प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में परेशानियां, ठीक उसी प्रकार से होती हैं जिस प्रकार से दूसरे महीनों में कुछ अलग प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं. जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती जाती है वैसे वैसे कुछ समस्याएं समाप्त होती जाती है और कुछ नई समस्याएं आने का डर लगा रहता है ऐसे ही सातवें महीने को भी प्रेगनेंसी में काफी क्रिटिकल माना जाता है ऐसे में महिला को किस प्रकार की समस्या आने का डर रहता है उस पर एक नजर डालते हैं.
प्रेगनेंसी का प्रत्येक महीना काफी क्रिटिकल भरा होता ही है और कई प्रकार की परेशानियां आने का खतरा सातवें महीने में भी होता है—
- सातवें महीने में अत्यधिक रक्तस्राव होने को नज़रअंदाज़ न करें. कई बार अपरा (placenta) नीचे की ओर गर्भाशय ग्रीवा तक आ जाती है, जिस कारण रक्तस्राव होने लगता है.
- पेट और पीठ में सामान्य दर्द तो प्रेग्नेंसी के समय बना ही रहता है बच्चे के वजन से और अपच की वजह से पीठ और पेट में दर्द हो सकता है, लेकिन यह दर्द अगर असहनीय हो जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
- इस दौरान होने वाले संकुचन को ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन (फॉल्स लेबर पेन) कहा जाता है। यह ज़्यादातर गर्भावस्था के सातवें महीने से शुरू होते हैं और एक घंटे में एक या दो बार हो सकते हैं। इस दौरान आपको पेट की मांसपेशियों में कसाव महसूस होगा। अगर यह संकुचन एक घंटे में चार बार से ज्यादा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी इससे समय पूर्व प्रसव का खतरा बढ़ सकता है.
- प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में अगर आपको लगातार उल्टियां आने की समस्या बनी हुई है तो इस समस्या को आप बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और सारे तिथि को बताना चाहिए.
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- सातवां महीना वह महीना है जिसे थोड़ा सा क्रिटिकल महीना माना जाता है. इस महीने में महिलाएं बहुत सारा ऐसा काम जो मैं अब तक कर रही थी उन्हें करने में परेशानी हो सकती है. ऐसे में महिला के पति को चाहिए कि वह उसका हाथ बताएं या घर में कोई और सदस्य हो तो उसे महिला के कार्य में उसका हाथ बढ़ाना चाहिए.
- इस समय महिला प्रेगनेंसी डिलीवरी को लेकर तनाव में हो सकती है, ऐसे में पति को चाहिए कि वह उसे हिम्मत दे और उसका ख्याल रखे बातें करें.