बच्चे को मोबाइल की लत क्यों लग जाती है. अगर आप यह बात जान पाएंगे तो आप कोशिश कर सकते हैं कि आपके बच्चे को मोबाइल की लत नहीं लगे. या आप मोबाइल की लत लगने के कारण जान जाएंगे तो उन्हें सुधार कर बच्चे को मोबाइल की लत से बाहर लाने के लिए कार्य कर सकते हैं.
पहले तो हर एक मां बाप को यह समझना बहुत जरूरी है, कि उनकी सबसे बड़ी पूंजी उनकी संतान है. वह अपने काम धंधे में, या दूसरे कामों में, या अपने आप में इतना ज्यादा समय देते हैं . वह अपने बच्चों पर ध्यान दे ही नहीं पाते हैं. और अपने आप को समझा लेते हैं कि बच्चे पर ध्यान नहीं देना उनकी मजबूरी है.
पहले तो अगर आप यह सोचते हैं तो आपके लिए यह Article बिल्कुल बेकार है, मत देखिए. सबसे पहले तो आपको अपने बच्चे को इंपॉर्टेंस देना ही जरूरी है, तभी आपकी और हमारी इस बात का कुछ मतलब निकलेगा.
क्योंकि अधिकतर दर्शक इस वीडियो को इसलिए देखना चाह रहे हैं वह अपने लाइफस्टाइल में बिल्कुल परिवर्तन ना करें. बच्चों पर उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता ना पड़े, और उनके हाथ कोई जादू की छड़ी लग जाए. उनका काम बन जाए और बच्चा मोबाइल देखना छोड़ दें.
बहुत से लोगों की बहुत सारी मजबूरी होती है, बहुत सारी आवश्यकताएं होती हैं. उन लोगों को तो एक बार समझा जा सकता है. जो चाह कर भी समय नहीं निकाल पाते हैं, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर समय नहीं निकालते हैं अगर समय निकलता भी है तो वह अपने बच्चों के साथ वह समय बिताने के बजाए इधर उधर दूसरे काम में अपना समय लगाते हैं.
बच्चों की उत्सुकता
सबसे पहले तो आप यह समझ ले कि बच्चे का जो दिमाग होता है. वह बिल्कुल एक खाली मेमोरी की तरह होता है एक खाली किताब की तरह होता है उसके लिए दुनिया में सब कुछ नया होता है और वह सब कुछ जानना और समझना चाहता है.
इंटरनेट और मोबाइल एक ऐसा तरीका है जो उसकी इस आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता रखता है. वहां पर बच्चे के लिए हमेशा कुछ ना कुछ नया होता ही है.
आप सभी जानते हैं कि बच्चे के अंदर कुछ भी जानने और समझने की उत्सुकता बहुत ज्यादा होती है या तो आप इंटरनेट या मोबाइल के माध्यम से उसकी उत्सुकता को शांत कर दीजिए या फिर उसे अपना समय दीजिए. और उसके प्रश्नों के उत्तर दें. उसकी उत्सुकता को शांत करने के लिए कार्य करें. समय देना होगा.
इंटरनेट या मोबाइल के द्वारा बच्चे की उत्सुकता को शांत करने के कुछ फायदे हैं, कुछ नुकसान है कह सकते हैं नुकसान ज्यादा हैं.
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बच्चों से पीछा छुड़ाना
असल में मां-बाप बच्चों की उत्सुकता से काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं, और उन से पीछा छुड़ाने के लिए उनके हाथ में शुरू शुरू में मोबाइल देना पसंद करते हैं. इससे उन्हें कुछ समय अपने लिए मिल जाता है. अब यह तो हम सभी जानते हैं बच्चे परेशान बहुत ज्यादा करते हैं बस उसी परेशानी से बचने के लिए हम शुरू शुरू में बच्चे के हाथ में मोबाइल देना शुरू कर देते हैं जो बाद में चलकर उसकी आदत बन जाते हैं जाती है और यहीं से हमारी परेशानी शुरू….
असल में बच्चे की उत्सुकता को शांत करने के लिए उसके प्रश्नों के उत्तर देने के लिए हमें मेहनत तो करनी होती है. उस समय भी देना होता है, और उसके लिए उसे लेकर बाहर भी जाना होता है. दुनिया दिखानी होती है.
छोटी-छोटी बातें समझानी होती हैं, और बहुत कुछ बच्चों के लिए खेल खिलौने खरीद कर भी लाने होते हैं तो हम लोग इन सब कार्य को करने के बजाय बच्चे को मोबाइल देना ज्यादा पसंद करते हैं और ₹1 भी खर्च नहीं होता है, और समय भी नहीं देना होता.
शुरू शुरू में तो काफी अच्छा लगता है चीप एंड बेस्ट काम कर देते हैं लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है उसे सामाजिक और नैतिक ज्ञान और अपनी पढ़ाई लिखाई और खेल कूद और सेहत आदि की शिक्षा जब देने की कोशिश करते हैं, तो वह तब भी मोबाइल में ही लगा रहता है. यहीं से आप लोगों की परेशानी शुरू हो जाती है.
क्या बच्चों की लत के पीछे असली दोषी हम नहीं
क्योंकि हमने अपने लालच में मोबाइल को ही बच्चे की दुनिया बना दिया है यहां हम मोबाइल के लिए बच्चे को दोष देना शुरू करते हैं जबकि असली दोषी तो हम स्वयं होते हैं. आप एक बार सोचिए जब आप और हम बच्चे थे तब मोबाइल नहीं थे तब भी तो बच्चे अपना समय व्यतीत करते थे, सीखते थे, समझते थे तो कहीं ना कहीं है परेशानी हमारे अपने द्वारा ही पैदा की गई है.
बच्चा हर एक नई चीज की तरफ आकर्षित होता है मोबाइल की तरफ भी आकर्षित होना उसका स्वभाव है और उसमें उसकी कोई गलती नहीं है. लेकिन हम अपने बच्चे को दूसरे के सामने ज्यादा इंटेलिजेंट घोषित करने के चक्कर में मोबाइल की हर एक अदा शुरू शुरू में अपने आप ही सिखाना शुरू कर देते हैं, और मैंने तो कई पेरेंट्स को मोबाइल की फंक्शनिंग को लेकर बच्चों के बारे में डींगें हांकते भी देखा है और बाद में उन्हें ही मोबाइल की लत से परेशान होते हुए भी देखा है.
बच्चों को समय देना शुरू करें
सबसे पहले तो आप यही कोशिश करें कि अपने बच्चे के हाथ में मोबाइल कम से कम दें. जब बच्चा मोबाइल या फिर अपने दूसरे किसी काम को पूरा करने के लिए कहता है तो हमें मोबाइल के अलावा दूसरा ऑप्शन हमेशा चुनना चाहिए. अगर आपको अपने बच्चे की मोबाइल जिद को लेकर उसे डांटना पड़े, थोड़ी बहुत सजा देनी पड़े तो दे दे, रोता है तो रोने दे. इतना कष्ट तो आपको उठाना ही होगा.
यह उसके लिए ज्यादा अच्छा है और अपने बच्चे के मन में यह बात भी लाएं कि वह सब कुछ कर सकते हैं उन्हें मिल सकता है लेकिन मोबाइल उन्हें नहीं मिलेगा यह बात अगर स्पष्ट रूप से आप बच्चे के मन में बैठा दे तो वह शांत रहेगा क्योंकि सारा खेल मन का ही है.
अगर आप चाहे तो 5 साल तक की उम्र का बच्चा मोबाइल बिल्कुल भी नहीं टच करेगा. अगर वह करता भी है तो उसे उसकी फंक्शनिंग बताने की आवश्यकता क्या है,
अगर आपके घर में कोई दूसरा बड़ा बच्चा है तब भी बच्चे को बहुत कम उम्र से मोबाइल की लत लग जाती है. क्योंकि आपका बड़ा बच्चा मोबाइल का यूज करता है तो छोटे बच्चे की इच्छा भी मोबाइल का यूज करने की होती है आपको इस स्थिति को भी देखना होगा.
लेकिन जब बच्चा समाज में जाएगा तब दूसरे बच्चों के संपर्क में आने पर उसे मोबाइल के बारे में जानकारी होगी उसकी दुनिया के बारे में जानेगा तो उसे तब उसके बारे में लेकर ज्यादा क्यूरिसिटी होगी जानने की इच्छा होगी.
उसके बाद तब दूसरे उपाय अपनाने की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन 5 साल तक की उम्र तक तो आप कम से कम बच्चे को मोबाइल से दूर रखे सकते हैं यह तो आपके अपने हाथ में है.