प्रेगनेंसी में खुजली के प्रकार -Types of itching in pregnancy

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प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को खासकर बरसात के मौसम में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है इनमें से एक समस्या है खुजलाहट का आना.  आज हम बात कर रहे हैं प्रेगनेंसी में खुजली के प्रकार को लेकर अर्थात प्रेगनेंसी में कितने प्रकार की आ सकती है.

प्रेगनेंसी में खुजली के प्रकार -Types of itching in pregnancy

इंट्राहेप्टिक कोलेस्टासिस ऑफ प्रेग्नेंसी (ICP) | Intrahepatic cholestasis of pregnancy

प्रेगनेंसी के दौरान आईसीपी एक गंभीर समस्या है इसकी वजह से काफी गंभीर खुजली होने की आशंका हो जाती है. यह समस्या गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अक्सर लीवर ठीक से काम नहीं करता है इसकी वजह से होती है लीवर से निकलने वाला पित्त अर्थात पाचक रस का प्रभाव शरीर में सही तरह से नहीं होता है.
यह पाचक रस त्वचा की अंदरूनी सतह पर जम जाता है , परिणाम स्वरूप खुजली, रेसेज इत्यादि की समस्या होती है.
इस समस्या की वजह से पेट पर लाल चकत्ते बनने लगते हैं यही लाल चकत्ते हथेली और तलवों पर भी नजर आते हैं. साथ ही साथ उल्टी सा महसूस होना, भूख कम लगने की समस्या नजर आ सकती हैं. ICP को एक गंभीर समस्या माना जाता है. इसकी वजह से शिशु के मृत पैदा होने की आशंका भी होती है.

इंपीटिगो हर्पेटिफॉर्मिस | Impetigo Herpetiformis

यह एक प्रकार का इंफेक्शन है जो त्वचा में होता है इसके अंदर सोरायसिस जैसी स्किन एलर्जी होती है यह गर्भावस्था की बीमारी है या इन्फेक्शन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में सबसे ज्यादा नजर आता है. जब यह इंफेक्शन होता है तो शुरू शुरू में त्वचा पर लाल चकत्ते नजर आते हैं. जिनके अंदर धीरे-धीरे पस पड़ जाता है और पस पड़ने के बाद यह है बड़े होने लगते हैं.  बाद में त्वचा पर सफेद रैशेज नजर आने लगते हैं.
यह परेशानी आपको पेट, कमर, बगल, स्तन के नीचे और जांघों पर सबसे ज्यादा नजर आएगी. इसके कारण बुखार, डायरिया, उल्टी, जी मिचलाने समस्याएं भी हो सकती हैं.
इस तरह की समस्या होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए प्रेगनेंसी समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे यह समस्या समाप्त हो जाती है.

पेम्फिगॉइड जेस्टेसिस | Pemphigoid Gestation

वायरल संक्रमण जैसी लगने वाली यह भी त्वचा संबंधी रोग है. शुरुआत में इसमें हाइव्स के साथ खुजली होती है और बाद में बड़े-बड़े फफोले हो जाते हैं.

यह समस्या गर्भवती स्त्रियों को दूसरी या तीसरी तिमाही में शुरू हो सकती है और डिलीवरी के बाद लगभग एक 2 हफ्ते तक रह सकती है. इसमें यह फफोले पहले पेट के निचले हिस्से से निकलना शुरू होते हैं धीरे-धीरे आपके हाथ, पैर और तलवों तक फैल सकते हैं.
जब माता स्तनपान कराती है तो धीरे-धीरे अपने आप कम होने लगते हैं यह काफी गंभीर समस्या है. इसमें तुरंत डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज कराने की आवश्यकता होती है. कई मामलों में यह रैशेज शिशु तक के शरीर पर नजर आते हैं जो बाद में ठीक हो जाते हैं.

प्रुरिेगो | Prurigo

अगर आपके शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाएं और रगड़ने पर कट जाएं, तो इसका मतलब यह है कि आपको प्रुरिगो नामक खुजली की समस्या है।
यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं मानी जाती है. इसके लिए डॉक्टर आपको क्रीम वगैरह रेफर कर सकते हैं. जिनसे यह ठीक हो सकती है. यह फुंसियां शरीर में कहीं भी हो सकती है मुख्य रूप से पेट पर ही होती है. यह समस्या दूसरी तिमाही के अंत में या तीसरी तिमाही के शुरू में ज्यादा नजर आती है.

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प्रुरिटस अर्टिकरिअल पैप्यूल एंड प्लैक ऑफ प्रेग्नेंसी (पीयूपीपीएस) | Pruritus urticarial papule and plaque of pregnancy

यह बीमारी काफी खतरनाक मानी जाती है यह बच्चे को काफी नुकसान दे सकती है.
इसके अंदर महिला के पेट पर लाल लाल रंग के निशान नजर आते हैं, रैशेज नजर आते हैं. यह परेशानी गर्भवती स्त्री को तीसरी तिमाही में हो सकती या फिर अंतिम 5 हफ्तों में यह नजर आती है. कुछ मामलों में यह समस्या डिलीवरी के बाद भी नजर आती है.

इसमें रैशेज महिला के पेट के साथ-साथ नितंबों, जांघो, बाजू, टांग ,पीठ इत्यादि पर भी नजर आ सकते हैं. कुछ मामलों में यह चेहरे गर्दन और हाथ पर भी हो सकते हैं. इस समस्या के होने पर आप अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. वह इसके लिए आपको क्रीम इत्यादि दे सकते हैं जिनसे इसका इलाज हो जाएगा.

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