प्रेगनेंसी में अपना ध्यान रखने से ज्यादा कठिन कार्य नवजात शिशु को संभालने का होता है. अगर आप अपने बच्चे के साथ एक दिन बिता देती हैं, तो आपको वह 100 घंटों के बराबर नजर आता है. यह शुरुआती समय में ऐसा महसूस होता है, क्योंकि अचानक से आपकी जिंदगी में काफी ज्यादा परिवर्तन आ चुका है.
आपके पास एक जिम्मेदारी है, और सबसे बड़ी बात वह जिम्मेदारी आप ही को निभानी है. आप इस जिम्मेदारी को बांट नहीं सकती हालांकि घर के दूसरे सदस्य आपकी मदद अवश्य कर सकते हैं.
अगर आप पहली बार मां बन रही है, तो आपको अपने बच्चे को संभालना आना चाहिए. इसी संबंध में छोटी-छोटी बातों को लेकर चर्चा करेंगे .
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माता अपनी जिम्मेदारी समझे
बच्चे को संभालना काफी कठिन कार्य होता है. इसमें मजबूत मानसिक क्षमता और इच्छा शक्ति की अत्यधिक आवश्यकता होती है.
सबसे पहले तो आप को यह समझाना है कि यह कार्य आप ही का है और आप ही को करना है और इसका कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है.
हालांकि मां बनने का सुख भी अपने आप में बहुत बड़ा होता है और मां बनने के बाद भी ही भारतीय समाज में महिला को संपूर्ण माना जाता है.
शुरू के 40 दिन परिवार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
यहां पर परिवार के दूसरे सदस्यों को शुरू के 40 दिन महिलाओं के देखभाल में भी कोई कमी नहीं करनी चाहिए. अगर शुरुआत के 40 दिन महिला की देखभाल में कमी रह जाती है, और वह घर का काम करना शुरू कर देती है, तो उस वक्त तो महसूस नहीं होता है. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाएगी महिला के शरीर में तरह-तरह की बीमारियां और दर्द शुरू हो जाता है.
इसलिए शुरू के 40 दिन महिला को तासीर में गर्म भोजन और ठंडे स्थानों और ठंडे पानी से दूर रहना चाहिए. इसे घर की बड़ी महिलाएं काफी अच्छे से समझती हैं.
लेकिन यह बात यहां इसलिए बताई जा रही है, क्योंकि महिलाओं के साथ शुरू के 40 दिन काफी कठिन होते हैं और ऐसे में शिशु की देखभाल करना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि इसमें महिला को अपनी भी देखभाल करना उतना
ही जरूरी होता है.
पालन पोषण के तनाव से बाहर आए
सबसे पहले तो आपको बच्चे को कैसे संभालेंगे, कैसे चलेगा, कैसे होगा, क्या करना होगा . इन सब के तनाव से आपको बाहर आना है. जब तक आपको यह तनाव रहेगा अब बच्चे का ध्यान इतने अच्छे ढंग से नहीं रख सकते.
माता अपने भोजन का ध्यान रखें
बच्चे को संभालने से उद्देश्य है कि बच्चा स्वस्थ रहें. किसी बाहरी एक्टिविटी से उसे नुकसान नहीं पहुंचे और वह शुरुआत में तो माता का दूध ही पिएगा, तो माता को भी इस प्रकार का भोजन करना है, जिससे कि बच्चा स्वस्थ रहें.
अगर महिला अपने भोजन में कोताही रखती है, तो दूध के द्वारा वह भोजन उसके शरीर में पहुंचेगा और वह उसे बीमार भी कर सकता है, उसे नुकसान पहुंचा सकता है.
तो घर की बड़ी महिलाओं से इस संबंध में जरूर जानकारी लेकर ने किस प्रकार का भोजन तब तक लेना है जब तक की बच्चा दूध पिएगा और इस संबंध में आप डॉक्टर से भी सलाह करें.
हालांकि कई बार देखा गया है डॉक्टर कह देते हैं कि इसमें कोई ध्यान रखें की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार आपको ध्यान रखना चाहिए 50% समस्या आपके भोजन से सुलझ सकती है, और खराब भी हो सकती है.
बच्चे के साथ बने रहे
कम से कम अगले 1 साल तक आपको बच्चे का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
आपको बच्चे को अकेला बिल्कुल भी नहीं छोड़ना है. यहां तक कि बच्चे का ध्यान लगभग 3 साल तक ज्यादा रखना पड़ता है. बच्चा अगर लेटा रहता है, चलना नहीं जानता है तो बोलना भी नहीं जानता है तब भी ध्यान रखना आवश्यक होता है.
लेकिन और जब बच्चा बोलना सीख जाता है तो फिर चलाना की सीख जाता है उसके बाद तो और ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है कुल मिलाकर बच्चे का ध्यान लगभग 3 साल तक याद रखने की आवश्यकता बहुत ज्यादा रखने की
आवश्यकता होती है.
बच्चे की देखभाल में परिवार की मदद ले
कई बार माता अपने बच्चे को परिवार के दूसरे सदस्य के साथ असुरक्षित महसूस करती है यह सही नहीं है अगर व्यक्ति जिम्मेदार है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
बच्चे के लालन-पालन में आपको जितने ज्यादा लोगों की सहायता मिले, आपको इतने लोगों की सहायता लेनी चाहिए. बस इस बात का ध्यान रखें वह सभी लोग जिम्मेदार होने चाहिए, लापरवाह लोगों से बच्चे को हमेशा बचा कर रखें.
अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा तेजतर्रार हो तो आपको शुरुआती समय से ही उससे बातें करना सीखना है. चाहे वह जवाब दे या नहीं दे.
बोलना जाने या नहीं जाने. जब भी समय मिले उससे बातें करनी है इस कारण आपका बच्चा समाज में काफी जल्दी एक्टिव हो जाएगा जल्दी जल्दी चीजें सीखेगा और समझेगा.
बच्चे को एक्सट्रीम परिस्थितियों से बचाएं
बच्चे को हमेशा तेज म्यूजिक शोरगुल पोलूशन भरे वातावरण और तेज रोशनी से बचा कर रखना है. बच्चे की इंद्रियां काफी कोमल होती है, और इन सब वजह से बच्चे की क्षमता में कमी आ सकती है.
छोटा बच्चा कुछ कह नहीं सकता है इसलिए आपको उसके शरीर को हमेशा ध्यान से देखना है शरीर में कुछ भी परिवर्तन आपको लगे , अगर बच्चे की एक्टिविटी में आपको अंतर नजर आए तो एक बार आप एक्सपर्ट से राय अवश्य करें. घर में राय अवश्य करें.
बच्चे के साथ यात्रा करने से बचें
छोटे बच्चे को लेकर हमेशा यात्रा करने से बचना चाहिए. कोशिश करें जितनी कम यात्रा करनी पड़े, उतना ही अच्छा होता है.