Mobile ke karan bacho me gambir bemari | मोबाइल के कारण बच्चों में गंभीर बीमारी

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आज के समय में छोटे बच्चे का टाइम पास स्मार्टफोन है. दोस्तों अगर देखा जाए तो यह बड़ी ही साधारण सी बात नजर आती है. लेकिन अब बच्चों की मोबाइल लत के काफी गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं.

ऐसी बहुत सी समस्याएं बच्चों को हो रही है, जो अधिक मोबाइल का प्रयोग करने के कारण अक्सर सामने आती हैं, और अपने बच्चों को लेकर माता-पिता डॉक्टर के पास जा रहे हैं.

मोबाइल लत के कारण कोई पर्टिकुलर समस्या बच्चों को नहीं होती है. बच्चों के खान-पान और लाइफ स्टाइल में अगर मोबाइल फोन जुड़ जाता है, तो इन तीनों के कॉन्बिनेशन से अलग-अलग प्रकार की समस्याएं अलग-अलग बच्चे को नजर आने लगती है.

आजकल मोबाइल लत के कारण डॉक्टर्स के सामने बच्चों की एक समस्या काफी ज्यादा नजर आ रही है जो कि बच्चों में लगभग लगभग ना के बराबर पाई जाती है.

रीड की हड्डी से जुड़ी समस्याएं

आजकल मोबाइल लत के कारण बच्चों को पीठ अर्थात रीड की हड्डी से जुड़ी समस्याएं नजर आ रही है. कमर दर्द की समस्या देखने में आ रही है.

बच्चों की रीड की हड्डी काफी फ्लैक्सिबल होती है. इसलिए उसमें किसी भी प्रकार का दर्द देखने में नहीं आता है लेकिन अब बच्चा शारिक एक्टिविटी छोड़ चुका है जिसकी वजह से यह समस्याएं कम उम्र में ही नजर आ रही हैं.

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सॉफ्टवेयर फील्ड से जुड़े बड़े उम्र के लोगों में यह समस्या आम पाई जाती है हमें भी है, लेकिन बच्चों में होना सामान्य बात नहीं.

मेडिकल साइंस की इतनी तरक्की करने के बाद भी पीठ दर्द अर्थात रीड की हड्डी में होने वाली समस्या आज भी लाइलाज ही मानी जाती है. शुरुआत में लक्षण पीड़ादायक होता है जो कि गर्दन, सिरदर्द आंखों में जलन होने तक सीमित रहता है, लेकिन आगे चलकर यह गंभीर शारीरिक परेशानी का कारण बन जाता है.

गेमिंग डिसऑर्डर की समस्या

डब्ल्यूएचओ के अनुसार आजकल बच्चों में गेमिंग डिसऑर्डर अर्थात मोबाइल पर गेम की लत को एक मानसिक विकार घोषित किया है. जिस के इलाज की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह जुए की लत और कोकीन की लत जैसी ही समस्या है.

मोटापा, भूख कम लगना

डॉक्टर के अनुसार मोबाइल और टीवी पर अधिक समय बिताने वाले बच्चों को लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की समस्या हो जाती है इसके कारण बच्चों में मोटापा बढ़ना, भूख का कम लगना और चिड़चिड़ा हो जाना आदि समस्याएं शामिल है.

चिड़चिड़ापन और गुस्सैल होने की समस्या

साथ ही साथ बच्चा झगड़ालू हो जाता है. किसी भी चीज में अब उसका मन नहीं लगता है. बात बात पर उसे गुस्सा भी ज्यादा आता है.

आंखें कमजोर हो जाना

मोबाइल अधिक देखने से आंखों की मांसपेशियां सख्त हो जाती है. जिससे आंखें कमजोर होने का डर रहता है.  बच्चा हमेशा थका थका रहता है. क्योंकि उसे नींद अच्छे से नहीं आती है.
इसलिए साधारण लाइफस्टाइल में भी वह है सही प्रकार से अपने कार्य को नहीं कर
पाता है.

मानसिक विकार

मोबाइल अधिक देखने से कुछ मानसिक स्तर पर भी बच्चों को नुकसान पहुंचता है. मानसिक स्तर पर बच्चे की कैपेसिटी थोड़ी सी कम नजर आने लगती है. बच्चा अपने आप में अकेला रहना ज्यादा पसंद करता है.

 सामाजिकता और नैतिकता का पतन

उसके अंदर सामाजिकता कम होने लगती है आपसी रिश्तो की समझ से दूसरों की अपेक्षा कम रहती है और इंसान एक सामाजिक प्राणी है उसे समाज में रिश्ते निभाना आना चाहिए.

जब वह घर से बाहर निकलेगा तब उसे यह अकेलापन और नैतिकता की कमी के कारण समाज में अपने आप को स्थापित करने में काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. नैतिकता की कमी के कारण यह सब समस्याएं हो सकती है.

वैसे यह समस्या देखने में इतनी बड़ी नजर नहीं आती है यह एक अघोषित समस्या है जिसका असर एकदम से दिखाई नहीं पड़ता है लेकिन यह जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है . समाज में स्थापित नहीं होने वाला व्यक्ति अक्सर डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. उसकी शारीरिक क्षमताएं भी कमजोर पड़ने लगती हैं. उसे अक्सर मनोचिकित्सक की आवश्यकता पड़ जाती है.

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