इम्यून सिस्टम मजबूत रहना चाहिए. ऐसे ही बहुत सारी बातों को लेकर माता चिंता करती है.

जब कोई भी माता गर्भ संस्कार के नियमों का पालन करती है तो उसकी काफी सारी समस्याओं का समाधान अपने आप होने लगता है जैसे कि—

  • गर्भस्थ शिशु का विकास किस प्रकार से हो, उसके मस्तिष्क का विकास किस प्रकार से हो इसके लिए माता को जो भी उपाय करने होते हैं.गर्भ संस्कार के अंदर वह सभी वर्णित होते हैं.
  • एक गर्भस्थ माता को किस प्रकार का भोजन अपने गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लेना चाहिए इस विषय में भी आपको गर्भ संस्कार के अंदर जानकारी प्राप्त हो जाती है.
  • एक गर्भस्थ माता को किस प्रकार से अपने लाइफस्टाइल को समायोजित करना चाहिए यह जानकारी भी गर्भ संस्कार के अंदर आती है.
  • अगर माता किसी बात को लेकर तनाव लेती है, तो इसका असर शिशु पर किस प्रकार पड़ता है. यह भी आपको पता चलेगा.
  • बच्चे के स्वास्थ्य की दृष्टि कोण से आपको अपने भोजन और व्यायाम के आदि की जानकारी भी प्राप्त होगी.
  • गर्भ संस्कार के अंदर मुख्यतः महिला को स्वस्थ रहने के संस्कारों के विषय में बताया जाता है. क्योंकि महिला स्वस्थ रहेगी तो गर्भस्थ शिशु अपने आप स्वस्थ रहेगा.
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गर्भस्थ माता गर्भ संस्कार कैसे करें

गर्भ संस्कार अपने आप में एक पूरा विज्ञान है. इसके अंदर धार्मिक, आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक, स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक, भोजन विज्ञान इत्यादि का समावेश होता है.  इसमें कई प्रकार के एक्सपर्ट लोगों की आवश्यकता होती है.

गर्भ संस्कार का चलन भारतीय समाज से विलुप्त हो गया था. लेकिन आधुनिक विज्ञान के रूप में यह दोबारा से वापस आ रहा है. वर्तमान में इसके प्रोफेशनल आसानी से उपलब्ध नहीं है.

कोई भी ब्राह्मण धर्म के अनुसार घर में गर्भ संस्कार पूजा पाठ करता है.
एक मनोवैज्ञानिक अपने अनुसार गर्भ संस्कार को फॉलो करता है.
एक डॉक्टर आपके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से गर्भ संस्कार को फॉलो करता है.

गर्भ संस्कार विषय पर कई पुस्तकों की जानकारी

अगर आपके पास गर्भ संस्कार से संबंधित कोई एक्सपर्ट उपलब्ध है तो आप उनसे राय लेकर गर्भ संस्कार की क्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं.

अन्यथा इसका एक काफी आसान उपाय यह भी है कि कई सारे एक्सपर्ट द्वारा गर्भ संस्कार की विधि को उस में किए जाने वाले कार्य को संकलित करके पुस्तक का रूप दे दिया गया है.

जिन पुस्तकों को आप अपनी भाषा में किसी भी बुक स्टोर से खरीद सकते हैं.

आप ऑनलाइन भी जाकर इस प्रकार की पुस्तकें खरीद सकते हैं.

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