हम प्रेगनेंसी में होने वाली एक समस्या को लेकर चर्चा करने वाले हैं जिसे कहते हैं सांस फूलना दो तो सांस फूलने की बीमारी किसी भी महिला को किसी भी उम्र में कभी भी हो सकती है लेकिन खासकर अगर यह परेशानी गर्भावस्था के समय आ रही है तो इस पर हम चर्चा करने वाले हैं
दोस्तो आज हम चर्चा करने वाले हैं
गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना क्या सामान्य बात है
गर्भावस्था में सांस फूलना क्या किसी गंभीर बीमारी की तरफ संकेत होता है
आइए चर्चा करते हैं .......
दोस्तो आज हम चर्चा करने वाले हैं
गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना क्या सामान्य बात है
गर्भावस्था में सांस फूलना क्या किसी गंभीर बीमारी की तरफ संकेत होता है
आइए चर्चा करते हैं .......
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दोस्तों प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलने की समस्या अक्सर गर्भवती महिलाओं को नजर आती है खासकर यह है प्रेगनेंसी के तीसरे ट्रिमेस्टर में ज्यादा देखने में आता है और लगभग 75% महिलाओं को इस समस्या से कभी न कभी गुजरना होता है.
सांस फूलने जैसी समस्या को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए खासकर प्रेगनेंसी में तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सांस क्यों खोल रही है सांस फूलना कभी-कभी कुछ गंभीर बीमारियों की तरफ इशारा करती है.
प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलने की बहुत सारे कारण हो सकते हैं के हम आपको पहली दूसरी और तीसरी तिमाही में क्या क्या कारण हो सकते हैं अलग-अलग उन्हें बताने की कोशिश कर रहे हैं.
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जब कोई भी महिला गर्भवती होती है तो उसके शरीर में हारमोंस का भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है जिसके कारण कभी-कभी सांस फूलने की समस्या देखने में आती है. वैज्ञानिक शोध के अनुसार, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का बढ़ता स्तर ऊपरी वायुमार्गमें कोशिकाओं में तरल जमाव, अधिक रक्तस्रावऔर म्यूकोसा में सूजन को बढ़ाने का कार्य करती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
किसी भी गर्भवती स्त्री का नेचुरल तरीके से वजन बढ़ना शुरू हो जाता है जिसके कारण गले के कोमल टिशूज में भी फैट जमा हो सकता है और कह सकते हैं कि श्वास नली का जो भी रास्ता है वह संकरा हो सकता है जिस वजह से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
एक सामान्य स्त्री की तुलना में गर्भवती स्त्री ज्यादा खराटे ले सकती है जिसकी वजह से उसका स्वास अवरोध हो जाता है और उसे सांस फूलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह टेंपरेरी होता है.
इस दौरान भी वजन बढ़ने के आसार बने रहते हैं, जिससे फैरिंक्स में संकुचन आ सकता है और परिणामस्वरूप एक प्रेग्नेंट महिला सांस फूलने की समस्या से गुजर सकती है. साथ ही साथ खराटे की वजह से स्वसन तंत्र में आयुर्वेद आवट के कारण भी सांस फूलने की समस्या कभी कभी नजर आती है.
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पहली और दूसरी तीमाही की तरह तीसरी तिमाही में भी नासिका में रुकावट आने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे के विकास के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है . जिसके कारण 25% से अधिक ऑक्सीजन की अतिरिक्त आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति के लिए कभी कभी सांसों की गति बहुत ज्यादा हो जाती है और ऐसा लगता है जैसे कि सांस फूल रही हो.
तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिला को राइनाइटिस के कारण सांस फूल सकती है। शोध के अनुसार, 42 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझती हैं.
तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे का आकार काफी ज्यादा बड़ा हो जाता है और वह अतिरिक्त इस फैसले ने लगता है जिसकी वजह से फेफड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान कभी-कभी उपलब्ध नहीं हो पाता है, और ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता भी होती है जिसके कारण सांस लेने में परेशानी की समस्या देखने में आती है.
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सांस क्यों फूलती है - Saans kyon pholate hai
सांस फूलने जैसी समस्या को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए खासकर प्रेगनेंसी में तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सांस क्यों खोल रही है सांस फूलना कभी-कभी कुछ गंभीर बीमारियों की तरफ इशारा करती है.
1. अस्थमा
प्रेगनेंसी के दौरान कभी-कभी गर्भवती महिला अस्थमा का शिकार बन जाती है इनमें से लगभग 50% महिलाओं को अस्थमा के सही ढंग से इलाज की आवश्यकता होती है . अस्थमा में गर्भावस्था के दौरान अस्थमा में की गई लापरवाही माता और गर्भस्थ शिशु दोनों को महंगी पड़ सकती है इसलिए इसका सही तरह से इलाज कराएं.2. एनीमिया
गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना एनीमिया की तरफ भी इशारा करता है लगभग 6 में से एक महिला को एनीमिया की शिकायत हो जाती है. इसका अर्थ यह होता है कि गर्भवती महिला के शरीर में फोलेट और आयरन जैसे तत्वों की कमी है. जिसकी वजह से शरीर में लाल रक्त कणिकाएं कम हो गई हैं यह लाल रक्त कणिकाएं शरीर के अंदर ऑक्सीजन का प्रवाह बनाए रखती हैं जब यह कम हो जाती है तो सांस फूलने लगती है अगर गर्भावस्था के दौरान एनीमिया की शिकायत नजर आती है तो इसे बिल्कुल भी हल्के में ना लें इसके कारण गर्भ शिशु का विकास बाधित हो सकता है.प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलने की बहुत सारे कारण हो सकते हैं के हम आपको पहली दूसरी और तीसरी तिमाही में क्या क्या कारण हो सकते हैं अलग-अलग उन्हें बताने की कोशिश कर रहे हैं.
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पहली तिमाही में सांस फूलने के कारण - pahalee timaahee mein saans phoolane ke kaaran
किसी भी गर्भवती स्त्री का नेचुरल तरीके से वजन बढ़ना शुरू हो जाता है जिसके कारण गले के कोमल टिशूज में भी फैट जमा हो सकता है और कह सकते हैं कि श्वास नली का जो भी रास्ता है वह संकरा हो सकता है जिस वजह से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
एक सामान्य स्त्री की तुलना में गर्भवती स्त्री ज्यादा खराटे ले सकती है जिसकी वजह से उसका स्वास अवरोध हो जाता है और उसे सांस फूलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह टेंपरेरी होता है.
दूसरी तिमाही में सांस फूलने के कारण - Doosre timaahee mein saans phoolane ke kaaran
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तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे के विकास के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है . जिसके कारण 25% से अधिक ऑक्सीजन की अतिरिक्त आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति के लिए कभी कभी सांसों की गति बहुत ज्यादा हो जाती है और ऐसा लगता है जैसे कि सांस फूल रही हो.
तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिला को राइनाइटिस के कारण सांस फूल सकती है। शोध के अनुसार, 42 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझती हैं.
तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे का आकार काफी ज्यादा बड़ा हो जाता है और वह अतिरिक्त इस फैसले ने लगता है जिसकी वजह से फेफड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान कभी-कभी उपलब्ध नहीं हो पाता है, और ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता भी होती है जिसके कारण सांस लेने में परेशानी की समस्या देखने में आती है.
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