प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्तचाप – High blood pressure during pregnancy Part 1

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गर्भावस्था की एक विशेष परेशानी पर चर्चा करने वाले हैं. जिसे कहते हैं हाइपरटेंशन अर्थात उच्च रक्तचाप

टॉपिक है —
प्रेग्नेंसी के समय उच्च रक्तचाप क्या होता है.
क्या यह होना सामान्य बात है कितनों को होता है.
गर्भावधि उच्च रक्तचाप के कितने प्रकार होते हैं
हाई बीपी होने के क्या क्या कारण है और
इसके क्या लक्षण है जिनसे यह पता चलता है

 
दोस्तों बाकी टॉपिक जैसे कि इसका निदान, इसका इलाज, कैसे नियंत्रित करें, खाद्य पदार्थ और दूसरी जटिलताएं इन पर हम अपने दूसरे Post में चर्चा करेंगे।

प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्तचाप  – High blood pressure during pregnancy Part 1
 

प्रेग्नेंसी के समय उच्च रक्तचाप क्या होता है. Pregnancy me High Blood Pressure Kya Hota Hai


रक्तचाप बढ़ना मतलब हमारी धमनियों में हमारे रक्त में नलिकाओं में रक्त का दबाव बढ़ जाना होता है. जिसका सामना कोई भी गर्भवती स्त्री कर सकती है. कभी-कभी यह समस्या गंभीर भी हो जाती है.

इसके क्या लक्षण है जिनसे यह पता चलता है


अवस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या में यह जरूरी नहीं होता है, कि महिला को इसके लक्षण दिखाई पड़े, लेकिन फिर भी कुछ लक्षण ऐसे हैं, जो सामने दिखाई पड़ते हैं. जैसे कि —


अगर कोई भी महिला प्रेग्नेंसी के समय अपना रक्तचाप चेक करवाती है, और उसमें ऊपरी रक्तचाप (सिस्टोलिक रक्तचाप )160 से ऊपर और निचला रक्तचाप (डायस्टोलिक रक्तचाप ) 110 से ऊपर आता है, तो यह उच्च रक्तचाप की समस्या मानी जाती है.


उच्च रक्तचाप की समस्या में गर्भवती स्त्री को पेट में दर्द की शिकायत हो सकती है.


महिला की सांसे तेज तेज चल सकती हैं.


महिला केसर में पीछे की तरफ महिला के सिर में पीछे की तरफ दर्द हो सकता है, और फुदकनमहसूस हो सकती है.


महिला को चक्कर जैसा आना महसूस हो सकता है. 


आंखों की दृष्टि कमजोर सी होने लगती है, धुंधला धुंधला नजर आने लगता है.


अगर प्रेग्नेंसी के समय लीवर की समस्या नजर आए तो यह उच्च रक्तचाप के कारण हो सकता है.


महिलाओं को दौरे पड़ सकते हैं.


महिलाओं को आवश्यकता से कम अगर पेशाब आ रहा है, तो यह उच्च रक्तचाप की शिकायत की वजह से हो सकता है. जबकि प्रेगनेंसी के कुछ महीने महिलाओं को काफी पेशाब आता है.

हाई बीपी होने के क्या क्या कारण है – Pregnancy me High Bloof Pressure Ke Kya Karan Hai


महिला कुदरती तरीके से प्रेग्नेंट ना होकर आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल प्रेगनेंसी के लिए करती है तो उसे हाई बीपी की शिकायत हो सकती है.


अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला पहले से ही मोटापे का शिकार हो तो उसे हाई बीपी की प्रॉब्लम नजर आ सकती है.
अगर किसी स्त्री को पहले से ही हाई बीपी की समस्या हो और वह गर्भवती हो जाती है तो हाई बीपी की समस्या आती ही आती है.


अगर गर्भवती महिला के गर्भ में 1 से ज्यादा बच्चे होते हैं तब भी इस प्रकार की समस्या का सामना अक्सर करना पड़ता है.


जिन महिलाओं का शरीर एक्टिव नहीं होता है अर्थात गर्भावस्था से पहले निष्क्रिय अवस्था में ज्यादा रहती हैं आराम पर्सन जिंदगी जीती हैं उन्हें गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी की समस्या अक्सर रहती है.


अक्सर ऐसा देखा गया है कि जो महिलाएं पहली बार मां बन रही होती हैं उन्हें भी हाई बीपी की समस्या का सामना करना पड़ता है.


जो महिलाएं धूम्रपान और दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन करती हैं जैसे कि शराब और दूसरी ड्रग्स उन्हें भी इस तरह की समस्या हो जाती है. हाई बीपी का शिकार बन जाती हैं अगर वह गर्भवती होती है.


अगर महिलाएं किसी कारणवश गर्भावस्था के दौरान तनाव से ग्रसित हो जाती हैं तब भी हाई बीपी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

गर्भावधि उच्च रक्तचाप के प्रकार – Type of BP


गर्भावस्था के दौरान होने वाला उच्च रक्तचाप को हम तीन प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं —


1. गर्भावधि उच्च रक्तचाप

गर्भावस्था के दौरान उसके 20 हफ्ते के बाद यह रक्तचाप हो सकता है, और महिला की डिलीवरी के बाद लगभग 2.5 से 3 महीने में यह अपने आप ठीक भी हो सकता है. भ्रूण को और मां को इसका नुकसान कम ही देखने में आया है. लेकिन यह भविष्य में कभी कभी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है जैसे  जन्म के समय शिशु का वजन इसकी वजह से कम हो सकता है और दूसरे प्रकार की समस्याएं जिन्हें डॉक्टर बड़े अच्छे से एक्सप्लेन कर सकते हैं. यह प्रीक्लेम्पसिया की वजह से हो सकता है.

2. क्रोनिक उच्च रक्तचाप

इस रक्तचाप का पता लगाना थोड़ा सा मुश्किल होता है यह महिला को गर्भावस्था से पहले से ही हो सकता है या गर्भावस्था के बाद हो सकता है. यह रक्तचाप थोड़ा सा बच्चे के लिए नुकसानदायक माना गया है. जांच के द्वारा ही इसका पता लगाया जा सकता है. इस प्रकार का रक्तचाप भी प्रीक्लेम्पसिया के कारण हो सकता है.

3. प्रीक्लेम्पसिया

प्रेग्नेंसी के समय होने वाली प्रीक्लेम्पसिया नाम की बीमारी उच्च रक्तचाप का ही एक रूप होता है. यह अचानक से तीसरी तिमाही में ब्लड प्रेशर का काफी बढ़ जाना प्रीक्लेम्पसिया  कहलाती है. गर्भावस्था के दौरान इस प्रकार रक्तचाप रक्तचाप का बढ़ना शिशु और माता दोनों के लिए काफी नुकसानदायक माना गया है.
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप कितना आम है

देखा जाए तो प्रेग्नेंसी के समय या प्रेगनेंसी के बिना भी उच्च रक्तचाप की समस्या होनी ही नहीं चाहिए आज से 50 वर्ष पहले इसे कोई पहचानता नहीं था. इस बीमारी का कहीं कोई जिक्र नहीं आता था. लेकिन आजकल यह हमारे खान पान और लाइफस्टाइल की वजह से एक मुख्य बीमारी बनता जा रहा है. आजकल विश्वभर में 10% गर्भवती महिलाएं इससे प्रभावित रहती हैं. भारत में की गई एक रिसर्च के अनुसार 7.8% महिलाएं जो कि गर्भवती होती हैं, उसमें यह बीमारी देखी गई है. जिसमें से 5.4% मामले प्रीक्लेम्पसिया के थे.

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