टॉपिक काफी संजीदा टॉपिक है. बच्चों को पॉर्न की लत लगने के क्या क्या कारण हो सकते हैं.
आज हम सभी पॉसिबल कारणों पर चर्चा करने की कोशिश करेंगे, जो कारण हमें नजर आते हैं. दोस्तों ऐसे बहुत से और भी कारण हो सकते हैं, विशेष परिस्थितियों में भी बच्चा इस तरह की समस्या का शिकार बन जाता है.
दोस्तों कोई भी बच्चा इस गलत संगत में तभी पड़ता है जब उसका ध्यान उसके मां-बाप आवश्यकता से कम रखते हैं या कह सकते हैं कि उसका ध्यान रखते ही नहीं है.
वह मात्र अपने आप में रहते हैं, और बच्चे की आवश्यकता जैसे कि खाना पीना उसकी स्कूल फीस और उसकी फिजिकल आवश्यकताओं और उसकी सांसारिक आवश्यकताएं तक ही अपना कर्तव्य समझते हैं. जबकि किसी भी बच्चे को उसके मां बाप का प्यार और उनका मानसिक सपोर्ट भी चाहिए होता है. यह सबसे ज्यादा जरूरी होता है.
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किसी भी मां-बाप को चाहिए कि बच्चे की सोच किस दिशा में जा रही है, वह छोटी-छोटी बातों को लेकर छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर किस तरह से सोचता है.
इन सब बातों पर भी माता-पिता को ध्यान रखने की काफी आवश्यकता होती है, जिसे हम 100% नजरअंदाज कर देते हैं.
टीवी धारावाहिक आपके बच्चे को पॉर्न की तरफ धकेलते हैं
आजकल आपने देखा होगा कि एंटरटेनमेंट टेलीविजन जिसमें काफी सारे चैनल है जो फैमिली प्रोग्राम डेली धारावाहिक फैमिली के लिए बनाते हैं. और यही टीवी चैनल रात को 10:00 बजे के बाद लेट नाइट कुछ धारावाहिक प्रसारित करते हैं जिन्हें 12 वर्ष से या 16 वर्ष से ऊपर के बच्चे के लिए ही वैध बताया जाता है, यह तो उनका लिखित और कानूनी रूप से प्रस्तावित समय होता है, लेकिन यही सब धारावाहिक रीप्ले के नाम पर पूरे दिन भर चलते हैं. जो कि 14 से 15 साल तक के बच्चे की मानसिक स्थिति को बिगड़ने के लिए ही पर्याप्त है,
ऐसे बहुत से धारावाहिक आज भी चल रहे हैं 1, 2 कॉमेडी धारावाहिक है भाभी जी के नाम पर चलते हैं. कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित क्राइम डीजल पेट्रोल धारावाहिक है, जिनमें हर लिमिट क्रॉस कर दी जाती है. ऐसे धारावाहिक मां बाप अपने बच्चों के साथ बैठकर देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका बच्चा सही रहे.
जो भी धारावाहिक लेट नाइट प्रसारित होते हैं. आप ऐसे चैनलों को अपने यहां से बंद कर दें, जो इस प्रकार के धारावाहिकों का प्रसारण दिनभर रीप्ले के नाम पर करते हैं.
घर के बाहर आपके बच्चे के साथी
बच्चा अपने आस-पड़ोस में किस किस से मिलता है. किस किस से बातें करता है .किसके पास रहना पसंद करता है. या घर में भी किसके पास रहना ज्यादा पसंद करता है.
उस व्यक्ति की आदतें किस प्रकार की है. हमें इस बात का भी पता होना चाहिए. हमें हमेशा ऐसे व्यक्ति के पास अपने बच्चे को जाने से रोकना चाहिए, जिसकी गतिविधियां आपको संदिग्ध लगती हैं या फिर समाज में उस व्यक्ति की छवि अच्छी नहीं है.
आपके समाज के आपके रिश्तेदार के या फिर आप के आस पड़ोस के किसी बड़े व्यक्ति के द्वारा भी यह लत आपके बच्चे को लगाई जा सकती है. इसके पीछे उसके कई सारे मकसद हो सकते हैं.
दूसरी बात ऐसा भी हो सकता है कि आपसे किसी बात पर बदला लेने के लिए इस प्रकार का कार्य लोग कर सकते हैं. क्योंकि यह हमने भी देखा है और हर एक के साथ ऐसा हो यह जरूरी नहीं है.
अब से कुछ समय पहले तक तो बच्चे छोटे हो या बड़े हो सभी साथ खेला करते थे. हम भी अपने से बड़े बच्चों और अपने से छोटे बच्चों के साथ काफी खेला करते थे. लेकिन अब वह समय नहीं रह गया है जब से इंटरनेट और कम्युनिकेशन बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो गया है ऐसे में आप यही कोशिश करें कि आपके बच्चे की दोस्ती उससे दो-तीन साल बड़े या ज्यादा बड़े बच्चे के साथ बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए.
अगर आपका बच्चा ऐसे बच्चों के साथ ज्यादा उठता बैठता है, तो यह आजकल सही नहीं है. बड़े बच्चों के पास अक्सर मोबाइल पाया जाता है और इंटरनेट भी होता है. ऐसे में आपके बच्चे का मन भटक सकता है, या उनके द्वारा भटकाया जा सकता है.
हालांकि अपने से बड़े बच्चे के साथ आपके बच्चे की सुरक्षा तो है लेकिन उसके साइड इफेक्ट भी काफी सारे हैं उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आप अपने आप उठाएं.
आपका मोबाइल में कम एक्सपर्ट होना
अगर आप मोबाइल चलाने में कम एक्सपर्ट और आपका बच्चा ज्यादा एक्सपर्ट होता है, तब भी इस प्रकार की गलत संगत में बच्चा पड़ सकता है .क्योंकि आपको तो पता ही नहीं है, कि वह कौन कौन से फंक्शन मोबाइल के अंदर जानता है. क्या क्या एक्सेस कर सकता है. क्योंकि वह आपसे ऊपर है.
मोबाइल की लत लगना ही इस प्रकार की गलत संगत में पड़ने की पहली कड़ी होती है. इसलिए कोशिश करें आपका बच्चा मोबाइल की लत में गिरफ्तार नहीं होना चाहिए. बस कोशिश करें कि आपका बच्चा मोबाइल से दूर से दूर रहे और उसके लिए आप उसकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं.
एक्स्ट्रा एक्टिविटी में कम उत्साह
एक्स्ट्रा एक्टिविटी में उसे लगाइए. आउटडोर गेम में प्रोत्साहन दीजिए. घर में या इंडोर गेम खेलने के लिए भी उसे उत्साहित करें. एक्स्ट्रा एक्टिविटी जैसे कि डांस, म्यूजिक, पेंटिंग बहुत कुछ और है.
मोबाइल उसके हाथ में नहीं आने दे और अपने आप भी मोबाइल से जरा दूर ही रहे. आवश्यकता पड़ने पर ही प्रयोग करें.
बच्चे के स्कूल का माहौल
अब आपका बच्चा थोड़ा सा बड़ा हो गया है वह स्कूल जाने लगा है इस स्कूल में इस प्रकार की गतिविधियों में पड़ जाना काफी आसान होता है. अब हम स्कूल में बच्चे के साथ तो नहीं जा सकते हैं. स्कूल में वह किस प्रकार की मेजोरिटी में रहता है. उसमें कौन-कौन से बच्चे हैं उनके पास मोबाइल का कितना एक्सिस है.
यह सब आपके बच्चे की गलत लत को बढा भी सकता है. और इसके लिए हम बहुत कुछ कर भी नहीं सकते हैं अगर करेंगे तो बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी बहुत ज्यादा टाइम देना होगा.